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 आयुक्त एवं सह-संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने स्वास्थ्य सेवाओं की गहन समीक्षा बैठक

0- मलेरिया,सिकल सेल और टीबी उन्मूलन पर दिए सख्त निर्देश
दंतेवाड़ा। संयुक्त जिला कार्यालय भवन के सभागार में शनिवार को  स्वास्थ्य विभाग की महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक की अध्यक्षता स्वास्थ्य सेवाओं की आयुक्त एवं सह-संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने की। बैठक में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़, सिकल सेल रोग नियंत्रण और टीबी उन्मूलन जैसे जनस्वास्थ्य से जुड़े अहम मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा की गई।
बैठक की शुरुआत करते हुए डॉ. शुक्ला ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि शासन का उद्देश्य है कि मलेरिया को पूरी तरह समाप्त किया जाए। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब जिला, विकासखंड और ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य अमला पूरी सक्रियता के साथ कार्य करे। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) और खंड चिकित्सा अधिकारियों (BMO) को निर्देशित किया गया कि वे स्वयं फील्ड में जाकर मलेरिया अभियान की निगरानी करें।
डॉ. शुक्ला ने कहा कि आरडी किट से जाँच के दौरान यदि कोई व्यक्ति मलेरिया पॉजिटिव पाया जाता है, तो उसे दवा की पूरी खुराक दी जाए। साथ ही मितानिनों द्वारा दी गई दवाओं का रैफर जमा किया जाए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि मरीज ने दवा पूरी कर ली है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “मलेरिया से किसी भी स्थिति में मृत्यु नहीं होनी चाहिए।” इस अभियान में एपीआई दर को 2 प्रतिशत से नीचे लाने का भी लक्ष्य तय किया गया है।
बैठक में आश्रम शालाओं की स्वास्थ्य व्यवस्था की भी समीक्षा की गई। डॉ. शुक्ला ने कहा कि सभी आश्रम शालाओं में नियमित रूप से मलेरिया की जांच सुनिश्चित की जाए। यदि एक भी छात्र मलेरिया पॉजिटिव पाया जाता है, तो तत्काल सभी छात्रों की स्क्रीनिंग की जाए। सिकल सेल रोग पर विशेष चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि जितने भी मरीज सिकल सेल से पीड़ित हैं, उनका तुरंत आभा (ABHA) हेल्थ आईडी बनाया जाए, ताकि उनके इलाज में किसी तरह की बाधा न आए। उन्होंने कहा कि यदि अधिकारी समर्पण भाव से कार्य करें, तो सिकल सेल की रोकथाम और बेहतर इलाज की व्यवस्था की जा सकती है।
डॉ. शुक्ला ने टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की भी समीक्षा करते हुए कहा कि सभी पंचायतों में ‘टीबी मित्र’ बनाए जाएं। उन्होंने कहा कि जब जागरूकता स्थानीय बोली और भाषा में होगी, तब लोग अधिक बेहतर समझ पाएंगे और इलाज के लिए आगे आएंगे। उन्होंने बताया कि टीबी मित्र स्थानीय स्तर पर न केवल प्रचार-प्रसार करेंगे, बल्कि संभावित मरीजों की पहचान और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएंगे।
बैठक में डॉ. शुक्ला ने जिले में संचालित अन्य स्वास्थ्य योजनाओं जैसे जननी सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, टीकाकरण अभियान और कृमि मुक्ति अभियान की भी क्रमवार समीक्षा की और कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए।स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर डॉ. शुक्ला ने कहा कि “हमारा कार्य केवल इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि रोगों की रोकथाम, जागरूकता और जनविश्वास बनाना भी हमारी ज़िम्मेदारी है।गर्भवती माताओं का प्रथम तिमाही में पंजीयन करना आवश्यक है, क्यूंकि उनकी चार बार जाँच होंगी जिससे 
उच्च जोखिम वाली माताओं का पता चलेगा जिससे होने वाली मातृ मृत्यु को कमी की जा सके। प्रत्येक माह 9 एवं 24 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में पंजीकृत गर्भवती माताओं सभी chc, phc एवं dh में लाकर जाँच करवाए। इसकी चार्ट बनाकर जाँच करें जिससे पता चलो कि कौन सी गर्भवती कब आई थी। उच्च जोखिम वाली माताओं की प्रसव पूर्व फॉलोअप करना अतिआवश्यक है और प्रसव उच्च संस्था में ही करें, ताकि जच्चा और बच्चा दोनों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। बैठक में कलेक्टर श्री कुणाल दुदावत, जिला पंचायत सीईओ श्री जयंत नाहटा, अपर कलेक्टर श्री राजेश पात्रे, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, खंड चिकित्सा अधिकारी, सभी सीएचसी-पीएचसी प्रभारी, मलेरिया, टीबी और सिकल सेल प्रभारी तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी उपस्थित रहे।

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