पहाड़ों की आग पेइन्सिटिया
एक खूबसूरत पौधा है- पोइन्सिटिया। इसे पहाड़ों की आग भी कहा जाता है। यह पौधा मूल रूप से मैक्सिको का है, लेकिन भारत में भी यह बहुतायक में पाया जाता है। इस पौधे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह ठंडे प्रदेशों के साथ ही गर्म क्षेत्रों में भी सरलता से खिलता है। यह अनेक रंगों में मिलता है लेकिन, इसका चटक लाल और पीला रंग ज्यादा पसंद किया जाता है। आजकल संकरण पद्धति से इसके अनेक रंग तैयार कर लिए गए हैं। यह पौधा अपनी सुंदर और रंगीन पंखुडिय़ों के कारण वाटिका में खासतौर से लगाया जाता है।
इसके अनेक नाम प्रचलित हैं- जैसे-ईस्टर फ्लावर, क्रिसमस फ्लावर,लोवस्टर फ्लावर, वर्निश बुश, फायर ऑन द माउंटेन, मैक्सिकन फ्लेम आदि। बगीचे में इसकी जो प्रजाति लगाई जाती है, उसका पौधा एक मीटर से ढाई मीटर तक लंबा होता है। इसकी प्रजाति के हिसाब से इसकी पत्तियों में भी विविधता पाई जाती है। किसी के पत्ते बड़े होते हैं तो किसी के छोटे। नवंबर से लेकर मार्च तक इस पौधे का शीर्ष भाग दहकते लाल रंगों से सजा रहता है। पौधे की ऊपरी पत्तियां, लाल या सफेद अथवा पीले रंग की पखुंडिय़ों में बदल जाती हैं। वास्तव में ये लंबी-लंबी पत्तियां फूल नहीं होतीं इन्हें वैज्ञानिक भाषा में ब्रेस्ट कहा जाता है। फूल तो इन पत्तियों के ऊपर छोटे-छोटे खिले रहते हैं। जो फूल कम पुंकेसर ज्यादा नजर आते हैं।
पोइन्सिटिया के पौधों को अन्य पौधों की अपेक्षा अधिक खाद की जरूरत होती है। धूप , प्रकाश और पानी भी पर्याप्त मात्रा में इसे देना चाहिए। तभी इसके रंगों में निखार आता है। छाया वाले स्थान में रहने से इस पौधे का आकार छोटा हो जाता है और रंग भी चटक नहीं रह पाते हैं। इस पौधे को कटिंग द्वारा भी लगाया जा सकता है। इसकी टहनी तोडऩे से दूध जैसा निकलता है जो जहरीला होता है। इसलिए बगीचा में लगाते समय बच्चों को इससे दूर रहने की सलाह अवश्य दी जाती है। पोइन्सिटिया की इकहरे और दोहरे पत्तियों वाली प्रजाति वाटिका के लिए उपयुक्त मानी जाती है। गर्मी आते ही इसमें फूल आने लगभग बंद होने लगते हैं।
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