जलवायु परिवर्तन से सूखे की अवधि बढ़ेगी : संयुक्त राष्ट्र
बॉन (जर्मनी)। संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में आगाह किया कि मानव जनित जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे की आवृत्ति और अवधि में वृद्धि होती रहेगी जबकि दुनिया भर में अरबों लोग पहले से ही पानी की कमी से प्रभावित हैं। मरुस्थलीकरण संबंधी संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी अभी आइवरी कोस्ट के आबिदजान में विभिन्न पक्षों के एक सम्मेलन की मेजबानी कर रही है। एजेंसी का अनुमान है कि दुनिया की कुल आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा (2.3 अरब लोग) पहले से ही पानी की कमी का सामना कर रहे हैं और इस संख्या के 2050 तक दोगुनी हो जाने की आशंका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि कोई भी क्षेत्र सूखा से नहीं बचा है लेकिन अफ्रीका सबसे प्रभावित महाद्वीप है और अमेरिकी महाद्वीप, भारत तथा ऑस्ट्रेलिया में भी भविष्य में स्थिति चिंताजनक हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार पिछली शताब्दी में अफ्रीका महाद्वीप में 134 बार सूखा पड़ा जिसमें से आधे से अधिक सूखे पूर्वी अफ्रीका में दर्ज किए गए। एजेंसी के प्रमुख वैज्ञानिक बैरोन ऑर ने ‘एपी' से कहा कि सूखे से संबंधित आपदाओं से निपटने के लिए दुनिया को अधिक सक्रिय होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अफ्रीका को संकट से उबारने के लिए प्रत्यक्ष निवेश की जरूरत है ताकि उसे सूखे से निजात मिल सके। उन्होंने कहा कि 1998 से 2017 के बीच भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सूखे के कारण पांच प्रतिशत की कमी देखी गयी, वहीं सूखे के कारण 2002 से 2010 के बीच ऑस्ट्रेलिया की कृषि उत्पादकता में 18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
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