गणपति बप्पा से जुड़ी ये 5 दिलचस्प बातें जानते हैं आप
गणेश उत्सव की शुरुआत हो चुकी है। अब पूरे 11 दिनों तक यह उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। इस समय पूरे देश में हर जगह 'गणपति बप्पा मोरया' का ही नाम गूंज रहा है। लोग अपने-अपने घरों और पंडालों में गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित कर पूरे भक्ति-भाव से उनकी पूजा कर रहे हैं। ढोल-ताशों की आवाज से माहौल गूंज रहा है और श्रद्धालु खुशी-खुशी गणपति बप्पा का स्वागत कर रहे हैं। इस पावन अवसर पर हर कोई गणेश जी से अपने जीवन की बाधाओं को दूर करने और सुख-समृद्धि प्रदान करने की प्रार्थना कर रहा है। गणेश जी का हर रूप, हर प्रतीक हमें जीवन के गहरे संदेश सिखाता है। आइए इस गणेश चतुर्थी पर जानते हैं गणपति बप्पा से जुड़े 5 खास तथ्य, जिनका महत्व बहुत ही गहरा है।
शिव और पार्वती के पुत्र हैं विघ्नहर्ता गणेश
भगवान गणेश भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। उन्हें धरती पर प्रथम देवता के रूप में पूजा जाता है। किसी भी नए कार्य की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। किसी भी पूजा या अनुष्ठान में भी सबसे पहले गणेश जी का ही स्मरण किया जाताहै। गणेश जी को 'विघ्नहर्ता' और 'सिद्धि विनायक' के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले यदि गणेश जी की पूजा की जाती है तो इससे आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और कार्य सफल होता है।
गणेश जी के हाथी वाले सिर में छिपा है खास संदेश
गणेश जी का हाथी जैसे सिर के पीछे एक गहरा संदेश छिपा हुआ है। उनका बड़ा सिर और कान हमें जीवन की एक बड़ी सीख देते हैं। इसका अर्थ है कि इंसान को किसी भी चीज को बुद्धिमानी और धैर्य से सुनना चाहिए। वहीं उनके छोटे नेत्र यह बता रहे हैं कि जीवन में ध्यान और एकाग्रता कितनी जरूरी है। इस अनोखे रूप के माध्यम से गणेश जी हमें सिखाते हैं कि धैर्य और ज्ञान से ही जीवन की कठिनाइयों को आसान किया जा सकता है।
बुद्धि और ज्ञान के देवता है श्री गणेश जी
गणेश जी केवल विघ्नहर्ता ही नहीं बल्कि ज्ञान के देवता भी माने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन्होंने महाभारत जैसे महान ग्रंथ का लेखन किया था। जब महर्षि वेदव्यास महाभारत की रचना सुना रहे थे, तब गणेश जी उसे लिख रहे थे। इस घटना से यह साफ है कि गणेश जी ना केवल शक्ति बल्कि ज्ञान और बुद्धि के भी प्रतीक हैं। इसलिए जो श्रद्धालु सच्चे मन से गणेश जी की पूजा और अर्चना करते हैं, उनका ज्ञान, बुद्धि और विवेक बढ़ता है।
गणेश जी के पेट का महत्व
आपने देखा होगा कि गणेश जी का पेट काफी बड़ा है। दरअसल गणेश जी का बड़ा पेट भी एक खास संदेश देता है। ये हमें बताता है कि जीवन में आने वाले अच्छे और बुरे दोनों अनुभवों को हमें धैर्य और समझ के साथ स्वीकार करना चाहिए। गणेश जी बड़ा पेट संतुलन और सहनशीलता का प्रतीक है। यह हमें ये सिखाता है कि कठिन समय में भी हमें संयम बनाए रखना चाहिए।
दांत से मिलती है ये सीख
गणेश जी की प्रतिमा को अक्सर एक टूटे हुए दांत के साथ दिखाया जाता है। दरअसल इनका टूटा हुआ दांत त्याग और धैर्य का प्रतीक है। इसके पीछे की कथा के अनुसार जब गणेश जी महाभारत लिख रहे थे, उस दौरान उनकी कलम टूट गई थी तब उन्होंने अपने एक दांत को ही कलम बना लिया और बिना रुके लिखना जारी रखा। इस बात से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची लगन और दृढ़ निश्चय से राह में आने वाली हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।
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