मिनटों में पीले दांतों को मोती सा चमका देगा दातुन
क्या आप भी हर सुबह टूथब्रश और केमिकल भरे टूथपेस्ट से दांत साफ करते हैं, लेकिन फिर भी पीलापन और मसूड़ों की कमजोरी की समस्या बनी रहती है? हमारे दादाजी-नानाजी जमाने से एक आयुर्वेदिक राज अपनाते आए हैं और वो है दातुन. गांव-देहात में लोग आज भी नीम और बबूल के दातुन से दांत साफ करते हैं और यही वजह है कि उनके दांत उम्रभर मजबूत और मोती जैसे सफेद रहते हैं.
दातुन क्या है?
दातुन दरअसल नीम, बबूल या करंज जैसे पेड़ों की टहनी से बना प्राकृतिक टूथब्रश है. इसे चबाने से दांतों की सफाई होती है, मसूड़ों की मसाज होती है और बैक्टीरिया का खात्मा होता है. सदियों पहले जब न तो टूथब्रश था और न ही केमिकल युक्त पेस्ट, तब दातुन ही ओरल हाइजीन का एकमात्र उपाय था.
दातुन के फायदे
प्राकृतिक एंटीसेप्टिक – नीम और बबूल की कड़वी टहनियों में एंटी-बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं.
नेचुरल फ्लॉसिंग – दातुन चबाने से उसके रेशे दांतों के बीच जाकर फंसा हुआ खाना और प्लाक निकाल देते हैं.
मसूड़ों की मजबूती – दातुन से मसूड़ों की हल्की मसाज होती है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और मसूड़े मजबूत बनते हैं.
पीलापन दूर – नियमित इस्तेमाल से दांतों का पीलापन कम होता है और दांत मोती जैसे सफेद बनते हैं.
बुरी सांस से राहत – दातुन का कसैला रस मुंह की दुर्गंध को दूर करता है और सांसों को फ्रेश रखता है.
टूथब्रश या दातुन?
टूथब्रश: आसान और मॉडर्न, लेकिन पेस्ट में मौजूद फ्लोराइड और केमिकल लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकते हैं.
दातुन: 100% नेचुरल, आयुर्वेदिक और बिना किसी साइड इफेक्ट के, दांतों और मसूड़ों दोनों के लिए लाभकारी.
दातुन कैसे करें इस्तेमाल?
सुबह-सुबह नीम या बबूल की पतली टहनी लें.
उसका एक सिरा चबाकर रेशेदार बना लें.
इसे धीरे-धीरे दांतों पर रगड़ें और मसूड़ों की मसाज करें.
दिन में एक बार इसका इस्तेमाल करना पर्याप्त है.


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