केंद्र ने देश भर में पंद्रह सौ से अधिक शहरी सहकारी बैंकों को मजबूत बनाने के लिए चार महत्वपूर्ण पहलों की घोषणा की
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने देश के एक हज़ार 514 शहरी सहकारी बैंकों को मजबूती प्रदान करने के लिए चार महत्वपूर्ण पहलों की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की "सहकार से समृद्धि" की दृष्टि को कार्यरूप देने के लिए गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रिजर्व बैंक के गवर्नर के बीच बातचीत के बाद इन उपायों को अधिसूचित किया गया है। इन उपायों में शहरी सहकारी बैंकों को नई शाखाएं खोलने की अनुमति देना, वाणिज्यिक बैंकों की ही तरह इन बैंकों का एकमुश्त निपटान करना, प्राथमिकता वाले क्षेत्र में ऋण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए दो वर्ष का अतिरिक्त समय देना और रिजर्व बैंक में एक नोडल अधिकारी नामित करना शामिल हैं।
सहकारिता मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा कि शहरी सहकारी बैंक अब रिजर्व बैंक से अनुमति लिए बिना ही अनुमोदित इलाकों में प्रत्येक वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत नई शाखाएं खोल सकेंगे। इसके लिए इन बैंकों को अपने बोर्ड से मंजूरी लेनी होगी और कुशल वित्तीय प्रबंधन करना होगा। मंत्रालय ने कहा है कि अब सहकारी बैंक बोर्ड से मंजूरी के बाद ऋण माफी और समाधान प्रक्रिया तकनीकी रूप से शुरू कर सकेंगे।
इन उपायों के बाद अब सहकारी बैंक भी अन्य वाणिज्यिक बैंकों की बराबरी में आ गए हैं। मंत्रालय ने कहा है कि रिजर्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ऋण देने का लक्ष्य पूरा करने की समय-सीमा दो वर्ष बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक कर दी है।
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