प्रेमानंद महाराज ने बताया जन्माष्टमी के व्रत को खोलने का सही तरीका, 100 पापों से मिलती है मुक्ति
जन्माष्टमी पर अलग ही रौनक होती है। नंद के लाल श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारी शुरू हो चुकी है। मंदिर और गृहस्थ वाली पूजा दो दिन होगी। 15 को मंदिर में पूजा होगी तो वहीं 16 तारीख को घरों में नंद लाला का जन्मदिन मनाया जाएगा। सुंदर झांकियों के साथ-साथ लोग भगवान कृष्ण के लिए दूध, दही, मक्खन और मेवे से बने हुए भोग को तैयार करते हैं। वहीं व्रत को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं कि रखा जाए या ना रखा जाए। रखा जाए तो फिर कैसे रखा जाए? बता दें कि वृंदावन के महान संत प्रेमानंद महाराज ने अब जन्माष्टमी के व्रत का सही नियम बताया है। उनका कहना है कि अगर सही तरीके से जन्माष्टमी का व्रत ना रखी जाए तो इसका पूरा फल नहीं मिलता है।
जन्माष्टमी की पूजा और व्रत का सही नियम
प्रेमानंद महाराज के अनुसार जन्माष्टमी वाले दिन नए वस्त्र और आभूषणों से श्री कृष्ण का श्रृंगार करना चाहिए। इसी के साथ श्रीकृष्ण के 108 नाम का जाप करना चाहिए। साथ ही इस दिन कृष्ण लीला की कथाएं सुननी चाहिए और घर में ही रहकर श्रद्धापूर्वक कीर्तन करना चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि जन्माष्टमी वाले दिन ब्रह्मचर्य का पालने करने के साथ-साथ तामसिक खाने (नॉनवेज और प्याज-लहसुन) से दूर रहना है। श्रीकृष्ण के जन्म के बाद ही भोग के प्रसाद के साथ ही अपना व्रत खोल लेना चाहिए।
जन्माष्टमी पर मंदिर जाना है या नहीं?
प्रेमानंद महाराज ने इस सवाल का भी जवाब दिया है। उनके अनुसार जन्माष्टमी वाले दिन कृष्ण मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करने से लाभ मिलता है। जन्माष्टमी पर विधि-विधान से की गई पूजा से खूब लाभ मिलते हैं। इसके अलावा प्रेमानंद महाराज ने ये भी कहा कि भगवान कृष्ण को जन्माष्टमी पर चावल से बने मालपुए और घर में बने मक्खन का भोग जरूर लगाना चाहिए क्योंकि उन्हें ये काफी पसंद है।
100 एकादशी व्रत के बराबर जन्माष्टमी का व्रत?
हिंदू धर्म के शास्त्रों में ये बात लिखी है कि एकादशी का व्रत का बहुत महत्व होता है। मान्यता है कि इस व्रत से पापों से मुक्ति मिलती है। वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि जन्माष्टमी का व्रत 100 एकादशी व्रत के बराबर होता है। इस दिन व्रत रखने से 100 पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को रखने से इंसान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
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