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प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक रक्षा कंपनियों से भारत को विनिर्माण केंद्र बनाने का किया आह्वान

वडोदरा . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को भारतीय वायु सेना के लिए सी-295 सैन्य परिवहन विमान की विनिर्माण सुविधा की आधारशिला रखी। इसके साथ ही, उन्होंने वैश्विक रक्षा कंपनियों से दुनिया के लिए भारत में सैन्य साजो-सामान का निर्माण करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत ‘‘मेक इन इंडिया'' और ‘‘मेक फॉर द ग्लोब'' के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार की नीतियां ‘‘स्थिर, अनुमानित और भविष्योन्मुखी'' हैं जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है। पिछले साल सितंबर में 21,935 करोड़ रुपये के समझौते के तहत, टाटा समूह यूरोप की कंपनी एयरबस के सहयोग से वडोदरा इकाई में 40 सी-295 परिवहन विमान का विनिर्माण करेगा। समझौते के मुताबिक, उड़ान के लिए तैयार 16 विमानों को सितंबर, 2023 से लेकर अगस्त, 2025 के बीच भारतीय वायुसेना को सौंप दिया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल तथा रक्षा क्षेत्र की कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘‘आज हमने भारत को परिवहन विमान का विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।'' देश में यह अपनी तरह की पहली परियोजना है जिसमें एक सैन्य विमान का विनिर्माण निजी कंपनी की तरफ से किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत कम लागत वाले विनिर्माण और उच्च उत्पादन के अवसर पेश कर रहा है। आज भारत एक नयी सोच, एक नयी कार्य-संस्कृति के साथ काम कर रहा है।'' प्रधानमंत्री ने रक्षा क्षेत्र की कंपनियों से देश में विनिर्माण के लिए अनुकूल वातावरण का लाभ उठाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत परिवहन विमानों का एक प्रमुख निर्माता बनने जा रहा है और उन्हें वह दिन दिखाई दे रहा है जब देश में बड़े वाणिज्यिक विमान बनाए जाएंगे। भारत में यात्री और मालवाहक विमानों की बढ़ती मांग का उल्लेख करते हुए, मोदी ने कहा कि देश को अगले 15 वर्षों में 2,000 से अधिक विमानों की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द ग्लोब' के वादे को वडोदरा से नया प्रोत्साहन मिलेगा क्योंकि यह सुविधा भविष्य में अन्य देशों को निर्यात के लिए ऑर्डर लेने में सक्षम होगी। मोदी ने कहा कि वडोदरा में सी-295 विमान के विनिर्माण से न केवल सेना को ताकत मिलेगी बल्कि इससे विमानों के विनिर्माण का नया ‘इकोसिस्टम' भी तैयार होगा। मोदी ने कहा, ‘‘वडोदरा जो एक सांस्कृतिक और शिक्षा केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है, विमानन क्षेत्र के केंद्र के रूप में एक नयी पहचान बनाएगा।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘‘पिछले आठ वर्षों में'' 160 से अधिक देशों की कंपनियों ने भारत में निवेश किया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के विदेशी निवेश कुछ उद्योगों तक सीमित नहीं हैं बल्कि अर्थव्यवस्था के 61 क्षेत्रों में फैले हुए हैं और भारत के 31 राज्यों को कवर करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य 2025 तक अपने रक्षा निर्माण को 25 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक करना है। हमारा रक्षा निर्यात भी 5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो जाएगा।'' मोदी ने कहा कि भारत ने आज विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक ‘‘बड़ा कदम'' उठाया है, साथ ही देश लड़ाकू विमान, टैंक, पनडुब्बी, दवाएं, टीके, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल फोन और कार बना रहा है जो कई देशों में लोकप्रिय हैं। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की भारत की आकांक्षा में मील का पत्थर बताया। इन विमानों का विनिर्माण टाटा समूह और यूरोप की एयरोस्पेस कंपनी एयरबस का गठजोड़ करेगा। टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन ने कहा, ‘‘यह न केवल टाटा समूह के लिए बल्कि देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि यह भारत को वास्तव में आत्मनिर्भर देश बनाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है।'' एयरबस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गिलाउम फाउरी ने कहा कि उनकी कंपनी ‘‘भारत में एयरोस्पेस के लिए ऐतिहासिक क्षण'' में एक भूमिका निभाने को लेकर सम्मानित महसूस कर रही है। उन्होंने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा, ‘‘एयरबस की हमारी टीम सी-295 कार्यक्रम के साथ भारतीय वायु सेना के आधुनिकीकरण में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो देश में निजी रक्षा विनिर्माण क्षेत्र के विकास में भी योगदान देगा।'' इस संयंत्र में बनने वाले इन मध्यम दर्जे के परिवहन विमानों की आपूर्ति भारतीय वायुसेना को की जाएगी। इसके अलावा विदेशी बाजारों को भी ये विमान भेजे जाएंगे। पिछले साल सितंबर में भारत ने प्रमुख विमान विनिर्माता कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ समझौता किया था जिसके तहत वायुसेना के पुराने पड़ चुके परिवहन विमान एवरो-748 की जगह लेने के लिए एयरबस से 56 सी-295 विमानों की खरीद का प्रावधान था। एवरो विमानों को 1960 के दशक में सेवा में शामिल किया गया था। इस समझौते के तहत एयरबस स्पेन के सेविले स्थित अपनी असेंबली इकाई से 16 विमानों को पूरी तरह तैयार स्थिति में चार साल के भीतर भारत को सौंपेगी। बाकी 40 विमानों को भारत में ही टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) के सहयोग से बनाया जाएगा। वहीं, भारत में स्थानीय स्तर पर बनने वाला पहला सी-295 विमान वडोदरा विनिर्माण संयंत्र में सितंबर, 2026 तक तैयार हो जाएगा। बाकी 39 विमानों को अगस्त, 2031 तक बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। मोदी ने कहा कि परिचालन की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है और भारत लागत प्रतिस्पर्धात्मकता के साथ-साथ गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत कम लागत निर्माण और उच्च उत्पादन का अवसर प्रस्तुत कर रहा है।'' उन्होंने आगे कहा कि भारत में कुशल जनशक्ति का एक विशाल समूह है। मोदी ने कहा कि ‘‘एक समय'' प्रमुख विचार सेवा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना था क्योंकि विनिर्माण को पहुंच से बाहर माना जाता था। मोदी ने पिछली सरकार के ‘‘दृष्टिकोण'' पर भी अफसोस जताया, जहां विनिर्माण क्षेत्र को सब्सिडी के माध्यम से बमुश्किल क्रियाशील रखा गया था। उन्होंने कहा कि बिजली आपूर्ति या पानी की आपूर्ति जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपेक्षा की गई। उन्होंने कहा, ‘‘हमने निर्णय लेने के अस्थायी दृष्टिकोण को त्याग दिया है और निवेशकों के लिए विभिन्न नए प्रोत्साहनों के साथ आए हैं।'' भारतीय वायु सेना दुनिया भर में 35वां सी-295 ऑपरेटर बन जाएगा। अब तक, कंपनी को दुनिया में 285 ऑर्डर मिल चुके हैं जिनमें से 200 से अधिक विमानों की आपूर्ति की जा चुकी है। कुल 34 देशों के 38 ऑपरेटर की तरफ से ये ऑर्डर आए थे। वर्ष 2021 में, सी-295 विमानों ने पांच लाख से अधिक उड़ान घंटे दर्ज किए। भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने कहा कि इस संयंत्र में बनने वाला विमान उन्नत लैंडिंग ग्राउंड के अलावा कामचलाऊ हवाई-पट्टियों से भी उड़ान भर पाने में सक्षम होगा। एयरबस का यह परिवहन विमान पहली बार यूरोप से बाहर किसी देश में बनाया जाएगा। भारतीय वायुसेना के लिए निर्धारित 56 विमानों की आपूर्ति करने के बाद एयरबस को इस संयंत्र में तैयार विमानों को दूसरे देशों के असैन्य विमान परिचालकों को भी बेचने की इजाजत होगी। हालांकि, दूसरे देशों में इन विमानों की मंजूरी के पहले एयरबस को भारत सरकार से मंजूरी लेनी होगी। छोटी या आधी-अधूरी हवाई पट्टियों से परिचालन की प्रमाणित क्षमता के साथ, सी-295 का इस्तेमाल 71 सैनिकों या 50 पैराट्रूपर्स के सामरिक परिवहन के लिए और उन स्थानों पर साजो सामान पहुंचाने के अभियान के लिए किया जाता है जो वर्तमान भारी विमानों के लिए सुलभ नहीं हैं। विमान पैराट्रूप्स और सामग्री को एयरड्रॉप कर सकता है, और इसका इस्तेमाल हताहत या चिकित्सा निकासी के लिए भी किया जा सकता है। विमान विशेष मिशन के साथ-साथ आपदा प्रतिक्रिया और समुद्री गश्ती दायित्वों को पूरा करने में सक्षम है। टाटा कंसोर्टियम द्वारा विमान का एक एकीकृत प्रणाली के रूप में परीक्षण किया जाएगा। विमान का उड़ान परीक्षण किया जाएगा और टाटा कंसोर्टियम सुविधा में एक वितरण केंद्र के माध्यम से वितरित किया जाएगा। इस परियोजना से प्रत्यक्ष रूप से 600 उच्च कुशल नौकरियां, 3,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार और एयरोस्पेस तथा रक्षा क्षेत्र में 42.5 लाख से अधिक मानव कार्य घंटे के साथ 3000 अतिरिक्त मध्यम-कौशल स्तरीय रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। परियोजना के लिए स्पेन में एयरबस सुविधा में लगभग 240 इंजीनियरों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

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