6 करोड़ के सिंहासन पर विराजमान हुईं राधा-रानी...बरसाना में भक्तों ने दान किया स्वर्ण -रजत सिंहासन....10 ज्वैलर्स ने 6 महीने में बनाया
- हीरों से जडि़त इस सिंहासन में 55 किलो चांदी और 5 किलो सोने का प्रयोग
मथुरा (उप्र)। राधारानी के एक भक्त ने मथुरा के बरसाना में हीरे और सोने-चांदी से जडि़त सिंहासन भेंट किया है। हीरों से जडि़त इस सिंघासन में 55 किलो चांदी और पांच किलो सोने का प्रयोग किया गया है। गुरुवार की सुबह राधारानी ने इस सिंहासन पर विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए। इस सिंहासन को दिल्ली के श्री ब्रज हरि संकीर्तन मंडल के बब्बू भैया ने भेंट किया है। इसको तैयार करने में छह महीने का समय लगा और दिल्ली के दस ज्वैलर्स ने तैयार किया है। भक्त सिंहासन में राधा रानी को विशेष उत्सव में देख सकेंगे।
संकीर्तन मंडल के सदस्य बृज बिहारी शर्मा ने बताया कि बब्बू भैया 52 वर्षों से बिना रुपये लिए घरों में भजन कीर्तन का गायन कर रहे हैं। श्रीजी (राधारानी) की प्रेरणा से हीरों से जडि़त स्वर्ण-रजत सिंहासन बनवाने का निर्णय लिया गया। सिंहासन को बनवाने के लिए प्रस्ताव बब्बू भैया ने संकीर्तन मंडल के समक्ष रखा तो सभी ने इसे बनवाने का निर्णय लिया। सिंहासन बनाने में करीब छह करोड़ रुपये की लागत आई है।
लोगों से चंदा एकत्र कर इसे बनवाया गया है। इसमें 10 लाख के हीरे जड़े हैं। सिंहासन का निर्माण कराकर राधारानी के चरणों में बुधवार दोपहर समर्पित किया गया। गुरुवार को राधारानी ने नव निर्मित सिंहासन में विराजमान होकर भक्तों पर कृपा बरसाई। इस दौरान मंदिर को भव्य फूल बंगला भी सजाया जाएगा। राधारानी के विराजमान होने की खुशी में मंदिर परिसर में दो दिनों तक भंडारे का आयोजन किया जा रहा है।
सिर्फ विशेष उत्सव में विराजमान होंगी राधा रानी
वहीं मंदिर के रिसीवर संजय गोस्वामी का कहना है कि सिंहासन चार फीट चौड़ा और पांच फीट ऊंचा है। उसको मंदिर में बने तहखाने में रखा जाएगा और सिर्फ विशेष उत्सव पर ही बाहर लाया जाएगा। भक्त होली, राधा अष्टमी ,सावन का महीना ऐसे मौके पर दर्शन कर सकेंगे। सिंहासन के वजन और सुरक्षा कारणों की वजह से रोजाना राधा रानी को इसमें विराजमान संभव नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि राधा रानी अपने पिता ब्रसभानु का महल है। यहां पर राधा रानी बाल स्वरूप में कान्हा के साथ विराजमान है।
भक्तों की अटूट श्रद्धा है बरसाना की राधा रानी में
ब्रहमांचल पर्वत पर स्थित राधा रानी के मंदिर में दर्शन करने के लिए प्रतिदिन भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। उनके प्रति लोगों में अटूट श्रद्धा है। भक्तों का ऐसा मानना है कि भगवान श्री कृष्ण तो ब्रज को छोड़कर चले गए लेकिन आज भी राधा-रानी ब्रज में ही वास करती हैं। इसी वजह से ब्रजवासी भगवान कृष्ण का नाम लेने से पहले राधा रानी का नाम लेते हैं। भगवान श्री कृष्ण की अति प्रिय राधा रानी को ब्रज की सरकार कहा जाता है। मथुरा के बरसाना में राधा रानी का महल है, जो श्री जी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
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