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मूल स्वरूप से ज्यादा तेजी से फैलता है ओमीक्रोन का उपस्वरूप : शोध

 लंदन। सार्स-कोव-2 वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप का एक उपस्वरूप इसके मूल स्वरूप (वेरिएंट) से कहीं अधिक संक्रामक है। डेनमार्क में हुए एक नए शोध में यह दावा किया गया है। स्टेटेंस सीरम इंस्टीट्यूट (एसएसआई) के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने 8541 घरों में 17945 लोगों के बीच ओमीक्रोन के मूल स्वरूप (बीए.1) और उपस्वरूप (बीए.2) के प्रसार का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि बीए.2 वेरिएंट 39 फीसदी की मारक क्षमता के साथ लोगों को अपनी चपेट में लेता है, जबकि बीए.1 के मामले में यह आंकड़ा 29 प्रतिशत है। बीए.2 के कम समय में ज्यादा लोगों को संक्रमित करने की मुख्य वजह भी यही मानी जा रही है। एसएसआई के शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि पूर्ण टीकाकरण करा चुके या बूस्टर खुराक हासिल कर चुके लोगों के मुकाबले वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों के बीए.1 और बीए.2 से संक्रमित होने की आशंका काफी अधिक रहती है। हालांकि, अध्ययन की समीक्षा की जानी अभी बाकी है। इससे पता चला है कि बीए.2 से संक्रमित उन मरीजों के अन्य लोगों में वारयस का वाहक बनने का खतरा ज्यादा है, जिन्हें कोविड रोधी टीके की एक भी खुराक हासिल नहीं हुई है। शोध दल में यूनिवर्सिटी ऑफ कोपनहेगन, स्टैटिस्टिक्स डेनमार्क और टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क के शोधकर्ता भी शामिल थे।

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