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 पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए हैं ये 13 मोक्ष स्थल
श्राद्ध संस्कार हिंदू धर्म में पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए अत्यंत आवश्यक माना गया है। पिंडदान कहां किया जाए, यह अक्सर उलझन का विषय बनता है, क्योंकि लोग स्थान, परंपरा और श्रद्धा के आधार पर निर्णय नहीं ले पाते, जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है।
    ब्रह्म कपाल : यह स्थल हिमालय पर्वत पर स्थित बद्रीधाम में है। इसे वैकुंठ धाम भी कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि महाभारत के बाद पांडवों ने अपने सभी पितरों का पिंडदान यहीं किया था। अलकनंदा नदी के तट पर बसे बद्रीनाथ धाम स्थित ब्रह्म कपाल में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। पिंडदान का यह सर्वोच्च स्थान माना गया है।
    जगन्नाथ पुरी : यह भगवान जगदीश का तारण क्षेत्र है। इसकी स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। इसकी भी प्रमुख तीर्थों में गणना की जाती है, इसलिए यहां भी पिंडदान करने से पितरों को शांति मिलती है।
    ओंकारेश्वर : यह स्थान नर्मदा नदी के तट पर बसा हुआ है और यहां ब्रह्मा-विष्णु-महेश का निवास माना गया है। मान्यता है कि यहां पितरों को मोक्ष अवश्य प्राप्त होता है।
    पुष्कर : राजस्थान स्थित पुष्कर को तीर्थों का राजा भी कहा गया है। यहां पर पिंडदान का अधिक महत्व है। कहते हैं कि यहां पिंडदान करने से करोड़ों यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।
    हरिद्वार : यह पावन तीर्थ स्थल है। यहां हर की पौड़ी पर श्राद्ध करने का विधान है। मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों की मुक्ति का मार्ग खुलता है।
    प्रयागराज : गंगा-यमुना-सरस्वती तीनों पवित्र नदियों का संगम यहां यानी प्रयागराज में होता है। यह भगवान भारद्वाज का तपोक्षेत्र है। इस संगम में पिंडदान का अधिक महत्व है।
    पशुपतिनाथ : यह नेपाल में गंडकी नदी के तट पर स्थित भगवान का धाम है। भगवान कपिल ने इस धाम का महत्व बताया है और यहां पिंडदान करने से पितृ खुश होते हैं।
    द्वारिका : श्रीकृष्ण की पावन धरती द्वारिका में पिंडदान किया जाता है। कहते हैं कि श्रीकृष्ण को भी यहीं मुक्ति मिली थी, इसलिए यहां पिंडदान करने से भी पितरों को मुक्ति प्राप्त होती है।
    नासिक : इसे कुंभ क्षेत्र कहा जाता है। यहां अमृत की बूंदें गिरी थीं। यहां भी पिंडदान किया जा सकता है।
    महाकाल : उज्जैन नगरी में शिप्रा नदी के तट पर भगवान शिव का तपोस्थल है। यहां से सीधे महाकाल के चरणों में जगह मिलती है। कहा जाता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है।
    रामेश्वरम : यह स्थल भगवान श्रीराम द्वारा स्थापित है। यहां श्रीराम ने भगवान शिव की तपस्या की थी। इस वजह से यह भूमि पितरों को मुक्ति दिलाती है।
    कैलास मानसरोवर : भगवान शिव के इस पावन क्षेत्र में पिंडदान करने से पितरों को सीधे वैकुंठ की प्राप्ति होती है। इसके अलावा वृंदावन की भूमि को भी पिंडदान के योग्य माना गया है।
    गया : धर्मशास्त्र के अनुसार, गया की 54 वेदियों में विष्णु पद प्रथम है। इसके दर्शन मात्र से पितर नारायण रूप हो जाते हैं। फल्गु नदी में स्नान और तर्पण करने से पितरों को देव योनि मिल जाती है। हिंदू समाज का यह दृढ़ विश्वास है कि गया में श्राद्ध पिंडदान करने से उसकी सात पीढ़ियों के पितरों को मुक्ति मिलती है।
 

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