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पहली बार शिक्षा मंत्रालय को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया : केंद्र
नयी दिल्ली.  सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में शिक्षा की हिस्सेदारी बढ़ाए जाने की जरूरत पर विभिन्न दलों द्वारा बल दिए जाने के बीच सरकार ने बुधवार को संसद में कहा कि आगामी वित्त वर्ष के बजट में शिक्षा मंत्रालय को उसकी गतिविधियों के लिए पहली बार एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का रिकॉर्ड आवंटन किया गया है। शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों का जवाब देते हुए कहा कि आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए शिक्षा मंत्रालय को अपनी गतिविधियों के लिए पहली बार एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का रिकॉर्ड बजट आवंटित किया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में पहली बार बजट एक लाख करोड़ रूपये को पार कर गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों द्वारा शिक्षा में सार्वजनिक निवेश में पर्याप्त वृद्धि करने का स्पष्ट रूप से समर्थन और परिकल्पना है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य शिक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को जल्द से जल्द सकल घरेलू उत्पाद के छह प्रतिशत तक पहुंचाने के लिए मिलकर काम करते हैं तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसके कार्यान्वयन के लिए अलग-अलग समय-सीमा के साथ-साथ सिद्धांत और कार्यप्रणाली भी प्रदान करती है। सरकार ने कहा, ‘‘2017-18 से 2019-20 तक शिक्षा बजट व्यय का विश्लेषण प्रकाशन'' के अनुसार, 2019-20 में भारत में शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय (केंद्र और राज्य) जीडीपी का 4.39 प्रतिशत रहा जो वर्ष 2014-15 में 4.07 प्रतिशत था और इस अवधि के दौरान लगभग आठ प्रतिशत की समग्र वृद्धि हुयी है।'' उन्होंने कहा कि चूंकि शिक्षा समवर्ती सूची में है, अत: इसके लिए केंद्र और राज्यों के बीच सावधानीपूर्वक योजना, संयुक्त निगरानी और सहयोगात्मक कार्यान्वयन की आवश्यकता होती है। इस दौरान समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव सहित कई सदस्यों ने जीडीपी में शिक्षा की हिस्सेदारी में तेजी से वृद्धि किए जाने की जरूरत पर बल दिया। सरकार ने कहा कि जीडीपी की हिस्सेदारी के तौर पर भारत चीन से आगे है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कहा कि मातृभाषा इस नीति की प्राथमिक रणनीतियों में से एक है। उन्होंने कहा कि इस नीति में जोर दिया गया है कि किसी विद्यार्थी को उस भाषा में सीखने का मौका मिले जिसमें वह सबसे अधिक सहज है जो मातृभाषा या स्थानीय भाषा है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम की पुस्तकों का संबंधित भाषाओं में अनुवाद शुरू कर दिया है और 14 संस्थानों ने स्थानीय भाषा में पढ़ाई शुरू कर दी है।

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