स्वास्थ्य सेवा एक ऐसा पेशा जहां पैसा कमाने के लक्ष्य से समाज कल्याण संभव नहीं है: राष्ट्रपति
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा एक ऐसा पेशा है, जहां पैसा कमाना ही यदि मुख्य लक्ष्य हो तो समाज का कल्याण संभव नहीं है, इसीलिए स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पेशेवरों को अपने कर्तव्य का निर्वहन करते समय करुणा, दयालुता और परोपकार के मूल्यों को अपना चारित्रिक गुण बनाना होगा। उन्होंने यह टिप्पणी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालयों के छात्रों और मेडिकल/गैर-मेडिकल परामर्शदाताओं के एक समूह से बातचीत के दौरान की। ये सभी यहां राष्ट्रपति भवन में मुर्मू से मुलाकात करने आए थे। यह समूह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर वैद्यकीय प्रतिष्ठान के ‘सेवांकुर भारत कार्यक्रम' के तहत दिल्ली में है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में मुर्मू के हवाले से कहा गया है, ‘‘स्वास्थ्य सेवा एक ऐसा पेशा है, जहां पैसा कमाना मुख्य लक्ष्य होने पर समाज का कल्याण संभव नहीं है। यही कारण है कि स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को अपने कर्तव्य का निर्वहन करते समय करुणा, दयालुता और परोपकार के मूल्यों को अपना चरित्र बनाना होगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम बाबासाहेब आंबेडकर के जीवन से सीख सकते हैं कि अपनी व्यक्तिगत सफलता का उपयोग समाज के कल्याण के लिए कैसे किया जाए। हमें बाबा साहेब के आदर्शों पर चलते हुए सामाजिक न्याय, समानता और बंधुत्व के लिए काम करना चाहिए।'' राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर वैद्यकीय प्रतिष्ठान पिछले तीन दशकों से जन कल्याण की भावना से जरूरतमंदों को कम दरों पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए काम कर रहा है। बयान में कहा गया, "यह कौशल विकास, रोजगार सृजन और एसएचजी (स्वयं सहायता समूहों) के सशक्तीकरण के लिए भी काम कर रहा है। उन्होंने सामाजिक सेवा और राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए इस प्रतिष्ठान की सराहना की।" बयान में कहा गया है कि यह प्रतिष्ठान युवाओं को सार्वजनिक सेवा का मार्ग भी दिखा रहा है और उनके बीच 'राष्ट्र प्रथम' की भावना को मजबूत कर रहा है।
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