जन्माष्टमी की रात 12 बजे क्यों काटा जाता है खीरा ? कृष्ण जन्म से जुड़ा है रहस्य
हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 का बहुत बड़ा महत्व माना गया है। इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जा रही है। बता दें, श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि में होने की वजह से कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा भी रात 12 बजे की जाती है। इस दिन श्रीकृष्ण भक्त पूजा और व्रत रखकर अपने आराध्य को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन एक और चीज बेहद खास होती है और वो है आधी रात को खीरा काटना। क्या आप जानते हैं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन आधी रात को डंठल वाला खीरा क्यों काटा जाता है? , कृष्ण जन्म का खीरे से क्या है सम्बन्ध और खीरे से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कैसे करवाया जाता है? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के रहस्य।
जन्माष्टमी पर खीरे का क्या है महत्व?
जन्माष्टमी की पूजा में खीरे का बहुत खास महत्व माना गया है। जन्माष्टमी की पूजा खीरा काटे बिना पूरी नहीं मानी जाती है। लेकिन क्या आप इसके पीछे का रहस्य जानते हैं? अगर नहीं तो आपको बता दें, कि खीरा काटने की परंपरा श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ी हुई है। दरअसल, जिस तरह बच्चे के जन्म के समय उसकी गर्भनाल काटी जाती है, उसी तरह जन्माष्टमी की रात खीरे का तना काटा जाता है। हिंदू धर्म में यह परंपरा श्रीकृष्ण के जन्म का प्रतीक मानी जाती है। जिसे कई जगह 'नल छेदन' के नाम से भी जाना जाता है।
कृष्ण जन्म पर डंठल वाला खीरा ही क्यों काटा जाता है?
अकसर कई बार लोग इस सवाल का जवाब नहीं दे पाते हैं कि कृष्ण जन्म के दौरान डंठल वाला खीरा ही क्यों काटा जाता है। अगर आप भी इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो आपको बता दें कि जिस तरह बच्चे के जन्म के समय उसकी गर्भनाल को मां के गर्भ से काटकर अलग किया जाता है, ठीक उसी तरह हिंदू मान्यताओं के अनुसार डंठल वाले खीरे को भगवान श्री कृष्ण का गर्भनाल माना जाता है और खीरे के डंठल को खीरे से काटकर अलग करना, उसे श्री कृष्ण को मां देवकी से अलग करने की रस्म के तौर पर मनाया जाता है। इस खीरे के डंठल को काटने की रस्म को नाल छेदन के नाम से जाना जाता है। जो रात के 12 बजे की जाती है।
संतान प्राप्ति का आशीर्वाद है खीरा
खीरे का नाल छेदन करने के बाद श्रीकृष्ण आरती होती है। जिसके बाद खीरे को भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है। थोड़ी देर बाद वही खीरा प्रसाद के रूप में भक्तों में बांट दिया जाता है। खीरे को पवित्र फल माना जाता है, जिसे जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को अर्पित करने से शुभ फल मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से भक्तों को प्रजनन क्षमता और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इतना ही नहीं जन्माष्टमी पर प्रसाद के रूप में खीरा खाने से संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले दंपत्तियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद भी मिलता है। गर्भवती महिलाओं के लिए, खीरा सौभाग्य और ईश्वर की सुरक्षा का प्रतीक भी माना जाता है।
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