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इसरो के वैज्ञानिकों ने ‘एलवीएम3-एम5' मिशन के क्रायोजेनिक चरण में महत्वपूर्ण प्रयोग किया

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) . इसरो के वैज्ञानिकों ने ‘एलवीएम3-एम5' रॉकेट के स्वदेश निर्मित सी25 क्रायोजेनिक चरण पर एक नया प्रयोग किया है, जिसने रविवार को संचार उपग्रह ‘सीएमएस-03' को इच्छित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष वी. नारायणन ने सफल प्रक्षेपण के बाद मिशन नियंत्रण केंद्र से अपने संबोधन में कहा कि वैज्ञानिकों ने यान के इच्छित कक्षा में पहुंचने के बाद 43.5 मीटर लंबे रॉकेट के सी25 क्रायोजेनिक चरण में ‘थ्रस्ट चैंबर' को फिर से प्रज्वलित किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक महत्वपूर्ण प्रयोग की भी घोषणा करना चाहूंगा जो हमने किया है। पहली बार, स्वदेशी रूप से विकसित सी25 क्रायोजेनिक चरण को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करने के बाद, हमने ‘थ्रस्ट चैंबर' को सफलतापूर्वक पुनः प्रज्वलित कर दिया है।'' भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष ने कहा कि ‘थ्रस्ट चैंबर' के पुनः प्रज्वलन से वैज्ञानिकों को भविष्य के अभियानों में विभिन्न कक्षाओं में अनेक उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक महान प्रयोग होने जा रहा है, जो भविष्य में क्रायोजेनिक चरण को पुनः शुरू करने के लिए डेटा उपलब्ध कराएगा, जिससे ‘बाहुबली' रॉकेट एलवीएम3 का उपयोग कर विभिन्न कक्षाओं में अनेक उपग्रहों को प्रक्षेपित करने की दिशा में मिशन का लचीलापन बढ़ेगा।'' एलवीएम3 के मिशन निदेशक टी. विक्टर जोसेफ ने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों ने क्रायोजेनिक इंजन को पुनः प्रज्वलित करने का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को बधाई, एलवीएम3 के लगातार आठवें सफल मिशन के लिए। और इस बार इस यान ने भारतीय धरती से सबसे भारी संचार उपग्रह ‘सीएमएस-03' को आवश्यक कक्षा में स्थापित कर दिया है।'' जोसेफ ने कहा, ‘‘इस त्रुटिरहित मिशन में (यान की) प्रत्येक प्रणाली की सावधानीपूर्वक जांच करने के लिए सभी टीम सदस्यों की विशेष सराहना। प्रणाली विकास एजेंसियों, सभी जमीनी वाहन केंद्रों, उद्योग भागीदारों, कलपुर्जों को जोड़ने वाली और एकीकरण टीमों, तकनीकी सुविधा समूहों को मेरा हार्दिक धन्यवाद।'' इस बीच, मिशन नियंत्रण केंद्र में मिशन की सफलता की आधिकारिक पुष्टि के तुरंत बाद वैज्ञानिकों द्वारा जश्न न मनाए जाने से कुछ संदेह पैदा हो गए। बाद में, प्रेस वार्ता के दौरान नारायणन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने सफलता का तुरंत जश्न नहीं मनाया, क्योंकि वे ‘महत्वपूर्ण प्रयोग' करने की प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सीएमएस-05 उपग्रह को एलवीएम3 ‘बाहुबली' रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग करने के बाद, वैज्ञानिक योजना के अनुसार वैज्ञानिक प्रयोग करने की प्रतीक्षा कर रहे थे। नारायणन ने कहा, ‘‘हम उपग्रह सीएमएस-05 के अलग होने का धैर्यपूर्वक इंतजार कर रहे थे। इसके अलग होने के बाद, हमने क्रायोजेनिक चरण में प्रयोग किया। इसके लिए हमने धैर्यपूर्वक इंतजार किया और बाद में प्रयोग किया।'' इससे पहले, 4,410 किलोग्राम वजनी सबसे भारी संचार उपग्रह ‘सीएमएस-03' को ‘एलवीएम3-एम5' रॉकेट द्वारा सफलतापूर्वक इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया गया।

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