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रूस-यूक्रेन युद्ध पर ट्रंप का संकेत: बर्लिन बातचीत से शांति की उम्मीद जगी

 नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि रूस–यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की दिशा में बातचीत आगे बढ़ रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि कई महीनों से चल रही लड़ाई को रोका जा सकता है। ट्रंप ने यह बात बर्लिन में यूरोपीय नेताओं और यूक्रेनी अधिकारियों के साथ लंबी बातचीत के बाद कही।

 ट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने यूरोप के कई बड़े नेताओं से बहुत लंबी और अच्छी चर्चा की। इन बातचीतों में यूक्रेन युद्ध मुख्य विषय रहा। उन्होंने कहा कि अभी कुछ समय पहले ही यूरोपीय नेताओं के साथ उनकी बातचीत हुई है और हालात सही दिशा में जाते दिख रहे हैं।
 ट्रंप ने कहा कि उन्होंने सीधे यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और जर्मनी, इटली, नाटो, फिनलैंड, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, पोलैंड, नॉर्वे, डेनमार्क और नीदरलैंड के नेताओं से बात की। उन्होंने कहा कि ये सभी बातचीत गंभीर और आपसी तालमेल के साथ हुईं। राष्ट्रपति ने युद्ध में हो रही भारी जनहानि पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह युद्ध नहीं होना चाहिए था और इसे कभी शुरू ही नहीं होना चाहिए था। हर महीने हजारों सैनिक और आम लोग मारे जा रहे हैं।
 उन्होंने यह भी कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनकी कई बार बातचीत हुई है और अब शांति समझौते के और करीब पहुंचा जा रहा है। ट्रंप ने कहा, “हमने रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ कई बातचीत की है, और मुझे लगता है कि हम अब पहले से कहीं ज्यादा करीब हैं। उनका लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाना है। चुनौती दोनों पक्षों को “एक ही पेज पर” लाना है, और कहा, “मुझे लगता है कि यह काम कर रहा है।”
 ट्रंप ने कहा कि युद्ध में तबाही का स्तर बहुत बड़ा है और दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप में ऐसा नुकसान पहले कभी नहीं देखा गया। उन्होंने बताया कि यूरोपीय नेता भी चाहते हैं कि युद्ध जल्द खत्म हो और नाटो देशों के साथ सहयोग मजबूत बना हुआ है।
 सवालों के जवाब में ट्रंप ने यह भी माना कि राष्ट्रपति पुतिन भी अब युद्ध खत्म करना चाहते हैं और सामान्य जीवन की ओर लौटना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में दोबारा युद्ध न हो, इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था पर भी चर्चा चल रही है, जिसमें यूरोप की बड़ी भूमिका होगी।
 यूक्रेन में युद्ध अब चौथे साल में पहुंच चुका है और यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप का सबसे बड़ा संघर्ष बन गया है। इस युद्ध का असर दुनिया की ऊर्जा व्यवस्था, खाद्य आपूर्ति और सुरक्षा संबंधों पर पड़ा है। अमेरिका और नाटो देशों ने यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद दी है, वहीं युद्ध रोकने के कूटनीतिक प्रयास भी तेज हुए हैं। इस मामले में भारत ने भी लगातार बातचीत और कूटनीति के जरिए समाधान पर जोर दिया है। भारत ने रूस और यूक्रेन दोनों से संवाद बनाए रखा है और कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर युद्ध तुरंत रोकने और देशों की संप्रभुता का सम्मान करने की बात दोहराई है।

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