वैश्विक संकटों के बीच 2025 में संयुक्त राष्ट्र 80 वर्ष का हुआ, भारत बड़ी भूमिका निभाने को तैयार
संयुक्त राष्ट्र. दुनिया के कई इलाकों में जारी संघर्षों, वित्तीय संकट और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना के बीच, संयुक्त राष्ट्र ने 2025 में अपनी 80वीं वर्षगांठ मनाई, जबकि भारत ने विश्व निकाय से ‘‘नेतृत्व और आशा'' पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया और एक बड़ी भूमिका निभाने की इच्छा व्यक्त की। यूक्रेन और गाजा में संघर्ष, सूडान से लेकर म्यांमा तक दुनिया भर के कई अन्य हिस्सों में युद्ध की स्थिति ने 2025 में भी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में संयुक्त राष्ट्र और उसकी शक्तिशाली, लेकिन ध्रुवीकृत, सुरक्षा परिषद की अक्षमता को उजागर किया। जैसे-जैसे राष्ट्र मानवीय आपात स्थितियों, जलवायु संकट और आर्थिक असमानता से जूझ रहे हैं, वैसे-वैसे संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता पर सवाल और मुखरता से उठाए जा रहे हैं जिनमें प्रमुख सवाल यह है कि क्या 1945 में स्थापित 80 साल पुराने इस संगठन के पास 21वीं सदी में अस्थिर दुनिया की समस्याओं का समाधान है। इस पृष्ठभूमि में, भारत ने इस बहुपक्षीय संगठन में सुधार के लिए जोरदार आह्वान किया है। सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से विश्व नेताओं को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि एक ‘‘निष्पक्ष रिपोर्ट कार्ड'' से पता चलेगा कि संयुक्त राष्ट्र संकट की स्थिति में है। उन्होंने कहा, ‘‘जब संघर्षों से शांति खतरे में पड़ती है, जब संसाधनों की कमी से विकास पटरी से उतर जाता है, जब आतंकवाद से मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है, तब संयुक्त राष्ट्र गतिरोध में फंसा रहता है। आम सहमति बनाने की इसकी क्षमता कम होने के साथ-साथ बहुपक्षीय मंच के तौर पर इसके प्रति विश्वास भी घटता जाता है।'' भारत ने स्पष्ट रूप से दुनिया को बताया कि संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता में कमी का मुख्य कारण सुधारों का प्रतिरोध रहा है, और नयी दिल्ली विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अधिक जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार है, जो अपने वर्तमान 15 सदस्यों के साथ 2025 की दुनिया का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। जयशंकर ने कहा, ‘‘परिषद की स्थायी और अस्थायी दोनों प्रकार की सदस्यता का विस्तार किया जाना चाहिए। एक सुधार किये गए परिषद को सही मायने में प्रतिनिधि होना चाहिए। भारत अधिक जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार है।'' उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र का नौवां दशक नेतृत्व और आशा का दशक होना चाहिए। भारत अपनी पूरी भूमिका निभाएगा, और उससे भी अधिक करेगा।'' जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत अग्रणी भूमिका निभाना जारी रखेगा।

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