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जेएसपीएल ने हासिल की गारे पेलमा की खदान

00 छंटेगा बेरोजगारी का कोहरा, टूटेगी बाजार की सुस्ती
रायगढ़। स्टील और पॉवर उद्योग के बड़े उपक्रम जेएसपीएल को जिले की गारे पेलमा 4/1 कोयला खदान फिर से प्राप्त हो गई है। सोमवार को कोल मंत्रालय के द्वारा की गई आनलाइन नीलामी में जिंदल उद्योग ने उक्त खदान को 53 फीसदी ऊंची बोली लगाकर हासिल की है। इस नीलामी में जिंदल के अलावा, जेएसडब्ल्यू व वेदांता समूह ने भी भाग लिया था। जिंदल को कोयला खदान मिलने के बाद जिले में विगत पांच सालों से छाई आर्थिक सुस्ती टूटने के आसार बने हैं साथ ही कोयले की सहज उपलब्धता से उद्योगों में तेजी आने व बेरोजगारी संकट पर लगाम लगने की उम्मीद भी बढ़ गई है।
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में केन्द्र सरकार के द्वारा देश भर के सभी कोल ब्लाक का आबंटन रद्द कर दिया गया था। इस प्रक्रिया के दौरान जेएसपीएल के हाथ से भी जिले की कोयला खदानों का हस्तांतरण छिन गया था। इसके बाद से न केवल जिले की औद्योगिक प्रगति पर प्रभाव पड़ा बल्कि औद्योगिक नगरी की संपूर्ण अर्थव्यवस्था चौपट होने लगी। यहां तक कि जेएसपीएल समेत, जेपीएल व अन्य उद्योगों में व्यापक छंटनी व तालाबंदी के कारण रोजगार तथा आर्थिक संकट गहराता चला गया। इसके बाद से ही केन्द्र सरकार के द्वारा कोल ब्लाकों के आनलाइन आबंटन की प्रक्रिया में जेएसपीएल भी कोल ब्लाक हासिल करने वाले बिडर की सूची में लगातार शामिल रहा।
सूत्रों के अनुसार 5 नवंबर को गारे पेलमा 4/1 कोल खदान के लिए आनलाइन निविदा खोली गई थी तथा 130 रुपए प्रति टन की दर से बोली आरंभ हुई। इस निविदा में जेएसडब्लू व वेदांता स्टील भी बोली लगा रहे थे, किंतु जिंदल उद्योग के द्वारा 53.3 फीसद ऊंची बोली लगाकर 230 रुपए प्रति टन की दर पर 10 वर्ष के लिए गारे पेलमा की खदान हासिल कर ली गई। अब जिंदल उद्योग का अगला लक्ष्य आगामी 8 नवंबर को होने वाली जामखानी कोल ब्लाक की नीलामी में शामिल हो इस खदान को भी हासिल करना है। जामखानी कोल ब्लाक का कुछ अंश छत्तीसगढ़ के अलावा ओडिशा सीमा में भी शामिल बताया जा रहा है। अब जल्द ही जिले की आर्थिक बदहाली की तस्वीर बदलने व सही कीमत पर कोयला मिलने के बाद औद्योगिक तेजी से बेरोजगारी संकट पर भी लगाम लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है, साथ ही तमनार क्षेत्र में रूके हुए विकास कार्यो को भी शीघ्र गति मिलने की उम्मीद जिंदल है।
राज्य को मिलेगा 4 हजार करोड़ का राजस्व
जिंदल समूह को मिली इस खदान से कोयला उत्पादन जल्द ही शुरू हो सकता है। फिलहाल यह खदान कोल इंडिया की कस्टडी में है। निर्धारित प्रक्रिया पूर्ण करते ही जिंदल समूह इससे कोयला उत्खनन शुरू कर देगा। इस खदान से ग्रुप के स्टील उद्योग के लिए पर्याप्त कोयला मिल जाएगा। यहां करीब 45 मिलियन टन कोयले का डिपाजिट है। इससे दस साल में राज्य सरकार काे लगभग 4 हजार करोड़ का राजस्व मिलेगा।

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