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लंदन फिल्म महोत्सव में ‘शोले' के 50 साल पूरे होने पर होगी विशेष स्क्रीनिंग

 लंदन. लंदन फिल्म महोत्सव अब तक की सबसे मशहूर बॉलीवुड फिल्म ‘‘शोले'' के 50 साल पूरे होने पर इसके विशेष प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है जिसमें निर्देशक द्वारा हटाये गये कुछ अंशों और फिल्म के मूल अंत को जोड़ते हुए इसे दिखाया जायेगा। ब्रिटिश फिल्म इंस्टीट्यूट (बीएफआई) का यह वार्षिक महोत्सव अगले सप्ताह से शुरू होगा। फर्स्ट फीचर प्रतियोगिता में लखनऊ में जन्मे अहमद अलाउद्दीन जमाल की ‘‘होटल लंदन'' और अनुपर्णा रॉय की पहली फिल्म ‘‘सॉन्ग्स ऑफ फॉरगॉटन ट्रीस'' भी शामिल हैं। रमेश सिप्पी निर्देशित ‘‘शोले'' 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी और इसने दर्शकों को जय-वीरू (अमिताभ बच्चन-धर्मेंद्र), ठाकुर (संजीव कुमार), गब्बर (अमजद खान), बसंती (हेमा मालिनी) और राधा (जया बच्चन) जैसे मशहूर किरदार दिए। अमिताभ बच्चन ने कहा, ‘‘फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन ने इसमें मूल रूप से कहानी का होने वाला अंत व कुछ हटाए गए दृश्य भी शामिल किए। जय की भूमिका हमेशा मेरे मन में अंकित रहेगी।'' उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘फिल्म की शूटिंग करना कभी न भुलाये जाने वाला अनुभव रहा किंतु उस समय मुझे यह जरा भी कल्पना नहीं थी कि यह भारतीय सिनेमा के लिए एक इतिहास बनेगी। इसे असफल घोषित करने से लेकर बॉक्स ऑफिस पर रिकार्ड तोड़ सफलता के नाटकीय बदलाव तक हम सभी के लिए भावनात्मक रूप से यह बड़ा उतार चढ़ाव भरा सफर रहा.... मुझे उम्मीद है कि यह फिल्म 50 साल बाद भी दुनिया भर में नयी पीढ़ी को आकर्षित करेगी।'' फिल्म के मूल अंत में ठाकुर द्वारा गब्बर सिंह को भयानक ढंग से मारा जाना था, जबकि प्रदर्शित की गयी फिल्म के अंत में ठाकुर गब्बर की जान लेने के बजाय उसे पुलिस को सौंप देते हैं। फिल्म में अमिताभ के करीबी मित्र वीरू की भूमिका निभाने वाले धर्मेंद्र ने कहा, ‘‘सलीम-जावेद के संवाद और रमेश सिप्पी का निर्देशन भला कौन भूल सकता है। (इसके) बहुत सारे दृश्य भारतीय सिनेमा का इतिहास बन गये हैं और हर पात्र एक सितारा बन गया है।'' उन्होंने कहा, ‘‘कुछ ही लोगों को मालूम होगा कि मुझे गब्बर और ठाकुर की भूमिका की पेशकश की गयी थी, किंतु मैं इस बात को लेकर स्पष्ट था कि मुझे वीरू की भूमिका ही निभानी है क्योंकि वह बहुत हद तक मेरे जैसा था। मैंने शूटिंग के दौरान बहुत मजा किया। मेरे पसंदीदा दृश्य टंकी वाला सीन और मंदिर वाले दृश्य और कई अन्य सीन हैं किंतु मुझे सबसे मजबूत दृश्य जय की मौत वाला लगता है जो आज भी मेरे मन पर अंकित है।'' सिप्पी फिल्म्स के निर्माता शहजाद सिप्पी ने बताया, ‘‘हमें तीन साल भले ही लग गये किंतु हम (फिल्म का) असली अंत और हटाये गये कुछ दृश्य पाने में कामयाब हो गये। इस फिल्म को फिर पिरोना एक ऐसी मेहनत है जिसे करना सभी पसंद करेंगे तथा यह मेरे पितामह जी पी सिप्पी के दृष्टिकोण और उनकी विरासत को श्रद्धांजलि है।'' ‘बीएफआई आईमैक्स' 19 अक्टूबर को इस ऐतिहासिक फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग की मेजबानी करेगा। यह ब्रिटेन की सबसे बड़ी स्क्रीन है।

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