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सत्ता पर कमजोर हुई राजपक्षे की पकड़, नवनियुक्त वित्त मंत्री का इस्तीफा

कोलंबो। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाले श्रीलंका के सत्तारूढ़ गठबंधन की मुश्किलें मंगलवार को तब और बढ़ गईं जब नव-नियुक्त वित्त मंत्री अली साबरी ने इस्तीफा दे दिया, वहीं दर्जनों सासंदों ने भी सत्तारूढ़ गठबंधन का साथ छोड़ दिया। उधर देश के सबसे बुरे आर्थिक संकट के दौरान राष्ट्र व्यापी विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला भी जारी है। राष्ट्रपति राजपक्षे ने अपने भाई बासिल राजपक्षे को बर्खास्त करने के बाद साबरी को नियुक्त किया था । बासिल सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) गठबंधन के भीतर आक्रोश की मुख्य वजह थे। राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र में साबरी ने कहा कि उन्होंने एक अस्थायी उपाय के तहत यह पद संभाला था।
 साबरी ने पत्र में लिखा, हालांकि, बहुत विचार-विमर्श के बाद वर्तमान स्थिति को मद्देनजर रखते हुए, मेरा विचार है कि महामहिम को उचित अंतरिम प्रबंध करने होंगे जिससे इस अभूतपूर्व संकट से निपटने के लिए नए, सक्रिय व असाधारण उपाय करने की जरूरत है जिनमें नए वित्त मंत्री को नियुक्त करना भी शामिल है।” साबरी उन चार मंत्रियों में शामिल हैं जिन्हें राष्ट्रपति ने सोमवार को नियुक्त किया था। इससे एक दिन पहले उनके सभी मंत्रिमंडलीय सहयोगियों ने इस्तीफा दे दिया था। डेली न्यूज ने पूर्व राज्य मंत्री निमल लांजा के हवाले से बताया कि इस बीच मंगलवार को सरकार का समर्थन करने वाले 50 से अधिक सांसदों के एक समूह ने तब तक संसद में एक स्वतंत्र समूह के रूप में कार्य करने का फैसला किया जब तक कि सरकार इस्तीफा नहीं देती और सत्ताधारी शक्तियों को एक सक्षम समूह को नहीं सौंपती। पूर्व मंत्री विमल वीरावांसा ने भी घोषणा की कि 10 दलों की सरकार में शामिल सांसद सरकार छोड़ देंगे और स्वतंत्र रहेंगे। संसद का चार दिवसीय सत्र मंगलवार सुबह शुरू हुआ, जिस दौरान विपक्ष ने संबंधित कैबिनेट मंत्रियों की अनुपस्थिति में दिन के एजेंडे को आगे बढ़ाने पर आपत्ति जताई। राष्ट्रपति राजपक्षे द्वारा पिछले सप्ताह आपातकाल की घोषणा के बाद से यह पहला सत्र था।
विपक्ष के वरिष्ठ नेता रानिल विक्रमसिंघे ने स्पीकर से कहा, “हमें दिन के एजेंडे को जारी रखने में समस्या है क्योंकि विषय मंत्रियों का नाम नहीं लिया गया है। एक अन्य विपक्षी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने कहा कि संसद को डिप्टी स्पीकर पद के लिए किसी को नियुक्त करना चाहिए क्योंकि रंजीत सियाम्बलपतिया ने सरकार के सहयोगी और पूर्व राष्ट्रपति सिरीसेना की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के सत्तारूढ़ गठबंधन से स्वतंत्र कार्य करने के फैसले के बाद इस्तीफा दे दिया था। मुख्य विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा ने सरकार से उन प्रदर्शनकारियों पर ध्यान देने का आग्रह किया जिन्हें उनके मुताबिक हाल के दिनों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने मौजूदा आर्थिक और राजनीतिक संकट पर बुधवार और बृहस्पतिवार को दो दिवसीय बहस पर फैसला करने के लिए दलीय नेताओं की एक बैठक बुलाई। सत्तारूढ़ गठबंधन ने 2020 के आम चुनावों में 150 सीटें जीती थीं और विपक्ष के सदस्यों के पाला बदलने से उसकी संख्या में और बढ़ोतरी हुई थी हालांकि इनमें से 41 सांसदों ने समर्थन वापस ले लिया है। इन 41 सासंदों के नामों की घोषणा उनके दलों के नेताओं ने संसद में की। वे अब स्वतंत्र सदस्य बन गए हैं, जिससे राजपक्षे के खेमे में सासंदों की संख्या 113 से कम हो गई है जो 225 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिये जरूरी है। सरकार ने हालांकि दावा किया कि उसके पास साधारण बहुमत है। श्रीलंका वर्तमान में इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। ईंधन, रसोई गैस के लिए लंबी लाइन, आवश्यक वस्तुओं की कम आपूर्ति और घंटों बिजली कटौती से जनता महीनों से परेशान है। सरकार के बजट पर हुए अंतिम वोट में सत्ताधारी गठबंधन को 225 में से 157 वोट मिले थे। एसएलपीपी सांसद रोहित अबेगुनावर्धना ने हालांकि कहा कि सरकार 138 सांसदों के समर्थन के साथ पूरी तरह से मजबूत है।

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