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  शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने पर करें नींबू और अजवाइन का सेवन.....
 यूरिक एसिड शरीर में जमा होने वाला एक विषाक्त पदार्थ होता है। यूरिक एसिड प्यूरीन नामक प्रोटीन के टूटने से बनता है। शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर कई गंभीर परेशानियों का खतरा बढ़ जाता है। खानपान में गड़बड़ी और खराब जीवनशैली के कारण शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने का खतरा रहता है। इसकी वजह से जोड़ों में दर्द, सूजन, थकान और गठिया जैसी समस्या का खतरा रहता है। इन समस्याओं से बचने के लिए शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कंट्रोल में रखना चाहिए। यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए नींबू के साथ अजवाइन का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।
 हाई यूरिक एसिड में नींबू और अजवाइन के फायदे 
 नींबू और अजवाइन में मौजूद गुण और पोषक तत्व शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और यूरिक एसिड कम करने में मदद करते हैं। आप रोजाना सुबह क समय इसका सेवन कर हाई यूरिक एसिड की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।"
 हाई यूरिक एसिड में नींबू के फायदे
-नींबू में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण यूरिक एसिड कम करने में मदद करते हैं
-पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद
-पेशाब से जुड़ी समस्याओं के खतरे को कम करे
-हाई यूरिक एसिड में अजवाइन के फायदे
-अजवाइन में मौजूद विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट यूरिक एसिड घटाने में मददगार
-पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं में फायदेमंद
-यूटीआई और यूरिन से जुड़ी समस्याओं में फायदेमंद
 हाई यूरिक एसिड में कैसे करें नींबू और अजवाइन का सेवन?
यूरिक एसिड की समस्या से छुटकारा पाने के लिए रोजाना सुबह के समय गुनगुने पानी में एक चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच अजवाइन का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा रोजाना सुबह के समय अजवाइन की चाय में नींबू का रस डालकर पीने से भी फायदा मिलेगा। हाई यूरिक एसिड के अलावा आप वजन कम करने, पेट और पाचन से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए भी इसका सेवन कर सकते हैं।
 शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर आपको खानपान और जीवनशैली में सुधार जरूर करना चाहिए। शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर प्यूरीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे फूड्स जिनमें प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है उसका सेवन बहुत कम मात्रा में करना चाहिए। गठिया या जोड़ों से जुड़ी समस्या में मरीज को खानपान के साथ एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स और स्टेरॉयड आदि के सेवन की सलाह दी जाती है। ऐसी स्थिति में मरीजों को खानपान के साथ नियमित रूप से व्यायाम या योग आदि का अभ्यास करना चाहिए।

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