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- नई दिल्ली। दुनिया में इन दिनों भारतवंशियों के नाम की धूम है और इनमें भी महिलाओं ने अपना परचम बुलंद किया है। दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका में जहां भारतीय मूल की कमला हैरिस उपराष्ट्रपति पद पर निर्वाचित हुई हैं, वहीं न्यूजीलैंड में प्रियंका राधाकृष्णन ने लेबर पार्टी की जेसिंडा आर्डन सरकार में जगह बनाकर एक नयी मिसाल कायम की है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब न्यूजीलैंड की सरकार में किसी भारतीय ने जगह बनाई हो।1979 में चेन्नई में जन्मी प्रियंका राधाकृष्णन केरल मूल के माता-पिता की संतान हैं। राजनीति का कौशल उन्हें अपने पुरखों से मिला। उनके परदादा डॉ. सी. आर. कृष्णा पिल्लई का नाम केरल में बहुत सम्मान से लिया जाता है। वामपंथ की राजनीति में अपना गहरा दखल रखने वाले डॉ. पिल्लई ने केरल राज्य की स्थापना में खास भूमिका निभाई थी।प्रियंका का बचपन सिंगापुर में गुजरा और फिर वह न्यूजीलैंड चली गईं। उन्होंने वेलिंगडन की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी से डेवलेपमेंटल स्टडीज में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद उन्होंने ऑकलैंड में बसे भारतीय समुदाय के लोगों के बीच सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम किया और तकरीबन 27 साल की उम्र में 2006 में न्यूजीलैंड की लेबर पार्टी में शामिल हो गईं।प्रियंका ने शुरू में पार्टी की आंतरिक विकास नीति प्रक्रिया पर काम किया और पार्टी के स्थानीय और क्षेत्रीय संगठन में सक्रिय रहीं। इस दौरान वह अपने कार्य से पार्टी नेतृत्व की नजरों में अपनी जगह बनाती रहीं। इसी का नतीजा था कि 2014 के चुनाव में उन्हें लेबर पार्टी की क्रमवार सूची में 23वां स्थान मिला। पार्टी के किसी नये सदस्य को इससे पहले कभी इस सूची में इतना ऊंचा स्थान नहीं मिला था। हालांकि लेबर पार्टी के वोट में कमी आने के कारण प्रियंका उस वर्ष चुनाव नहीं लड़ सकीं।प्रियंका के पार्टी की सूची में आगे बढ़ते रहने का सिलसिला लगातार चलता रहा और वह 2017 में इस सूची में 12वां स्थान हासिल करने में कामयाब रहीं। तीन साल के भीतर 23 से 12 पर पहुंचना अपने आप में बड़ी बात थी और वह भी तब जब वह संसद की सदस्य नही थीं। पार्टी में अपने कदम मजबूती से जमा चुकीं प्रियंका को 27 जून 2019 को जातीय मामलों के लिए संसदीय निजी सचिव नियुक्त किया गया और सरकारी कामकाज में उन्हें पहली महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। 2020 में प्रियंका ने मौंकीकी से चुनाव जीतकर संसद की तरफ कदम बढ़ाया और दो नवंबर को उन्हें कई विभागों का मंत्री बनाकर पार्टी के लिए उनके कामकाज और उनकी बेहतरीन नेतृत्व क्षमता को सम्मान दिया गया। प्रियंका की इस सफलता पर केरल में उत्साह का माहौल है। कांग्रेस नेता शशि थरूर और राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन सहित कई लोगों ने उनकी इस उपलब्धि के लिए उनकी सराहना की है।विजयन ने लिखा, मुझे यह जानकर अपार हर्ष हुआ कि प्रियंका राधाकृष्णन न्यूजीलैंड में भारतीय मूल की पहली मंत्री बनी हैं। लेबर पार्टी की इस नेता की जड़ें केरल से जुड़ी हैं। केरल की जनता की तरफ से हम उन्हें हार्दिक बधाई देते हैं।
- वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन ने शनिवार को रिपब्लिकन पार्टी के अपने प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप को कड़े मुकाबले में हरा दिया। प्रमुख अमेरिकी मीडिया संगठनों की रिपोट्र्स में यह जानकारी दी गई है।सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार पेन्सिलवेनिया राज्य में जीत दर्ज करने के बाद 77 वर्षीय पूर्व उपराष्ट्रपति बाइडेन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति होंगे। इस राज्य में जीत के बाद बाइडेन को 270 से अधिक इलेक्टोरल कॉलेज वोट मिल गये जो जीत के लिए जरूरी थे। पेन्सिलवेनिया के 20 इलेक्टोरल वोटों के साथ बाइडेन के पास अब कुल 273 इलेक्टोरल वोट हो गए हैं।
- वाशिंगटन। अमेरिका में पिछले कुछ दशकों में सबसे अधिक आरोप-प्रत्यारोप वाले राष्ट्रपति चुनावों में से एक के लिए मंगलवार को बड़ी संख्या में मतदाता मतदान करने के लिए निकले और कई मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की कतारें देखी गयी।इस चुनाव में राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के सामने डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन हैं। कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बीच करीब 10 करोड़ अमेरिकी पूर्व-मतदान में अपना वोट डाल चुके हैं और माना जा रहा है कि देश के एक सदी के इतिहास में इस बार सर्वाधिक मतदान हो सकता है। इस साल करीब 23.9 करोड़ लोग मताधिकार के योग्य हैं । अमेरिका में करीब 40 लाख भारतीय मूल के लोग हैं जिनमें से 25 लाख मतदाता हैं। यहां 13 लाख से अधिक भारतीय-अमेरिकी टेक्सास, मिशिगन, फ्लोरिडा और पेनसिल्वेनिया जैसे अहम राज्यों के मतदाता हैं। मतदान का समय अलग-अलग राज्यों के लिए भिन्न है।शुरुआत में बड़ी संख्या में लोगों के मतदान के लिए निकलने की खबरें आयीं। पेनसिल्वेलिया में सैकड़ों लोगों को मतदान शुरू होने से पहले ही मतदान केंद्रों के बाहर कतारों में देखा गया। मंगलवार तड़के प्रचार से लौटे ट्रंप (74) ने अमेरिकी जनता से उन्हें वोट देने की अपील की है। उन्होंने चुनावी रैलियों में खुद के नृत्य के एक छोटे से वीडियो के साथ ट्वीट किया, ''मतदान करें, मतदान करें, मतदान करें।'' बाइडेन (77) ने भी जनता से मतदान करने की अपील करते हुए कहा, ''मतदान का दिन है। जाइए, वोट दीजिए अमेरिका।''उन्होंने ट्वीट किया, ''2008 और 2012 में आपने इस देश का नेतृत्व करने के लिए बराक ओबामा का साथ देने में मुझ पर भरोसा जताया। आज मैं एक बार फिर आपसे विश्वास जताने के लिए कह रहा हूं। मुझ पर और कमला (हैरिस) पर भरोसा जताइए। हम वादा करते हैं कि आपको निराश नहीं करेंगे।'' उपराष्ट्रपति पद की डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस ने मतदाताओं से कहा कि ''अगर आपने मतदान कर दिया है तो शुक्रिया। लेकिन हमें अब भी आपकी मदद की जरूरत है...20 मिनट निकालिए और मतदाताओं को मतदान केंद्रों को खोजने में मदद कीजिए।''
- इजमिर (तुर्की)। तुर्की और यूनान में आए जबरदस्त भूकंप के करीब 34 घंटे बाद रविवार को पश्चिमी तुर्की की एक इमारत के मलबे में दबे 70 वर्षीय व्यक्ति को बचावकर्मियों ने निकाला। बुजुर्ग को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भूकंप से हुई तबाही में 46 लोगों की जान गई है जबकि 900 से अधिक लोग घायल हुए हैं।तुर्की के आपदा एवं आपातकालीन प्रबंधन विभाग ने कहा कि इजमिर शहर में मलबे से और शव निकाले जाने के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 44 तक पहुंच गई है जोकि इस देश का तीसरा सबसे बडा शहर है। शुक्रवार को आए भूकंप से यूनान में दो किशोरों की मौत हुई है।बचाव दल ने रविवार मध्यरात्रि को एक इमारत के मलबे में दबे 70 वर्षीय अहमत सितिम को जीवित बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की। स्वास्थ्य मंत्री फहरेतिन कोका ने ट्वीट किया कि बुजुर्ग व्यक्ति ने बाहर आकर कहा, ' मैंने उम्मीद कभी नहीं छोड़ी थी।'
- नई दिल्ली। पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने जम्मू-कश्मीर में पुलवामा आतंकी हमले में अपने देश की भूमिका स्वीकार की है। उन्होंने पाकिस्तान की संसद को बताया कि 2019 में पुलवामा आतंकी हमला इमरान खान सरकार की एक बड़ी सफलता थी।पहली बार पाकिस्तान के किसी मंत्री ने इस बात को स्वीकार किया है जिसे भारत हमेशा से कहता रहा है कि पाकिस्तान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर हमला करने वाले आतंकी गुटों को बढ़ावा देता है और उनका समर्थन करता है। पुलवामा हमले के जबाव में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविरों पर बमबारी की थी। पाकिस्तान स्थित इस आतंकी गुट ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। विदेश मंत्रालय की कल साप्ताहिक मीडिया बैठक के दौरान प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक बार फिर पाकिस्तान की आलोचना करते हुये कहा कि वह भारत के खिलाफ आतंकवाद पर रोक लगाने में नाकाम रहा है।
- लॉस एंजिलिस (अमेरिका)। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे विशालकाय पक्षी के जीवाश्म की पहचान की है जो लगभग पांच करोड़ साल पहले पाया जाता था और जिसके पंख 21 फुट लंबे होते थे। अंटार्कटिका से 1980 के दशक में बरामद जीवाश्म दक्षिणी समुद्रों में विचरण वाले पक्षियों के एक विलुप्त समूह के सबसे पुराने विशालकाय सदस्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।तुलनात्मक रूप से समुद्र के ऊपर विचरण करने वाले पक्षियों में वांडरिंग अल्बाट्रॉस को सबसे बड़ा उडऩे वाला पक्षी कहा जाता है और इनके पंख, सभी परिंदों में सबसे ज्यादा लंबे यानी साढ़े 11 फुट तक फैल सकते हैं। पेलेगोर्निथिड कहे जाने वाले, पक्षियों ने आज के अल्बाट्रोस की तरह एक स्थान को भरा और कम से कम छह करोड़ वर्षों तक पृथ्वी के महासागरों में व्यापक रूप से यात्रा की। जर्नल साइंटिफिक रिपोट्र्स में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, एक दूसरा पेलगोर्निथिड जीवाश्म, जो जबड़े की हड्डी का हिस्सा है, लगभग चार करोड़ साल पहले का है। अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में एक स्नातक छात्र पीटर क्लोइस ने कहा, हमारी जीवाश्म खोज, जिसमें पांच से छह मीटर के पंखों-लगभग 20 फुट- वाले पक्षी शामिल हैं, से पता चलता है कि डायनासोर के विलुप्त होने के बाद पक्षी वास्तव में अपेक्षाकृत तेजी से विशाल आकार के लिए विकसित हुए और कई वर्षों तक महासागरों के ऊपर घूमते रहे।
- ताइपे। ताइवान का एक एफ-5ई लड़ाकू विमान बृहस्पतिवार सुबह एक प्रशिक्षण अभियान के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें पायलट की मौत हो गई। रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी। मंत्रालय के मुताबिक दुर्घटना का कारण अभी पता नहीं चल पाया है लेकिन इससे वायुसेना के पुराने होते बेड़े की संभावित समस्या रेखांकित होती है। बता दें कि ताइवान इस समय चीन के बढ़ते खतरे का सामना कर रहा है। मंत्रालय ने बताया कि विमान ताइतुंग के पूर्वी काउंटी के चिहंग हवाई ठिकाने से उड़ान भरने के दो मिनट के भीतर प्रशांत महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। मंत्रालय के मुताबिक पायलट, कैप्टन चू कुआन-मेंग को समुद्र में से निकाल तो लिया गया, लेकिन तट पर मौजूद अस्पताल ले जाए जाने के करीब एक घंटे बाद उन्हें डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। वर्ष 1970 के दशक की शुरुआत में बने एफ-5ई लडाकू विमान को अबतक कई बार अपडेट किया गया है। ताइवान एफ-16 के 66 विमान प्राप्त करने वाला है और वर्तमान में अमेरिका से खरीदे गए विमानों के उन्नयन में लगा हुआ है। चीन का सामना करने के उद्देश्य से ताइवान चार अरब डॉलर से अधिक मूल्य की मिसाइलों और अन्य तकनीकी प्रणालियों की खरीद के साथ अपने तटीय सीमा सुरक्षा को भी उन्नत कर रहा है।
- लंदन। गरीब बच्चों के लिये स्थापित एक भारतीय धर्मार्थ संस्था की ब्रिटिश शाखा ने ब्रिटेन में बच्चों की भूख के वहनीय और संभव समाधान के तौर पर भारत में जांचे-परखे अत्याधुनिक रसोई के मॉडल को अपनाया है। अक्षय पात्र फाउंडेशन यूके ने इंग्लैंड में मध्यावधि विद्यालय अवकाश की अवधि के दौरान जरुरतमंद बच्चों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराने के लिये जीएमएसपी फाउंडेशन से हाथ मिलाया है। इस महीने शुरू हुई नयी जीएमएसपी अक्षय पात्र रसोई लंदन में कम लागत में हजारों बच्चों को पोषण वाला भोजन उपलब्ध कराएगी। जीएमएसपी अक्षय पात्र रसोई के तहत ब्रिटेन में प्रत्येक भोजन पर भारत में भी एक बच्चे का भोजन प्रायोजित किया जाएगा। ‘गॉड माई साइलेंट पार्टनर' (जीएमएसपी) के संस्थापक रमेश सचदेव ने कहा, हमने देखा कि अक्षय पात्र फाउंडेशन ने किस पैमाने पर तेजी के साथ भारत में स्कूली बच्चों को पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराया। हम जानते हैं कि बढ़ती भोजन असमानताओं से निपटने के लिये ब्रिटेन को अभी इसी की जरूरत है। इस पारिवारिक फाउंडेशन का गठन ब्रिटेन और भारत में जरूरतमंद लोगों की मदद के उद्देश्य से किया गया था।
- नई दिल्ली। बांग्लादेश और भारत के बीच विमान सम्पर्क आज फिर शुरू हो गया। दोनों देशों के बीच एयर बबल समझौते के तहत ढाका से दो उड़ानें रवाना हुई। ढाका में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी और बांग्लादेश के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के अध्यक्ष एयर वाइस मार्शल मफीदुर रहमान ने इस सेवा का उद्घाटन किया।कोरोना संक्रमण के कारण दोनों देशों के बीच करीब आठ महीने बाद उड़ान सेवाएं फिर से शुरू हुई हैं। इससे दोनों तरफ के यात्रियों खासतौर से भारत में तत्काल मेडिकल सहायता के इच्छुक लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। एयर बबल समझौते के तहत सप्ताह में 28 उड़ानें बांग्लादेश से और 28 भारत से संचालित होगी। बांग्लादेशी एयरलाइन्स की उड़ानें ढाका से दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई आएंगी, जबकि भारतीय उड़ानें दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुम्बई से ढाका जाएंगी।
- वॉशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रमा की सतह पर पानी की खोज की है। बड़ी बात यह है कि चंद्रमा की सतह पर यह पानी सूरज की किरणें पडऩे वाले इलाके में खोजी गई है। इस बड़ी खोज से न केवल चंद्रमा पर भविष्य में होने वाले मानव मिशन को बड़ी ताकत मिलेगी। बल्कि, इनका उपयोग पीने और रॉकेट ईंधन उत्पादन के लिए भी किया जा सकेगा। इस पानी की खोज नासा की स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) ने की है।सोफिया ने चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित,पृथ्वी से दिखाई देने वाले सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं का पता लगाया है। पहले के हुए अध्ययनों में चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोजन के कुछ रूप का पता चला था, लेकिन पानी और करीबी रिश्तेदार माने जाने वाले हाइड्रॉक्सिल की खोज नहीं हो सकी थी।वॉशिंगटन में नासा मुख्यालय में विज्ञान मिशन निदेशालय में एस्ट्रोफिजिक्स डिवीजन के निदेशक पॉल हट्र्ज ने कहा कि हमारे पास पहले से संकेत थे कि H2O जिसे हम पानी के रूप में जानते हैं, वह चंद्रमा के सतह पर सूर्य की ओर मौजूद हो सकता है। अब हम जानते हैं कि यह वहां है। यह खोज चंद्रमा की सतह की हमारी समझ को चुनौती देती है। इससे हमें और गहन अंतरिक्ष अन्वेषण करने की प्रेरणा मिलती है।नेचर एस्ट्रोनॉमी के नवीनतम अंक में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इस स्थान के डेटा से 100 से 412 पार्ट प्रति मिलियन की सांद्रता में पानी का पता चला है। तुलनात्मक रूप में सोफिया ने चंद्रमा की सतह पर जितनी पानी की खोज की है उसकी मात्रा अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में मौजूद पानी की तुलना में 100 गुना कम है। छोटी मात्रा के बावजूद यह खोज नए सवाल उठाती है कि चंद्रमा की सतह पर पानी कैसे बनता है। इससे भी बड़ा सवाल कि यह चंद्रमा के कठोर और वायुमंडलहीन वातावरण में कैसे बना रहता है।नासा की योजना चांद पर मानव बस्तियां बसाने की है। नासा पहले से ही आर्टेमिस प्रोग्राम के जरिए 2024 तक चांद की सतह पर मानव मिशन भेजने की तैयारी कर रही है। नासा अपने आर्टेमिस प्रोग्राम के जरिए चांद की सतह पर 2024 तक इंसानों को पहुंचाना चाहता है। इसके जरिए चांद की सतह पर मानव गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। चांद पर मौजूद इंसान उन क्षेत्रों का पता लगाएंगे जहां पहले कोई नहीं पहुंचा है या जो अब तक अछूते रहे हैं।
- लंदन। दिल्ली के एक ई-रिक्शा चालक का बेटा ऑनलाइन चंदा जुटाकर लंदन स्थित विश्व प्रसिद्ध इंग्लिश नेशनल बेले स्कूल (ईएनबीएस) में दाखिला हासिल कर अपना सपना साकार कर पाने में कामयाब रहा। कमल सिंह की यह कहानी सोशल मीडिया पर छाई हुई है।इस नृत्य प्रशिक्षु ने रविवार को स्कूल में प्रशिक्षण के पहले दो हफ्ते पूरे कर लिए हैं। कोविड-19 की सख्त पाबंदियों के बीच संस्थान में मास्क लगाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बीस वर्षीय कमल सिंह ने स्कूल से नृत्य के कोर्स का फीस भरने एवं ब्रिटेन की राजधानी में रहने के खर्च को पूरा करने के लिए चंदा के रूप में जुटाने 20764 पाउंड जुटाए। उनकी मदद करने वाले सैकड़ों लोगों मे ऋतिक रोशन जैसे बॉलीवुड अभिनेता भी शामिल थे।कमल सिंह ने कहा, मुझे अभी बहुत अजीब सा लगा रहा है, जैसे कि कोई चमत्कार है कि मैं ईएनबीएस में नृत्य कोर्स कर रहा हूं।नई दिल्ली में एक नृत्य स्कूल के निदेशक फर्नांडो एगुइलेरा से कुछ साल पहले अचानक से मुलाकात हो गई थी जिसने कमल सिंह की जिंदगी बदल दी। इसके बाद उन्हें नृत्य पसंद आने लगा और वह मुश्किल प्रशिक्षण से गुजरे। उन्होंने नृत्य करना 17 साल की उम्र में शुरू किया तो यह उनके लिए चुनौतीपूर्ण रहा।एगुइलेरा को सिंह की प्रतिभा पर यकीन था और उन्होंने कमल सिंह को एक दिन में आठ- नौ घंटे प्रशिक्षण दिया। कुछ सालों के कड़े प्रशिक्षण के बाद लंदन में जाने-माने नृत्य स्कूल में प्रवेश के साथ उनका सपना सच हो गया। इसके बाद कंल सिंह को आर्थिक परेशानियों से पार पाना था। कमल सिंह ने बताया, मैं उन लोगों का आभारी हूं जिन्होंने मुझे चंदा दिया। आपकी दयालुता की वजह से मैं अपना मकसद और सपना पूरा कर पा रहा हूं। ।
- काबुल। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शनिवार को हुए आत्मघाती हमले में स्कूली बच्चों सहित 18 लोगों की मौत हो गई जबकि 57 अन्य घायल हुए हैं।गृह मंत्रालय ने बताया कि धमाका पश्चिमी काबुल के दश्त-ए-बारची स्थित शिया बहुल इलाके में एक शिक्षण केंद्र के बाहर हुआ। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक अरियान ने बताया कि जब सुरक्षा गार्ड ने उसे रोका तब हमलावर शिक्षण केंद्र में घुसने का प्रयास कर रहा था। अरियान ने बताया कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि पीडि़तों के परिवार अब भी विभिन्न अस्पतालों में तलाश कर रहे हैं जहां पर घायलों को ले जाया गया है। इस हमले की तत्काल किसी संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है। वहीं तालिबान ने इस धमाके में हाथ होने से इनकार किया है। उल्लेखनीय है कि इस्लामिक स्टेट से जुड़े संगठन ने अगस्त 2018 में इसी तरह शिक्षण केंद्र पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी जिसमें 34 विद्यार्थियों की मौत हुई थी। अफगानिस्तान के भीतर इस्लामिक स्टेट ने बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यक शियाओं, सिखों और हिंदुओं पर हमने शुरू किया है जिन्हें वह गैर मजहबी मानता है। काबुल में इस्लामिक स्टेट के प्रति वफादार एक बंदूकधारी द्वारा काबुल में धार्मिक स्थल पर हमला करने और 25 लोगों की हत्या के बाद सितंबर में हिंदू और सिख समुदाय के सैकड़ों लोगों ने देश से पलायन किया है। वहीं, अमेरिका ने फरवरी में तालिबान के साथ शांति समझौता किया है जिससे देश से अमेरिकी बलों की वापसी का रास्ता खुल गया है। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि इस समझौते से इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में सुरक्षा को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। इस्लामिक स्टेट, तालिबान का प्रतिद्वंद्वी है।-
- फोले (अमेरिका) फ्लोरिडा से प्रशिक्षण के तहत उड़ान भरने वाला अमेरिकी नौसेना का एक विमान शुक्रवार को अलबामा के रिहायशी इलाके के नजदीक दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे उसमें सवार दो लोगों की मौत हो गई। प्राधिकारियों ने यह जानकारी दी। ‘नेवल एयर फोर्सेस' के कमांडर के प्रवक्ता जैच हैरेल ने बताया कि टी-6बी टेक्सान 2 प्रशिक्षण विमान में सवार दोनों लोगों की मौत हो गई। मृतकों के नाम अभी जारी नहीं किए गए हैं। जमीन पर किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है।फोले में दमकल विभाग के प्रमुख जोए डार्बी ने बताया कि विमान के नीचे गिरने के बाद उसमें आग लग गई और कई कारें एवं मकान इसकी चपेट में आ गए, लेकिन दमकल कर्मियों ने आग पर जल्द ही काबू पा लिया। विमान फोले शहर के निकट मागनोलिया स्प्रिंग्स कस्बे में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। हैरेल ने बताया कि घटनास्थल के पास रिहायशी इलाका है, जहां बड़ी संख्या में लोग रहते हैं।उन्होंने बताया कि इस हादसे में कोई दमकल कर्मी घायल नहीं हुआ है। नौसेना की प्रवक्ता जूली जीगेनहोर्न ने बताया कि विमान ने फ्लोरिडा के पेनसाकोला से करीब 48.28 किलोमीटर पूर्वोत्तर में ‘नेवल एयर स्टेशन व्हाइटिंग फील्ड' से उड़ान भरी थी। बाल्डविन काउंटी शेरिफ के कार्यालय ने ट्वीट किया कि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय और नौसेना हादसे के संबंध में जांच करेंगे।
- जकार्ता। इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर भारी बारिश की वजह से एक कोयले की खदान धंस गई जिसमें दबने से 11 खनिकों की मौत हो गई। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता रादित्य जाती ने बताया कि बृहस्पतिवार को दक्षिण सुमात्रा प्रांत के मुआरा इनिम जिले में तानजुंग लालंग गांव में खदान की करीब 20 मीटर गहरी सुरंग धंस गई। उन्होंने बताया कि स्थानीय बचाव कर्मियों ने सभी शवों को बाहर निकाल लिया है। उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में 17,000 द्वीपों में फैले इंडोनेशिया में भारी बारिश और उच्च ज्वार की वजह से कई स्थानों पर बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं और पहाड़ों की तलहटी तथा नदियों के किनारे उपजाऊ जमीन पर रहने वाले लोग प्रभावित हुए हैं। इंडोनेशिया की मौसम, जलवायु और भूभौतिकी एजेंसी ने कहा कि इलाके में अगले तीन दिन तक हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है। उल्लेखनीय है कि इंडोनिशया के अधिकतर हिस्सों में अक्टूबर से वर्षा ऋतु की शुरुआत हो गई है। इसके साथ ही प्रशांत महासागर में ला नीना के प्रभाव से बारिश का दौर और तेज होने की संभावना है।
- लंदन। भारतीय मूल की ब्रिटिश प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर जैजिनी वर्गीज को स्तन कैंसर का पता लगाने और उसका इलाज करने में असाधारण वैज्ञानिक योगदान के लिए एक गैर सरकारी संगठन ने आउटस्टैंडिग यंग पर्सन ऑफ द वल्र्ड, 2020 पुरस्कार के लिये नामित किया है।वर्गीज रॉयल फ्री हॉस्पिटल और यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन में ऑन्कोप्लास्टिक ब्रेस्ट सर्जरी में कंसल्टेंट हैं। 39 वर्षीय डॉ. वर्गीज इस अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए ब्रिटेन से नामित 10 लोगों में से एक हैं। यह सम्मान विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों के लिए 110 देशों से हर साल 40 साल से कम उम्र के उत्कृष्ट युवाओं को दिया जाता है। वर्गीज को मेडिकल नवोन्मेष के क्षेत्र में चुना गया है। उन्हें यह सम्मान नवंबर की शुरुआत में जापान के योकोहामा में दिया जाएगा। डॉ. वर्गीज का कहना है, कैंसर हराएगा नहीं। हमारा लक्ष्य लोगों के जीवन की रक्षा करना है। मैं सिर्फ जवाब खोज सकती हूं और बाहरी घाव भर सकती हूं, लेकिन अंतत: ईश्वर ही कैंसर के घाव को ठीक कर सकते हैं।
- नई दिल्ली। जाने माने उद्योगपति एवं परमार्थ कार्यों से जुड़े अरबपति बिल गेट्स ने कहा है कि कोविड-19 से निपटने, खासकर व्यापक स्तर पर टीके बनाने में भारत के अनुसंधान एवं निर्माण कार्य अहम भूमिका निभाएंगे।गेट्स ने महाचुनौती वार्षिक बैठक 2020 को संबोधित करते हुए कोविड-19 के टीके को बनाने में आ रही दिक्कतों पर चर्चा की। अमेरिकी कारोबारी दिग्गज ने कहा कि भारत बहुत प्रेरणादायी रहा है क्योंकि उसने पिछले दो दशक में अपने लोगों का स्वास्थ्य सुधारने की दिशा में काफी प्रगति की है। उन्होंने कहा, और अब, कोविड-19 से निपटने, खासकर बड़े स्तर पर टीके बनाने में भारत के अनुसंधान एवं निर्माण कार्य अहम भूमिका निभाएंगे। गेट्स ने संक्रमण की पहचान करने में भी नवोन्मेष की आवश्यकता पर बल दिया।--
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इस्लामाबाद। गिलगित-बाल्तिस्तान क्षेत्र में भूस्खलन की चपेट में आने के बाद रविवार को एक बस गहरी खाई में गिर गई। इस दुर्घटना में कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई है। मीडिया में आई एक खबर में यह कहा गया है। खबर के मुताबिक बस रावलपिंडी से सकारदू जा रही थी, तभी यह गिलगित-बाल्तिस्तान के रौंदो इलाके में भूस्खलन की चपेट में आ गई और बस गहरी खाई में जा गिरी। इस दुर्घटना में कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई। इस क्षेत्र में भूस्खलन की घटनाएं अक्सर होती हैं।
- नई दिल्ली। कोविड-19 के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस फोन और बैंक नोट्स पर 28 दिनों तक जिंदा रह सकता है। ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय विज्ञान एजेंसी (सीएसआईआरओ ) का कहना है कि ठंडे और अंधेरे वातावरण में वायरस ज्यादा वक्त तक जीवित रह सकता है।ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय विज्ञान एजेंसी के सीएसआईआरओ के शोधकर्ताओं ने सार्स कोव-2 के जीवित रहने को लेकर अंधेरे में तीन अलग-अलग तापमान में परीक्षण किया और पाया कि तापमान के बढऩे के साथ वायरस के जीवित रहने के दरों में गिरावट आई। वैज्ञानिकों ने पाया कि 20 डिग्री सेल्सियस में सार्स कोव-2 मुलायम सतह पर जैसे कि मोबाइल फोन की स्क्रीन, स्टील, कांच और प्लास्टिक के बैंक नोट की सतह पर बेहद मजबूत बना हुआ था और 28 दिनों तक जिंदा रहा।30 डिग्री सेल्सियस तापमान में वायरस के जीवित रहने की दर घटकर 7 दिन हो गई और 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में वायरस 24 घंटे के भीतर तक जिंदा रह सकता है। वैज्ञानिकों ने इस शोध के लिए तीन अलग-अलग तापमान पर परीक्षण किए। शोधकर्ताओं का कहना है कि कॉटन जैसी खुदरा सतहों पर सबसे कम तापमान पर 14 दिनों तक वायरस जीवित रहा। वॉयरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि पहले किए गए शोध की तुलना में यह काफी लंबा समय था, जिसमें पाया गया था कि गैर खुदरी सतहों पर यह वायरस चार दिनों तक जीवित रह सकता है।ऑस्ट्रेलिया के सेंटर फॉर डिजीज के निदेशक ट्रेवर ड्रिवू के मुताबिक इस शोध में अलग-अलग सामग्रियों पर वायरस के सूखे नमूनों को शामिल करने से पहले परीक्षण किया गया जिसमें अत्यंत संवेदनशील प्रणाली का इस्तेमाल किया गया, जिसमें जीवित वायरस के निशान पाए गए, जो कोशिकाओं को संक्रमित करने में सक्षम थे। ड्रिवू के मुताबिक, इसको कहने का मतलब यह नहीं है कि वायरस की मात्रा किसी को संक्रमित करने में सक्षम होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति इन चीजों को लेकर लापरवाही करता है और उसे छूता है और फिर मुंह या आंख छूता है तो हो सकता है वह संक्रमित हो जाए।सीएसआईआरओ के मुताबिक यह शोध जिन परिस्थितियों में किया गया वह वायरस के अनुकूल थे, जैसे कि अंधेरा कमरा, स्थिर तापमान और नम हवा. लेकिन असल जिंदगी में वायरस को अपने अनुकूल वातावरण कम ही मिलता है। सीएसआईआरओ के मुताबिक वायरस मुख्य रूप से हवा के माध्यम से फैलता है, लेकिन सतहों के माध्यम से वायरस के प्रसार में और अधिक जानकारी के लिए ज्यादा शोध की जरूरत है। सीएसआईआरओ की डेबी ईगल्स कहती हैं, हालांकि सतह के जरिए सटीक प्रसार की भूमिका, सतह के संपर्क तापमान और संक्रमण के लिए जरूरी वायरस की मात्रा अभी तक निर्धारित नहीं हो पाई है, यह साबित करने के लिए कि वायरस सतहों पर कितनी देर तक जिंदा रह सकता है. उच्च संपर्क क्षेत्रों में जोखिम को कम करने के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है। ड्रिवू के मुताबिक मुख्य संदेश यह है कि संक्रामक लोग सतहों से कहीं अधिक संक्रामक हैं।
- स्टॉकहोम। साल 2020 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल आर मिलग्रोम और रॉबर्ट बी विल्सन को ऑक्शन थ्योरी में सुधार और नीलामी से जुड़े नए आविष्कार के लिए दिया जाएगा। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंस के अनुसार, विल्सन को अर्थशास्त्र में इस वर्ष के पुरस्कार से सम्मानित किया है क्योंकि उन्होंने दिखाया कि बोली लगाने वाले अपने सामान्य मूल्य के नीचे बोलियां क्यों लगाते हैं।नोबेल कमेटी ने अपने बयान में कहा, नीलामी सब जगह होती है और ये हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को भी छूती है। ये नए ऑक्शन फॉर्मेट बहुत खूबसूरती से दिखाते हैं कि मूलभूत रिसर्च किस तरह से ऐसे आविष्कारों को जन्म देते हैं जो समाज को फायदा पहुंचाते हैं। नोबेल कमेटी ने कहा कि इन आविष्कारों से दुनिया भर में खरीदारों और कर दाताओं को फायदा मिला है।इस पुरस्कार के लिए गोल्ड मेडल और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर की राशि दी जाएगी जो कि दोनों विजेताओं में बांटी जाएगी। एक करोड़ क्रोनर यानी लगभग 11 लाख डॉलर। मिलग्रोम और विल्सन दोनों स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं। मिलग्रोम ने बताया कि उन्हें अपने पुरस्कार जीतने के बारे में बहुत ही अनोखे अंदाज में जानकारी मिली, बॉब विल्सन ने मेरा दरवाजा खटखटाया और इसके बारे में बताया। वे मेरे पीएचडी एडवाइजर थे और वे मेरे घर के ठीक सामने वाले घर में रहते हैं। मिलग्रोम के अनुसार उनके सहकर्मी, दोस्त और छात्र अकसर उन्हें कहते रहे हैं कि वे नोबेल पुरस्कार के हकदार हैं, बहुत अच्छा लग रहा है। उनका सम्मान और उनका प्यार दोनों पा कर।पिछले सप्ताह फिजिक्स, केमिस्ट्री, मेडिसिन, साहित्य और शांति के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की गई थी। अर्थशास्त्र का नोबेल एकमात्र पुरस्कार है जो स्वीडन के सेंट्रल बैंक द्वारा दिया जाता है। 1969 से इसकी शुरुआत के बाद से 86 अर्थशास्त्रियों को यह पुरस्कार मिल चुका है। इनमें अधिकतर नाम अमेरिका के हैं। 2019 में अभिजीत बैनर्जी, एस्थर डूफ्लो और माइकल क्रेमर को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अभिजीत बैनर्जी के अलावा भारत के अमत्र्य सेन को भी यह पुरस्कार मिल चुका है।
- पेरिस (फ्रांस)। पेरिस के एक दक्षिण पूर्वी कस्बे में दो छोटे विमानों के टकराकर गिर जाने से उनमें सवार पांच लोगों की मौत हो गई। फ्रांस ब्लेयू रेडियो स्टेशन ने मेयर मार्क अंगेनॉल्ट के हवाले से बताया कि लोचे कस्बे के ऊपर शनिवार को दो विमान टकरा गए।इंद्रे-एत-लोयर प्रांत प्रमुख नादिया सेगिएर ने बताया कि अत्यधिक हल्का एक विमान टकराने के बाद कस्बे में एक घर के पास घिरा। इसकी वजह से जमीन पर मौजूद कोई व्यक्ति हताहत नहीं हुआ। दूसरा विमान निर्जन क्षेत्र में गिरा। ऐसा बताया जा रहा है कि यह पर्यटन विमान एकल इंजन वाला विमान था, जिसमें चार सीटें थी। अत्यधिक हल्के विमान में बैठे दो लोगों और एक अन्य छोटे विमान में बैठे तीन लोगों की मौत हो गई। रेडियो स्टेशन ने बताया कि करीब 50 दमकलकर्मियों और 30 पुलिसकर्मियों के साथ विमानन विशेषज्ञों को दुर्घटनास्थल पर भेजा गया। विमानों के टकराने का कारण अभी पता नहीं चल पाया है और इस संबंध में जांच जारी है।
- स्टॉकहोम। इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को दिया जाएगा। पुरस्कार के लिए नाम का चुनाव करने वाली नोबेल कमेटी ने दुनिया भर में भूख को मिटाने और पीडि़तों की मदद में वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की भूमिका को अहम बताया है।नॉर्वे की नोबेल कमेटी की अध्यक्ष बेरिट राइस एंडर्सन ने इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार के विजेता के नाम की घोषणा की। उन्होंने बताया कि 2019 में 88 देशों के करीब 10 करोड़ लोगों तक वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की सहायता पहुंची। डब्ल्यूएफपी दुनिया भर में भूख को मिटाने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा संगठन है। कोरोना के दौर में इस संगठन का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है. ओस्लो के नोबेल इंस्टीट्यूट में आमतौर पर शांति पुरस्कार की घोषणा पर उमडऩे वाली भारी भीड़ नदारद थी। कोरोना महामारी के कारण इस बार रिपोर्टरों की संख्या में भारी कमी रही।नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए इस साल 318 नामांकन आए। इनमें 211 शख्सियतें और 107 संगठन शामिल हैं। हालांकि इस सूची में शामिल नामों को अगले 50 साल तक के लिए गोपनीय रखा जाता है इसलिए यह अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि पुरस्कार आखिर किसे मिलेगा। जो लोग पुरस्कार के लिए नामांकित करने के अधिकारी हैं वो चाहें तो जरूर इसके बारे में बता सकते हैं। इसी तरह से खबर आई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी इस बार के शांति पुरस्कार की दौड़ में थे। उनके अलावा हांगकांग निवासी, उइगुर बुद्धिजीवी इलहाम तोहती, नाटो, पर्यावरणविद राओनी मेटुकतिरे, व्हिसलब्लोअर जूलियन असांज, एडवर्ड स्नोडन और चेल्सी मैनिंग को भी नामांकित किया गया था।इस साल चार महिलाओं को नोबेलपर्यावरण के लिए दुनिया भर में अलख जगाने वाली स्वीडिश किशोरी ग्रेटा थुनबर्ग, प्रेस की आजादी पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन और विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस बार की दौड़ में आगे बताया जा रहा था। हालांकि कई और नाम भी ओस्लो में चल रही चर्चाओं में लिए जा रहे थे। इनमें अफगान शांति वार्ताकार और महिला अधिकार कार्यकर्ता फौजिया कूफी, वल्र्ड फूड प्रोग्राम, संयुक्त राष्ट्र और उसके महासचिव अंटोनियो गुटेरेश, जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और सूडान की क्रांति के आइकन अला सलाह इनमें शामिल थे।पिछले साल नोबेल शांति पुरस्कार इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबीय अहमद को दिया गया था। एरिट्रिया के साथ जंग के बाद रिश्तों में 20 साल से चले आ रहे ठहराव को खत्म करने के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया।1901 से 2019 के बीच कुल 100 नोबेल शांति पुरस्कार दिए गए। इस दौरान 19 बार यह पुरस्कार नहीं दिया गया। दो बार यह पुरस्कार तीन लोगों के बीच बांटा गया जबकि 30 बार दो लोगों को इस पुरस्कार का हकदार माना गया। 68 बार इसके अकेले विजेता रहे जबकि 24 संगठनों को भी अब तक पुरस्कार दिया जा चुका है, तो कुल मिला कर 107 लोग और 24 संगठन इसके विजेता हैं। पुरस्कार पाने वालों में 17 महिलाएं हैं और पाकिस्तान की मलाला युसुफजई पुरस्कार पाने वालों में सबसे युवा हैं। जब उन्हें यह पुरस्कार मिला तब उनकी उम्र महज 17 साल थी। 1995 में जोसेफ रोटब्लाट को यह पुरस्कार मिला तो वह 87 साल के थे और वो सबसे बुजुर्ग विजेता हैं। अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस कमेटी को तीन बार नोबेल शांति पुरस्कार मिला है जबकि संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थियों के लिए काम करने वाली संस्था यूएनएचसीआर को दो बार यह पुरस्कार दिया गया।
- स्टॉकहोम। इस साल का नोबेल साहित्य पुरस्कार अमेरिका की लुइज ग्लुक को दिया जाएगा। ग्लुक को उनके काव्य संग्रह एवेर्नो के लिए यह सम्मान मिलेगा।1943 में न्यूयॉर्क में पैदा हुईं लुइज कैम्ब्रिज और मसाचुसेट्स में रहती हैं। स्वतंत्र रूप से लिखने के अलावा वे येल, न्यू हैवेन और कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी की प्रोफेसर भी रही हैं। इसके पहले उन्हें पुलित्जर सहित कई और पुरस्कार मिल चुके हैं।नोबेल साहित्य पुरस्कार बीते कुछ सालों से विवादों में रहा है। 2018 में पुरस्कार की घोषणा टाल दी गई क्योंकि स्वीडिश एकेडमी यौन शोषण के आरोपों में घिर गई थी। यह वही संस्था है जो पुरस्कार विजेताओं को चुनती है। आरोपों में घिरने के बाद कई सदस्यों ने खुद को एकेडमी से अलग कर लिया। काफी उठापटक के बाद आखिरकार एकेडमी ने अपना भरोसा हासिल किया और फिर बीते साल एक साथ दो पुरस्कारों की घोषणा की गई। 2018 के लिए पोलैंड की ओल्गा तोकारचुक और 2019 के लिए पेटर हांडके को पुरस्कार दिया गया।हांडके का नाम पुरस्कार के लिए चुने जाने के बाद एक बार फिर विवाद उठ गया। हांडके 1990 के दशक में हुए बाल्कन युद्ध में सर्बिया के पक्के समर्थक माने जाते हैं। उन्हें सर्बिया के युद्ध अपराधों का समर्थक कहा गया। अल्बानिया, बोस्निया और तुर्की जैसे कई देशों ने विरोध जताने के लिए नोबेल पुरस्कार समारोह का बहिष्कार किया। यहां तक कि पुरस्कार के लिए चयन करने वाली समिति के एक सदस्य ने इस्तीफा भी दे दिया।करीब 11 लाख डॉलर के सबसे प्रतिष्ठित साहित्य नोबेल पुरस्कार के लिए उम्मीद की जा रही है कि इस बार चुने गए विजेता के नाम पर कोई विवाद नहीं होगा। इस बार पुरस्कार की दौड़ में केन्या के न्गुगी वा थिंगो, कनाडा की कवि ए कार्सन और जापान के उपन्यासकार हारुकी मुराकामी का नाम लिया जा रहा था। हालांकि पुरस्कार आखिरकार अमेरिकी साहित्यकार की झोली में गया।1913 में रवींद्रनाथ टैगोर को गीतांजली के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया। इस पुरस्कार को पाने वाले वो ना सिर्फ पहले भारतीय बल्कि पहले गैर यूरोपीय साहित्यकार भी थे। 1901 से लेकर अब तक कुल 112 नोबेल पुरस्कार दिए गए हैं और इस बीच सात साल ऐसे रहे जब ये पुरस्कार नहीं दिए गए। कुल मिला कर दुनिया में 116 नोबेल साहित्य पुरस्कार विजेता हैं। आमतौर पर साहित्य का नोबेल किसी एक शख्स को ही दिया जाता है और सिर्फ चार बार ऐसा हुआ जब पुरस्कार दो लोगों में बांटा गया। कुल 15 महिलाएं इस पुरस्कार की विजेता रही हैं। द जंगल बुक के लिए विख्यात रडयार्ड किपलिंग को 41 साल की उम्र में साहित्य का नोबेल मिला और वो सबसे युवा विजेता हैं। 2007 में डोरिस लेसिंग को मिले नोबेल ने उन्हें सबसे बुजुर्ग विजेता बनाया। तब उनकी उम्र 88 साल थीं।1958 में बोरिस पास्टरनेक को नोबेल साहित्य पुरस्कार देने के लिए चुना गया, लेकिन उन्होंने अपने देश की सरकार के दबाव में पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया। इसी तरह 1964 में नोबेल पुरस्कार के लिए ज्यां पॉल सात्र्र के नाम की घोषणा हुई , लेकिन उन्होंने पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने किसी भी आधिकारिक पुरस्कार को स्वीकार नहीं किया।-----
- अम्मान। जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने अपने मुख्य नीति सलाहकार को देश का नया प्रधानमंत्री चुना और उन्हें नई सरकार बनाने का अधिकार दिया। पूर्ववर्ती सरकार की कोरोना वायरस महामारी से निपटने को लेकर बहुत आलोचना हुई थी।रॉयल कोर्ट की ओर से दिए गए वक्तव्य में शाह ने कहा कि उन्होंने बिशर अल खासानेह को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है और उन्हें जॉर्डन के लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप एक सरकार गठित करने का निर्देश दिया है। देश में दस नवंबर को संसदीय चुनाव होने हैं। अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री उमर अल राजाज का इस्तीफा शनिवार को स्वीकार कर लिया था। द्वशाह ने चार वर्ष का कार्यकाल पूरा होने से एक हफ्ते पहले ही संसद भंग कर दी थी।
- -इमानुएले शारपेंटियर और जेनिफर ए डुडना को मिलेगा ये सम्मानस्टॉकहोम। नोबेल पुरस्कारों की कड़ी में आज रसायन के लिए भी इस साल के पुरस्कार विजेताओं का एलान हो गया। इमानुएले शारपेंटियर और जेनिफर ए डुडना को जीनोम एडिटिंग का तरीका विकसित करने के लिए इस साल रसायन का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। 2012 में शारपेंटियर और डुडना ने सीआरआईएसपीआर/सीएएस9 जेनेटिक कैंचियों की खोज की थी और इसके बाद जीनोम एडिटिंग बड़े पैमाने पर होने लगा।इनकी खोज के बाद लाइफ साइंस एक नई ऊंचाई पर पहुंचा है और नोबेल कमेटी मानती है कि इससे मानवता का बहुत भला हुआ है। इनकी मदद से जीवों के डीएनए को रिसर्चर अतिसूक्ष्मता के साथ बदल सकते हैं। इस नई तकनीक के कारण कैंसर के इलाज में मदद मिली है और आनुवांशिक रोगों का इलाज संभव हो सका है।यह पुरस्कार आमतौर पर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को बेहतर बनाने वाले उपायों और खोजों से जुड़ा रहा है। पिछले साल लिथियम आयन बैटरी बनाने वाली सोच को नोबेल पुरस्कार दिया गया था। 2019 में रसायन के लिए पुरस्कार जीतने वाले वैज्ञानिक थे जॉन गुजेनॉफ, एम स्टैनली व्हिटिंघम और अकीरा योसिनो। नोबेल कमेटी ने लिखा कि इन वैज्ञानिकों की खोज से आज का समाज बेतार होने के साथ ही जीवाश्म ईंधन से मुक्त हो सकता है।अब तक कुल 111 बार रसायन के लिए नोबेल पुरस्कार दिए गए हैं और विजेताओं की संख्या 183 है। 1901 से इन पुरस्कारों का सिलसिला चल रहा है लेकिन बीच में आठ साल ऐसे रहे जब यह पुरस्कार नहीं दिए गए। 63 लोगों ने यह पुरस्कार अकेले जीता है। 23 बार दो विजेताओं में पुरस्कार बांटा गया और 25 बार इसके तीन विजेता रहे। 2009 में वेंकी रामाकृष्णन को रसायन का नोबेल पुरस्कार मिला था और वो इस कतार में अकेले भारतीय हैं।1911 में जब मैरी क्यूरी को रसायन का नोबेल पुरस्कार दिया गया तो वो दुनिया की पहली वैज्ञानिक थीं जिन्होंने दो बार नोबेल पुरस्कार जीता। वैसे रसायन के लिए दो बार नोबेल पुरस्कार जीतने वाले वैज्ञानिक फ्रेडरिक सेंगर हैं। उन्होंने 1958 और 1980 में यह पुरस्कार मिला. रसायन के लिए कुल पांच महिलाओं ने नोबेल पुरस्कार जीता है। इनमें मैरी क्यूरी के अलावा इरेने जोलियट क्यूरी (मैरी क्यूरी की बेटी) डोरोथी क्रॉफुट हॉगकिन, अडा योनाथ और फ्रांसिस एच अर्नाॅल्ड शामिल हैं।1935 में पुरस्कार हासिल करने वाले फ्रेडेरिक जोलियट रसायन के लिए सबसे युवा नोबेल विजेता हैं। उस वक्त उनकी उम्र महज 35 साल थी। सबसे बुजुर्ग विजेता के रूप में जॉन बी गुडेनॉफ का नाम दर्ज है जिन्होंने 97 साल की उम्र में रसायन का नोबेल पुरस्कार हासिल किया।इन पुरस्कारों के इतिहास में ऐसा भी हुआ है जब नोबेल विजेताओं को इन्हें ठुकराने पर विवश किया गया। जर्मनी के रिचर्ड कुन को 1938 में और अडोल्फ बुटेनान्ड्ट को 1939 में रसायन के लिए नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा हुई। 1939 में ही जर्मनी के गेरहार्ड डोमाग्क भी मेडिसिन के लिए नोबेल विजेता बने। हालांकि तब देश के शासक रहे अडोल्फ हिटलर ने उनके पुरस्कार लेने पर रोक लगा दी। इन लोगों को बाद में नोबेल पुरस्कार का सर्टिफिकेट और मेडल तो दिया गया लेकिन पुरस्कार की राशि नहीं मिली।डायनामाइट का आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की संपत्ति से यह पुरस्कार दिया जाता है। 1895 में अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी अंतिम वसीयत पर दस्तखत किए थे और अपनी संपत्ति का ज्यादातर हिस्सा इन पुरस्कारों के लिए दान कर दिया था। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार के विजेता को करीब 11 लाख अमेरिकी डॉलर की रकम मिलती है।--
- स्टॉकहोम। खगोलीय खोज के लिए तीन वैज्ञानिकों को 2020 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला है। इनमें रोजर पेनरोसे को ब्लैकहोल की खोज के लिए तथा रीनहार्ड गेंजेल और एंड्रिया घेज को हमारी आकाशगंगा के केंद्र में सुपरमैसिव कॉम्पैक्ट ऑबजेक्ट की खोज के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है।तारकीय अवशेषों, श्वेत वामन तारों, न्यूट्रॉन तारों और ब्लैक होल जैसी चीजों को कॉम्पैक्ट ऑबजेक्ट कहा जाता है। नोबेल पुरस्कार के तहत स्वर्ण पदक, एक करोड़ स्वीडिश क्रोना (11 लाख डॉलर से अधिक) की राशि दी जाती है। स्वीडिश क्रोना स्वीडन की मुद्रा है। यह पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है। नोबेल पुरस्कार समिति ने सोमवार को शरीर विज्ञान एवं औषधि क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिकों-हार्वे जे अल्टर और चाल्र्स एम राइस तथा ब्रिटेन में जन्मे वैज्ञानिक मिशेल हफटन को देने की घोषणा की थी।---