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वो दिन दूर नहीं जब भारत सेमीकंडक्टर क्षेत्र में वैश्विक शक्ति बन जाएगा : प्रधानमंत्री

धोलेरा/गुवाहाटी . प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को भारत में 1.25 लाख करोड़ रुपये की लागत वाले तीन सेमीकंडक्टर केंद्रों की आधारशिला रखी, जिनमें असम के मोरीगांव में 27 हजार करोड़ रुपये के खर्च पर बनने वाला केंद्र भी शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश सेमीकंडक्टर क्षेत्र में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब देश इस क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति बन जाएगा।
    गुजरात और असम में तीन सेमीकंडक्टर केंद्रों की ऑनलाइन माध्यम से आधारशिला रखने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा। प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकारों पर देश की क्षमता, प्राथमिकताओं और भविष्य की जरूरतों को नहीं समझने तथा भारत के सेमीकंडक्टर सपनों को वास्तविकता में बदलने में विफल रहने का आरोप लगाया। इन तीन सेमीकंडक्टर केंद्रों में दो गुजरात में और एक असम में है। मोदी ने देश को सेमीकंडक्टर विनिर्माण का केंद्र बनाने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता का उल्लेख करते हुए कहा कि जब भारत वादा करता है, तो उसे पूरा भी करता है। उन्होंने कहा कि चिप विनिर्माण असीम संभावनाओं के साथ विकास का द्वार खोलता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “दो साल पहले, हमने एक सेमीकंडक्टर मिशन का ऐलान किया था और घोषणा की थी कि हम पहल करेंगे। कुछ ही महीनों में हमने ‘एमओयू' पर हस्ताक्षर किए और आज हम तीन परियोजनाओं का शिलान्यास कर रहे हैं। भारत वादा करता है, तो उसे भी पूरा करता है...।'' उन्होंने कहा कि भारत सेमीकंडक्टर विनिर्माण में पहले ही दशकों पीछे है, लेकिन अब एक भी पल नहीं गंवाएगा। मोदी ने आरोप लगाया कि भारत के सेमीकंडक्टर को लेकर पहली बार 1960 के दशक में सपने देखे गए थे, लेकिन संकल्पों को उपलब्धियों में बदलने की इच्छाशक्ति और प्रयासों की कमी के कारण तत्कालीन सरकारें उन पर कार्रवाई करने में विफल रहीं। उन्होंने कहा, “भारत ने पहली बार 1960 के दशक में सेमीकंडक्टर निर्माण का सपना देखा था। लेकिन इसके बाद भी तत्कालीन सरकारों ने उन अवसरों का लाभ नहीं उठाया। इसके पीछे सबसे बड़े कारण थे इच्छाशक्ति की कमी, संकल्प को उपलब्धि में बदलने के लिए प्रयास की कमी और देश के लिए दूरदर्शी निर्णय लेने की क्षमता का अभाव।” उन्होंने आरोप लगाया कि इस वजह से भारत का सेमीकंडक्टर बनाने का सपना सपना ही रह गया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जो लोग उन सरकारों में थे, उन्होंने कहा कि जल्दबाजी की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह भविष्य की जरूरत है। वे भारत की गरीबी के पीछे छिपकर आधुनिक जरूरतों के ऐसे तमाम निवेशों को नजरअंदाज करते रहे। वे हजारों करोड़ के घोटाले कर लेते थे लेकिन सेमीकंडक्टर विनिर्माण में निवेश नहीं कर पाए।” उन्होंने कहा कि ऐसी सोच से कोई भी देश विकास नहीं कर सकता।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए हमारी सरकार दूरदर्शी सोच और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण के साथ काम कर रही है। आज हम सेमीकंडक्टर क्षेत्र में विकसित देशों से प्रतिस्पर्धा करने की महत्वाकांक्षा के साथ आगे बढ़ रहे हैं।” मोदी ने कहा, “दुनिया में केवल कुछ ही देश सेमीकंडक्टर का निर्माण कर रहे हैं और कोविड-19 ने हमें एक विश्वसनीय और लचीली आपूर्ति शृंखला बनाने का सबक सिखाया है। भारत इस दिशा में बहुत बड़ी भूमिका निभाने को उत्सुक है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “आने वाले समय में हम सेमीकंडक्टर उत्पादों का व्यावसायिक उत्पादन शुरू करेंगे। वह दिन दूर नहीं जब भारत इस क्षेत्र में भी वैश्विक शक्ति बन जाएगा।” उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी प्रौद्योगिकी की शताब्दी है और हम इलेक्ट्रॉनिक चिप के बिना इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। ‘मेड इन इंडिया' और ‘डिजाइन इन इंडिया' चिप भारत को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने की बड़ी क्षमता पैदा करेंगी...।'' मोदी ने कहा कि भारत को उनकी सरकार द्वारा लिए गए फैसलों और नीतियों से रणनीतिक लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने 40 हजार नियमों को हटाकर कारोबार में आसानी को बढ़ावा दिया है और रक्षा, बीमा तथा दूरसंचार क्षेत्र में एफडीआई नीतियों को उदार बनाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने हाल के दिनों में पीएलआई (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना) के जरिए इलेक्ट्रॉनिक और हार्डवेयर विनिर्माण में अपनी स्थिति और मजबूत की है। उन्होंने कहा, “आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन विनिर्माता बनकर उभरा है। यह नवाचार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता मिशन को प्रोत्साहित करने के लिए भी काम कर रहा है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि सेमीकंडक्टर उद्योग के सबसे बड़े लाभार्थी देश के युवा होंगे। उन्होंने कहा कि चिप निर्माण सिर्फ एक उद्योग नहीं है, बल्कि यह विकास का द्वार खोलता है जो असीम संभावनाओं से भरा है। मोदी ने कहा कि यह क्षेत्र न केवल भारत के लिए नौकरियां पैदा करेगा, बल्कि प्रौद्योगिकी भी विकसित करेगा। उन्होंने कहा कि भारत इतने कम समय में ही दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ‘‘स्टार्ट-अप इकोसिस्टम'' बन चुका है और “इस कार्यक्रम के बाद, सेमीकंडक्टर क्षेत्र हमारी स्टार्ट-अप प्रणाली के लिए नए अवसर पैदा करेगा।” प्रधानमंत्री ने गुजरात के धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (डीएसआईआर) में सेमीकंडक्टर निर्माण केंद्र और साणंद में ‘आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट' केंद्र (ओएसएटी) की आधारशिला रखी। इसके अलावा उन्होंने असम के मोरीगांव में ओएसएटी परियोजना का भी ऑनलाइन तरीके से शिलान्यास किया।
धोलेरा में शिलान्यास समारोह में रेलवे, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और टाटा संस समूह के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन ने भाग लिया। वहीं, असम के जगीरोड में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि आज असम और पूर्वोत्तर के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। इस अवसर पर शर्मा ने कहा “यह पहली बार है कि राज्य में इतनी बड़ी राशि (27,000 करोड़ रुपये) का निवेश किया जा रहा है, जो असम व पूर्वोत्तर को देश के औद्योगिक मानचित्र पर जगह दिलाएगा। यह प्रधानमंत्री मोदी की पहल के चलते ही संभव हुआ है।” उन्होंने कहा कि यह असम के लोगों के लिए एक ‘भावनात्मक दिन' है क्योंकि यह केंद्र हिंदुस्तान पेपर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के स्थल पर स्थापित किया जा रहा है, जिसे राज्य में बंद करना पड़ा था। शर्मा ने कहा, “लोग एचपीसीएल के बंद होने से बहुत दुखी थे। हालांकि, मैंने संभावनाओं की तलाश की और अब विकास का एक नया युग आ गया है।”

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