21वीं सदी के मानवीय विकास के प्रबंधन की चुनौतियां निरंतर कठिन होती जा रही हैं: तोमर
भोपाल. मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि 21वीं सदी के मानवीय विकास के प्रबंधन की चुनौतियां निरंतर कठिन होती जा रही हैं क्योंकि यह युग प्रौद्योगिकी का है। उन्होंने कहा कि रोजमर्रा की जिंदगी में कृत्रिम मेधा (एआई) का हस्तक्षेप मानवीय प्रभुता और संवेदनाओं को चुनौती दे रहा है तथा रोबोट संस्कृति राजनैतिक और सामाजिक सरोकारों की दिशाओं में नई-नई जटिलताएं पैदा कर रही है। तोमर मध्यप्रदेश की प्रथम विधानसभा की बैठक के 70 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र की एकदिवसीय बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस विशेष बैठक में मध्यप्रदेश को विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने पर चर्चा आरंभ होने से पहले सदन को संबोधित करते हुए कहा तोमर ने उपरोक्त मौजूदा चुनौतियों के आर्थिक, तकनीकी और वैज्ञानिक पहलुओं पर निरंतर समीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘‘यह समझना जरूरी है ताकि अगली पीढ़ी के समक्ष मौजूद चुनौतियों के मुताबिक विकास का एजेंडा तय किया जा सके। यह विशेष सत्र इसी तारतम्य में आहूत किया गया है।'' अध्यक्ष ने भरोसा जताया कि इस विशेष सत्र में ‘‘अपने नेक इरादे, साफ नीयत, जनहित और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखकर हम मध्यप्रदेश की जनता की भलाई के लिए एक नया इतिहास लिख सकेंगे।'' तोमर ने कहा कि एक नवंबर 1956 को गठित मध्यप्रदेश विधानसभा की पहली बैठक 17 दिसंबर को सम्पन्न हुई थी और उसके बाद 16वीं विधानसभा के वर्तमान कालखंड तक पिछले 69 वर्षों के दरम्यान मध्यप्रदेश में 191 बार सदन के सत्र आहूत हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि सदन की 192वीं बैठक के रूप में आहूत सोलहवीं विधान सभा का यह विशेष सत्र राज्य की आठ करोड़ जनता के समग्र विकास और उनके जीवन उन्नयन के लिये समर्पित है।
साथ ही यह वक्त बीते 70 वर्षों के दरम्यान मध्यप्रदेश में निर्वाचित पक्ष और विपक्ष के सभी 4499 विधायकों को स्मरण करने और उन्हें सराहने का भी है। तोमर ने कहा, ‘‘संसद या विधानसभा को लोकतंत्र का मंदिर माना जाता है और लोकतंत्र में विधानसभा वही स्थान है, जो धर्म में ईश्वर का होता है। लोकतंत्र में आम जनता से जुड़े हर मसले पर विचार-विमर्श का केन्द्र बिन्दु विधायिका ही है।'' नीति आयोग के सतत विकास के लक्ष्यों के लिये निर्धारित ‘इंडिया इंडेक्स' वर्ष 2023-24 के आंकड़ों का हवाला देते हुए तोमर ने कहा कि मध्यप्रदेश इसमें अव्वल रहा है लेकिन इससे संतुष्ट नहीं रहा जा सकता। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की आठ करोड़ जनता के लिये अपेक्षित गतिशीलता पाना तभी संभव है, जब पक्ष-विपक्ष के सभी विधायक सदन के विशेष सत्र में ‘‘विकसित मध्यप्रदेश वर्ष 2047 के विज़न डॉक्यूमेंट'' के क्रियान्वयन के बारे में रचनात्मक चर्चा कर विकास का एक सर्वसम्मत दीर्घकालिक रोडमैप तैयार करें। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस रोडमैप पर यह अंकित करना होगा कि अगले 25 सालों में विकास के सफर में हम कब, कैसे और कहां पहुंचेंगे।'' विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि मध्यप्रदेश विधानसभा के इतिहास में इस विशेष सत्र से पहले भी तीन विशेष सत्र आयोजित किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व आजादी की 50वीं सालगिरह पर वर्ष 1997 में विशेष सत्र का आयोजन हुआ था जबकि सन् 2000 में मध्यप्रदेश विभाजन के वक्त विशेष सत्र बुलाया गया था। उन्होंने कहा कि एक दशक पहले वर्ष 2015 में मध्यप्रदेश के विकास पर केंद्रित विशेष सत्र की बैठक हुई थी।






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