धर्मेंद्र प्रधान ने बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिए 52 लघु पाठ्यपुस्तकों को जारी किया
नयी दिल्ली. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बच्चों को अपनी मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा के लिए शनिवार को जनजातीय भाषाओं सहित भारतीय गैर-अनुसूचित भाषाओं में 52 लघु पाठ्यपुस्तकें जारी की। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय गैर-अनुसूचित भाषाओं में 52 लघु पाठ्यपुस्तकें युवा शिक्षार्थियों के लिए एक परिवर्तनकारी कदम बनने जा रही हैं, विशेष रूप से बच्चों की शुरुआती शिक्षा के लिए, जो उन्हें उनकी मातृभाषा, स्थानीय भाषा में शिक्षा तक पहुंच प्रदान करेगा।'' प्रधान ने कहा, ‘‘यह बच्चों के लिए एक प्रेरणादायक यात्रा शुरू करेगा। यह गहरी समझ, निरंतर सीखने और स्वदेशी संस्कृति से जुड़ाव के साथ शिक्षा के साथ अन्य क्षेत्रों में बड़ी सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।'' छात्रों को किसी विषय से परिचित कराने के लिए लघु पाठ्यपुस्तकें राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर के सहयोग से तैयार की गई हैं। गैर-अनुसूचित भाषाएं भारत में बोली जाने वाली अन्य सभी भाषाओं को संदर्भित करती हैं जिन्हें आधिकारिक मान्यता नहीं दी गई है। मंत्री ने कहा, ‘‘भारतीय भाषाओं में 52 प्रारंभिक पाठ्यपुस्तकों ने एक नयी सभ्यता के पुनर्जागरण की शुरुआत का मार्ग तैयार किया है। ये पहल एक निर्बाध और भविष्यवादी शिक्षण परिदृश्य तैयार करेगी, भारतीय भाषाओं में सीखने को बढ़ावा देगी, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के दृष्टिकोण को साकार करेगी और स्कूली शिक्षा को समग्र रूप से बदल देगी।'' उन्होंने कहा कि यह पहल एनईपी-2020 के अनुरूप, सभी स्तरों पर शिक्षा में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के अनुरूप है। मंत्री ने शिक्षकों और शिक्षार्थियों के सशक्तीकरण तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को अधिक समावेशी, नवीन और तर्कसंगत बनाने के उद्देश्य से उत्कृष्टता के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डीआईईटी), शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक, परामर्श के लिए राष्ट्रीय मिशन की भी घोषणा की। राष्ट्रीय विद्या समीक्षा केंद्र का राज्य इकाइयों और 200 टीवी डीटीएच चैनलों के साथ एकीकरण का भी निर्णय लिया गया है।
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