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अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिला

नयी दिल्ली. अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को मंगलवार को सिनेमा के क्षेत्र में सरकार का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्रदान किया गया। दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद, अभिनेता ने नस्लवादी टिप्पणियों को सहने से लेकर भारतीय फिल्म उद्योग के ‘‘सेक्सी, सांवले बंगाली बाबू'' की उपाधि पाने तक के अपने सफर को याद किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यहां विज्ञान भवन में 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान ‘मृगया', ‘डिस्को डांसर' और ‘प्रेम प्रतिज्ञा' जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुके चक्रवर्ती को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच चक्रवर्ती (74) ने अपने संबोधन में कहा, मैं भगवान से बहुत शिकायत करता था। मुझे कोई भी चीज थाली में परोस कर नहीं मिली, मैंने बहुत संघर्ष किया। मुझे ये सब ऐसे ही नहीं मिल गया। मैं कहता था भगवान, आपने मुझे नाम और शोहरत तो दी है, लेकिन इतनी सारी परेशानियां क्यों हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आज, यह पुरस्कार प्राप्त करने के बाद, मैंने शिकायत करना बंद कर दिया है। भगवान का शुक्र है, आपने ब्याज सहित मुझे सब कुछ वापस दे दिया।'' मिथुन चक्रवर्ती का असली नाम गौरांग चक्रवर्ती है। उन्हें वर्ष 2022 के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मृणाल सेन की 1976 में आई फिल्म ‘मृगया' से चक्रवर्ती ने फिल्मों में अभिनय की शुरुआत की थी जिसके लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता था। उन्होंने 1992 की फिल्म ‘तहादेर कथा' (सर्वश्रेष्ठ अभिनेता) और 1998 की फिल्म ‘स्वामी विवेकानंद' (सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता) के लिए भी दो और राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। चक्रवर्ती ने कहा कि लोगों ने उन्हें एक अभिनेता के रूप में स्वीकार किया, लेकिन उनके जीवन की सबसे बड़ी समस्या उनका ‘‘रंग'' था। अभिनेता ने कहा, ‘‘लोग कहते थे फिल्म इंडस्ट्री में काला रंग नहीं चलेगा। तुम क्या कर रहे हो इधर, तुम वापस जाओ। उन्होंने कहा, ‘‘लोग मुझे कालिया कहकर बुलाते थे। जितना अपमान हो सकता था, हुआ। मैं सोचता था कि मुझे क्या करना चाहिए?'' चक्रवर्ती ने कहा कि आखिरकार उन्हें एहसास हुआ कि नृत्य ही उनकी असली ताकत है। अभिनेता ने कहा कि उन्होंने 1982 की सुपरहिट फिल्म ‘‘डिस्को डांसर'' से अपने नृत्य कौशल को दर्शकों के सामने इस तरह से प्रदर्शित करने का फैसला किया कि वे ‘‘केवल मेरे पैरों को देखेंगे, मेरी त्वचा के रंग को नहीं।'' उन्होंने कहा, ‘‘और मैंने अपनी सभी फिल्मों में बिल्कुल यही किया। आखिरकार, लोग मेरी त्वचा के रंग को भूल गए और मैं सेक्सी, सांवला बंगाली बाबू बन गया।'' चक्रवर्ती 1982 की सुपरहिट फिल्म ‘डिस्को डांसर' में अपनी विशिष्ट नृत्य शैली से मशहूर हुए। उन्हें ‘आई एम ए डिस्को डांसर...' और ‘याद आ रहा है...' जैसे बेहद लोकप्रिय गीतों के माध्यम से भारत में डिस्को नृत्य के युग की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है। यह फिल्म चक्रवर्ती की उन गिनी चुनी फिल्मों में से एक है जिससे रूस, जापान और उज्बेकिस्तान समेत अन्य देशों में उनके प्रशंसक बने। इसके बाद उन्होंने ‘मुझे इंसाफ चाहिए', ‘हमसे है जमाना', ‘पसंद अपनी अपनी', ‘घर एक मंदिर', ‘कसम पैदा करने वाले की' और ‘कमांडो' जैसी कई हिट फिल्में दीं। वर्ष 1990 में अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘अग्निपथ' में भी उनके अभिनय को काफी सराहा गया। अपने संबोधन में चक्रवर्ती ने सिनेमा में अपने शुरुआती दिनों के किस्से साझा किए, जब उन्हें पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था। उन्होंने कहा, ‘‘आप सभी के आशीर्वाद से मैं पहले तीन बार इस मंच पर पहुंच चुका हूं। जब मुझे पहली बार पुरस्कार मिला था, तब के कुछ किस्से हैं जो मैंने आज तक साझा नहीं किए। इसलिए यह पहली बार होगा जब मैं आपको बताऊंगा कि मुझे पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिलने के बाद मेरे साथ क्या हुआ। अभिनेता ने कहा कि वह अपनी फिल्म की स्क्रीनिंग पर गए थे तो उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें किसी बड़े निर्माता की फिल्म में कास्ट किया जाएगा। चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘मुझे याद है कि लोग मेरी तारीफ करते हुए कहने लगे थे ‘वाह, तुम्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है।' मुझे घमंड हो गया, लगा कि मैंने वाकई कुछ बड़ा हासिल कर लिया है।'' चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘मैं उस व्यक्ति का नाम नहीं ले सकता, वह अब इस दुनिया में नहीं हैं...फिल्म देखने के बाद मैं उनके साथ चल रहा था। मैंने उनसे पूछा कि क्या आपको फिल्म पसंद आई, तो उन्होंने कहा फिल्म अच्छी है और तुम एक बेहतरीन अभिनेता हो। लेकिन मुझे आश्चर्य है कि तुम कपड़े पहनकर कैसे दिखोगे।'' अभिनेता ने कहा कि यह सुनकर वह हैरान रह गए। चक्रवर्ती ने याद करते हुए कहा, ‘‘तब मुझे समझ में आया कि मैंने फिल्म में एक आदिवासी की भूमिका निभाई है जो अपनी छाती नहीं ढकता। इसलिए वह सोच रहे थे कि मैं कपड़ों में कैसा दिखूंगा और उसके बाद ही वह मुझे फिल्म में लेंगे।'' चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘पुरस्कार पाने के बाद, मुझे लगा कि मैं (मशहूर अभिनेता) अल पचीनो बन गया हूं और यह मेरे रवैये में भी झलकने लगा। मैं एक निर्माता के कार्यालय में अजीब व्यवहार कर रहा था और उसे आश्चर्य होता था कि मैं ऐसा क्यों कर रहा हूं...लेकिन कुछ समय बाद, निर्माता ने मुझे कार्यालय से बाहर निकाल दिया। उस दिन से, मैंने अल पचीनो की तरह व्यवहार करना बंद कर दिया।'' उन्होंने भारत भर में उभरती प्रतिभाओं के लिए भी कुछ सुझाव साझा किए। अभिनेता ने कहा, ‘‘हमारे देश में कई प्रतिभाशाली लोग हैं, लेकिन उनके पास पैसा नहीं है। मैं उनसे कहना चाहूंगा कि आपके पास पैसा नहीं हो, लेकिन उम्मीद मत खोइए। सपने देखते रहिए। सोइए लेकिन अपने सपनों को सोने मत दीजिए।'' तीन सदस्यीय निर्णायक मंडल ने चक्रवर्ती को इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए चुना। निर्णायक मंडल में अभिनेत्री आशा पारेख, अभिनेत्री-नेत्री खुशबू सुंदर और फिल्मकार विपुल अमृतलाल शाह शामिल थे। यह सम्मान सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य चक्रवर्ती को तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किए जाने के कुछ महीने बाद मिला है। अभिनेता पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के पूर्व छात्र हैं। मिथुन ने मुख्य रूप से हिंदी और बांग्ला सिनेमा में काम किया है। पूर्व राज्यसभा सदस्य चक्रवर्ती 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए थे। वर्ष 2023 में वहीदा रहमान को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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