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जेनेवा. अमेरिका और चीन ने हाल ही में एक-दूसरे पर लगाए भारी शुल्कों में से अधिकतर पर 90 दिन की रोक लगाने की सोमवार को जानकारी दी। अमेरिका अधिकारियों ने बताया कि दोनों देश अपने व्यापार विवादों को हल करने के लिए बातचीत जारी रखने के समझौते पर पहुंच गए हैं। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर ने कहा कि अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 145 प्रतिशत शुल्क दर को घटाकर 30 प्रतिशत करने पर जबकि चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर अपनी दर को घटाकर 10 प्रतिशत करने पर सहमति व्यक्त की है। ग्रीर और अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने जेनेवा में संवाददाता सम्मेलन में शुल्क कटौती की घोषणा की। उन्होंने साथ ही कहा कि दोनों पक्षों ने अपने व्यापार मुद्दों पर चर्चा जारी रखने की रुपरेखा तैयार की है।
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लॉस एंजिलिस. हॉलीवुड स्टार जैकी चेन का कहना है कि आज के स्टंट उतने वास्तविक नहीं लगते, जितने उनके जमाने में लगते थे, क्योंकि यह कंप्यूटर जनित इमेजरी (सीजीआई) पर बहुत अधिक निर्भर करता है। स्टंट के लिए दुनिया में मशहूर चेन ने कहा कि वर्तमान स्थिति ‘‘दोधारी तलवार'' की तरह है, जहां अभिनेताओं को प्रौद्योगिकी की मदद से असंभव स्टंट करने का अवसर मिलता है, लेकिन दर्शकों को पता है कि इसमें बहुत कम जोखिम है। उन्होंने कहा, ‘‘पुराने दिनों में, हमारे पास एकमात्र विकल्प था कि हम वहां जाएं और कूद जाएं; बस। आज, कंप्यूटर के साथ, अभिनेता कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन हमेशा वास्तविकता की एक भावना होती है जो आपको महसूस होती है और यह इसमें गायब है।'' चेन (71 वर्षीय) ने बताया, ‘‘यह दोधारी तलवार है। एक ओर, अभिनेता प्रौद्योगिकी की मदद से असंभव स्टंट करने में सक्षम होते जा रहे हैं, और दूसरी ओर, खतरे और सीमा की अवधारणा धुंधली होती जा रही है और दर्शक इसके प्रति उदासीन हो रहे हैं। लेकिन मैं किसी को भी स्टंट करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर रहा हूं, जैसा कि मैंने किया; यह वास्तव में बहुत खतरनाक है।'' चेन के करियर में ‘‘ड्रंकन मास्टर'', ‘‘पुलिस स्टोरी'' और ‘‘रश ऑवर'' जैसी एक्शन फिल्में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वह स्वयं स्टंट करना जारी रखेंगे क्योंकि यह उनकी पहचान का हिस्सा है।
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कोलंबो. श्रीलंका के प्रांत ‘सेंट्रल प्रोविंस' स्थित कोटमाले क्षेत्र में रविवार को एक बस के खाई में गिर जाने से कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई और 30 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस के अनुसार, यह दुर्घटना उस समय हुई जब बस चालक ने पहाड़ी रास्ते पर बाएं मुड़ने की कोशिश की। पुलिस ने बताया कि उसी दौरान बस फिसलकर खाई में गिर गई। पुलिस ने बताया कि राज्य परिवहन निकाय के स्वामित्व वाली बस में 75 यात्री सवार थे। पुलिस ने बताया कि ये बस दक्षिणी तीर्थस्थल कटारगामा से उत्तर-पश्चिमी शहर कुरुनेगाला जा रही थी। श्रीलंका के परिवहन एवं राजमार्ग उपमंत्री प्रसन्ना गुनासेना ने बताया कि दुर्घटना में 21 लोगों की मौत हो गई। इस दुर्घटना में 30 से अधिक यात्री घायल हो गए हैं।
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नई दिल्ली। भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद 10 मई को दोनों देशों ने संघर्षविराम की घोषणा की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि यूएस ने इस संघर्षविराम में मध्यस्थता की भूमिका निभाई। ट्रंप ने संघर्ष विराम के लिए अपने ‘ट्रुथ सोशल’ पर दोनों देशों के नेतृत्व की बुद्धिमता और दूरदर्शिता की सराहना की।
राष्ट्रपति ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “मैं भारत और पाकिस्तान की मजबूत और समझदार नेतृत्व की बहुत सराहना करता हूं, जिन्होंने समय रहते अपनी बुद्धि और धैर्य से यह समझ लिया कि अब और लड़ाई को रोकना जरूरी है। क्योंकि, युद्ध से विनाशकारी परिणाम मिल सकते थे। लाखों अच्छे और निर्दोष लोग मारे जा सकते थे। आपके इस साहसी फैसले से आपका नाम और सम्मान बढ़ा है।”ट्रंप ने आगे लिखा, “मुझे गर्व है कि अमेरिका इस ऐतिहासिक और बहादुरी भरे फैसले में मदद कर सका। भले ही इस पर बात नहीं हुई है, लेकिन मैं अब भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ व्यापार को काफी बढ़ाने का इरादा रखता हूं। साथ ही, मैं कश्मीर के मुद्दे पर भी दोनों देशों के साथ मिलकर कोई शांतिपूर्ण हल निकालने की कोशिश करूंगा, भले ही इसमें बहुत समय लगे। भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व को इस अच्छे काम के लिए दिल से शुभकामनाएं।”बता दें कि 10 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को लेकर बड़ी घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि भारत-पाकिस्तान पिछले तीन दिनों से जारी संघर्ष पर तत्काल पूर्ण युद्ध विराम के लिए सहमत हो गए हैं। यह सहमति अमेरिका की मध्यस्थता से पूरी हुई है।डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रूथ पर एक पोस्ट में लिखा, “अमेरिका की मध्यस्थता में रात में चली लंबी वार्ता के बाद मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्ध विराम पर सहमत हो गए हैं।” -
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को लेकर बड़ी घोषणा की। उन्होंने दावा किया है कि भारत-पाकिस्तान पिछले तीन दिनों से जारी संघर्ष पर तत्काल पूर्ण युद्ध विराम के लिए सहमत हो गए हैं। यह सहमति अमेरिका की मध्यस्थता से पूरी हुई है।
ट्रंप ने समझदारी दिखाने के लिए दोनों देशों को धन्यवाद दियाअमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रूथ पर एक पोस्ट में लिखा, “अमेरिका की मध्यस्थता में रात में चली लंबी वार्ता के बाद मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्ध विराम पर सहमत हो गए हैं।” ट्रंप ने समझदारी दिखाने के लिए दोनों देशों को धन्यवाद दिया है।अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस पिछले 48 घंटे से भारत और पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे थेअमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भी एक्स पर बताया कि वह स्वयं और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस पिछले 48 घंटे से भारत और पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे थे। इस बातचीत में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, सेना प्रमुख असीम मुनीर और पाक एनएसएस असीम मलिक शामिल थे।पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भी तत्काल युद्ध विराम की पुष्टि कीपाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भी तत्काल युद्ध विराम की पुष्टि की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि पाकिस्तान अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता किए बिना क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए हमेशा से प्रयासरत रहा है।पिछले महीने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर 7 मई को तड़के पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था।दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बाद अमेरिका को मध्यस्थता के लिए बीच में आना पड़ाइसके बाद पाकिस्तान ने लगातार भारतीय सैन्य ठिकानों और आबादी वाले इलाके में ड्रोन तथा मिसाइलों से हमले किए, जिनमें ज्यादातर को भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया। दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बाद अमेरिका को मध्यस्थता के लिए बीच में आना पड़ा। -
यरूशलम. भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर इजराइल ने अपने नागरिकों के लिए मौजूदा यात्रा परामर्श को अद्यतन किया है, जिसमें कश्मीर क्षेत्र में रहने वाले लोगों से ‘तुरंत इलाका छोड़ने' का आग्रह किया गया है। संशोधित परामर्श भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आतंकी ठिकानों पर हमले किए जाने के बाद बुधवार को आया। पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास सीमावर्ती गांवों को निशाना बनाकर तेज गोलाबारी की। इजराइल के विदेश मंत्रालय ने इजराइल के नागरिकों से लद्दाख के अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में जाने से बचने का आह्वान किया। मंत्रालय ने कहा कि कश्मीर में मौजूद इजराइलियों को ‘तुरंत इलाका छोड़ देना चाहिए' और स्थानीय सुरक्षा बलों के निर्देशों का पालन करना चाहिए। मंत्रालय ने कहा कि यह परामर्श संयुक्त राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा जारी मौजूदा यात्रा परामर्श के अनुरूप है। भारत ने मंगलवार देर रात ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत, 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। पहलगाम हमले में 26 लोग मारे गए थे। पाकिस्तानी सेना ने कहा कि आधी रात के बाद किए गए भारतीय मिसाइल हमलों में 31 लोग मारे गए और 57 अन्य घायल हो गए।
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लंदन. पहलगाम आतंकी हमले और इसके जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर की गई भारत की कार्रवाई के मद्देनजर दोनों पड़ोसी देशों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर ब्रिटेन की संसद में लंबी चर्चा हुई। चर्चा के दौरान विभिन्न दलों के सदस्यों ने क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए ब्रिटेन की ओर से मदद की जरूरत पर जोर दिया। भारत ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में मंगलवार देर रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। पहलगाम हमले में 26 लोग मारे गए थे। ब्रिटेन के विदेश मंत्री हैमिश फाल्कनर ने बुधवार को निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स' में एक बयान के साथ चर्चा की शुरुआत की और कूटनीति एवं संवाद के महत्व पर प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर की पिछली टिप्पणियों को दोहराया गया। उन्होंने देश में बड़ी संख्या में रहने वाले ब्रिटिश भारतीयों और ब्रिटिश पाकिस्तानियों के लिए संघर्ष के बहुत ही ‘‘व्यक्तिगत'' पहलू से संबंधित चिंताओं को भी व्यक्त किया। फाल्कनर ने कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान दोनों को हम लगातार यही संदेश देना चाहते हैं कि वे संयम बरतें। उन्हें एक त्वरित, कूटनीतिक मार्ग तलाशने के लिए बातचीत में शामिल होने की आवश्यकता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ब्रिटेन का दोनों देशों के साथ घनिष्ठ संबंध है। नागरिकों की जान जाते देखना दिल को झकझोर देने वाला है। अगर तनाव ऐसे ही और बढ़ता है, तो किसी की भी जीत नहीं होगी। हमने पिछले महीने हुए भयावह आतंकवादी हमले की स्पष्ट रूप से निंदा की।'' ब्रिटेन की छाया विदेश मंत्री (ब्रिटेन की आधिकारिक विपक्ष की समानांतर छाया कैबिनेट) प्रीति पटेल ने भारत के खुद का बचाव करने और ‘‘आतंकवादी ठिकानों'' को नष्ट करने के लिए ‘‘उचित एवं सधा'' कदम उठाने के अधिकार पर प्रकाश डाला। ब्रिटेन की भारतीय मूल की सांसद ने कहा, ‘‘पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी भारत और पश्चिमी हितों के लिए खतरा हैं। यह वही देश है जहां ओसामा बिन लादेन छिपा हुआ था। भारत में आतंकवादियों द्वारा हिंसा के लंबे इतिहास के कारण ब्रिटेन ने भारत के साथ सुरक्षा सहयोग समझौते किए हैं।'' भारत में जन्मे और ब्रिटेन के इलफर्ड साउथ से लेबर पार्टी के सांसद जस अठवाल ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि उनके माता-पिता पाकिस्तान में पैदा हुए थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह भी अच्छी तरह से जानता हूं कि कोई भी देश अपने कदम पीछे नहीं करेगा। इसलिए मंत्री मुझे और मेरे संसदीय क्षेत्र के निवासियों को आश्वस्त करने के लिए ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे कि दोनों शक्तिशाली देश दुनिया के इस अस्थिर हिस्से में शांति बहाल करने के वास्ते बातचीत की मेज पर आएं जिसके लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे।'' कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने पाकिस्तान से ‘‘हमेशा हमेशा के लिए'' आतंकवादी ठिकानों को हटाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने तब यह स्पष्ट कर दिया था कि या तो पाकिस्तान नियंत्रण रेखा के साथ लगते इन आतंकवादी ठिकानों को हटा दे या फिर भारत उन्हें हटा देगा... नौ जगहों को निशाना बनाया गया; वे आतंकवादी ठिकाने थे जहां आतंकवादियों को भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था।'' पाकिस्तानी मूल के कई ब्रिटिश सांसदों ने भी ‘‘दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव'' और दोनों परमाणु शक्ति संपन्न ताकतों के बीच युद्ध के वास्तविक खतरे के बढ़ने की निंदा की। मंत्री फाल्कनर ने जोर देकर कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि सदन दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के महत्व पर ध्यान केंद्रित करे।
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नई दिल्ली। लाहौर और पंजाब में ड्रोन विस्फोटों, ड्रोन गिरने और हवाई क्षेत्र में संभावित घुसपैठ की खबरों के बीच, अमेरिकी वाणिज्य दूतावास, लाहौर ने सभी अमेरिकी कर्मियों को सुरक्षित स्थान पर शरण लेने का निर्देश दिया है। वाणिज्य दूतावास को प्रारंभिक जानकारी मिली है कि स्थानीय प्रशासन लाहौर के मुख्य हवाई अड्डे के आसपास कुछ इलाकों को खाली कर सकता है।
भारतीय सेना का ऑपरेशन ‘सिंदूर’यह तनाव भारतीय सेना की ओर से किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद शुरू हुआ, जिसमें भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था।अमेरिकी वाणिज्य दूतावास ने जारी की सलाहपाकिस्तान में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के अनुसार, अमेरिकी नागरिक अगर खुद को किसी संघर्ष वाले क्षेत्र में पाते हैं और वहां से सुरक्षित निकलना संभव हो तो वहां से निकल जाएं। अगर निकलना सुरक्षित नहीं है तो वे घर के अंदर ही रहें। दूतावास जरूरत के अनुसार अपने मैसेजिंग सिस्टम के माध्यम से अपडेट भेजेगा। साथ ही, अमेरिकी नागरिकों से अनुरोध किया गया कि वे सुनिश्चित करें कि उन्होंने स्मार्ट ट्रैवलर एनरोलमेंट प्रोग्राम में पंजीकरण कराया हुआ है।अमेरिकी नागरिक सुरक्षित ठिकाने की तलाश करेंइसके अलावा अमेरिकी वाणिज्य दूतावास ने यह सलाह दी है कि अमेरिकी नागरिक सुरक्षित ठिकाने की तलाश करें। अमेरिकी सरकार की सहायता पर निर्भर न रहकर अपनी निकासी योजना तैयार रखें। अपनी यात्रा दस्तावेज अपडेट करें और आसानी से उपलब्ध रखें। स्थानीय मीडिया के माध्यम से ताजा अपडेट्स पर नजर रखें। स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग करें।भारतीय सेना ने पकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दियाआपको बता दें, भारतीय सेना ने 7 मई को ऑपरेशन “सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सधी हुई लक्षित कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई में भारतीय सेना ने इन सभी आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। भारत ने कहा कि उसकी कार्रवाई सोच-समझकर की गई थी, और इसका मकसद तनाव बढ़ाना नहीं था।पकिस्तान ने भारत के कई इलाकों के सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश कीरक्षा मंत्रालय के अनुसार, 7 और 8 मई की दरमियानी रात पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग करके भारत के कई इलाकों के सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की। लेकिन भारत की एयर डिफेंस प्रणाली ने इन्हें नाकाम कर दिया। गुरुवार सुबह भारतीय सेना ने पाकिस्तान में कुछ जगहों पर एयर डिफेंस रडार और सिस्टम को निशाना बनाया। भारत की यह जवाबी कार्रवाई उसी तरह और उसी स्तर की थी, जैसी पाकिस्तान ने की थी। - न्यूयॉर्क, अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में भारतीय-अमेरिकी सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर आतंकवाद से लड़ने और भविष्य में हिंसा को रोकने की जरूरत पर बल दिया तथा इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्र में व्यापक संघर्ष और तनाव को और बढ़ाने से बचना आवश्यक है। आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और भारत तथा पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ने से रोकने का आह्वान करते हुए कृष्णमूर्ति ने बुधवार को कहा कि पिछले महीने पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले के मद्देनजर आतंकवाद से लड़ने तथा भविष्य में हिंसा को रोकने की जरूरत और भी अधिक बढ़ गई है। जैसा कि विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा, व्यापक संघर्ष और तनाव को बढ़ाने से बचना आवश्यक है।कृष्णमूर्ति ने कहा, “ साथ ही, पाकिस्तान को पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को रिहा करना चाहिए और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने चाहिए जो लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखें और पाकिस्तानी लोगों की इच्छा को आवाज़ दें। मौजूदा स्थिति का इस्तेमाल पाकिस्तान में लोकतंत्र को और कमज़ोर करने के बहाने के तौर पर नहीं किया जाना चाहिए।” भारतीय प्रवासी समुदाय के सदस्यों ने भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर' के प्रति प्रबल समर्थन व्यक्त किया, जिसके तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया। ‘इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज' (एफआईआईडीएस) में नीति एवं रणनीति प्रमुख खंडेराव ने कहा,, “ भारत ने पाकिस्तान में आतंकवादी शिविरों पर लक्षित मिसाइल हमला करके निर्णायक और सही कदम उठाया, जिससे स्पष्ट संदेश गया कि आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा, चाहे उसका स्रोत कहीं से भी हो।” उन्होंने कहा, “ यह अभियान नपा-तुला और सटीक था, जिसका लक्ष्य विशेष रूप से आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करना था, मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए जानबूझकर नागरिक क्षेत्रों से बचा गया तथा तनाव को बढ़ने से रोकने के लिए सैन्य ठिकानों से दूरी बनाए रखी गई।” समुदाय के नेता और पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के सलाहकार रहे अजय भूतोरिया ने कहा, "मैं भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर' का पुरजोर समर्थन करता हूं, जो पहलगाम हमले के जवाब में पीओके में आतंकवादी ठिकानों पर एक सटीक हमला है।” उन्होंने कहा, "लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों के खिलाफ भारत की लक्षित कार्रवाई आतंकवाद से लड़ने और उसे बढ़ने से रोकने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। मैं भारत के संकल्प की सराहना करता हूं और आतंकवाद से लड़ने तथा दक्षिण एशिया में शांति को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक सहयोग का आह्वान करता हूं।
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मॉस्को. आज से ठीक 25 साल पहले सात मई को केबीजी के पूर्व कर्नल और सार्वजनिक रूप से कम दिखाई देने वाले सेंट पीटर्सबर्ग के उपमहापौर व्लादिमीर पुतिन रूस के शीर्ष पद पर आसीन हुए। पच्चीस साल बाद भी पुतिन रूस के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं और पिछले साल हुए चुनाव इसकी स्पष्ट गवाही देते हैं जिसमें पुतिन को कुल 88.48 प्रतिशत वोट मिले थे। रविवार को दिखाई गई एक टीवी डॉक्युमेंट्री में उन्होंने कहा कि वह एक उत्तराधिकारी की तलाश कर रहे हैं, लेकिन यह उनके अधिकार में नहीं है, क्योंकि उत्तराधिकारी को मजबूत प्रतिद्वंद्वियों के साथ चुनाव में बहुमत हासिल करना होगा। पुतिन के पूर्ववर्ती बोरिस येल्तसिन रूस के प्रत्यक्ष रूप से चुने गए पहले राष्ट्रपति थे। उन्होंने बिगड़ते स्वास्थ्य, राजनीतिक अस्थिरता, वित्तीय और आर्थिक समस्याओं, उत्तरी कॉकेसस में उग्रवाद और सिलसिलेवार आतंकी हमलों के कारण अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने नववर्ष की पूर्व संध्या पर 31 दिसंबर 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पुतिन को देश की बागडोर सौंप दी थी। पुतिन 26 मार्च 2000 को राष्ट्रपति चुने गए। 53 प्रतिशत वोट हासिल करके उन्होंने अपने वामपंथी प्रतिद्वंद्वी गेनेडी ज्यूगानोव और लिबरल ब्लॉक याबलोको को नेता ग्रिगोरी यावलिंस्की को हराया था। जिस तरह पुतिन ने चेचन उग्रवाद का डटकर मुकाबला किया, समाज के सबसे कमजोर वर्ग को समय पर पेंशन का आश्वासन दिया, देश में विनिर्माण को पुनर्जीवित किया, रोजगार के अवसर पैदा किए, उसकी वजह से लगभग 72 प्रतिशत वोटों के साथ उन्हें दूसरी बार जीत हासिल हुई। रूस के संविधान में कोई व्यक्ति लगातार दो बार चार-चार वर्ष के लिए राष्ट्रपति बन सकता है। ऐसे में पुतिन ने पद छोड़ दिया और चार वर्षों के लिए राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के अधीन प्रधानमंत्री का पद संभाला। बाद में मेदवेदेव की सरकार में हुए संवैधानिक संशोधनों के कारण राष्ट्रपति का कार्यकाल छह साल के लिए बढ़ा दिया गया और 2012 व 2018 में पुतिन क्रमशः 64.95 और 77.53 प्रतिशत वोटों के साथ निर्वाचित हुए। हालांकि, जब जुलाई 2020 में राष्ट्रव्यापी मतदान के जरिए संविधान में संशोधन किया गया, तो उन्हें 2036 तक दो और बार छह वर्ष के कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ने का अधिकार मिल गया। इस बीच, रूस ने यूक्रेन में एक शांतिपूर्ण अभियान के तहत क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था। रूस का दावा है कि मार्च 2014 में यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविक के खिलाफ अमेरिका द्वारा किए गए तख्तापलट के कारण रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया। कई वर्षों बाद, जब अमेरिका के नेतृत्व वाले उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने अपना दायरा न बढ़ाने और रूस को सुरक्षा की गारंटी देने की पुतिन की मांग ठुकरा दी तो मॉस्को ने 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन में एक 'विशेष सैन्य अभियान' शुरू किया। नवीनतम जनमत सर्वेक्षण से पता चला है कि यूक्रेन से युद्ध के बावजूद पुतिन की लोकप्रियता रेटिंग 80 प्रतिशत है। पुतिन ने पिछले वर्ष 88.48 प्रतिशत मतों के साथ चुनाव जीता था।
तातियाना पी (72) ने कहा, “हम नाटो के साथ युद्ध का सामना कर रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे जार अलेक्जेंडर 1 के नेतृत्व में नेपोलियन के साथ या स्टालिन के नेतृत्व में नाजी जर्मनी के साथ हुआ था। हम अपने मतभेदों को भुलाकर अपनी मातृभूमि के लिए पूरी तरह से एकजुट रहते हैं, चाहे नेता कोई भी हो” पुतिन का भारत से जुड़ाव
सेवानिवृत्त खुफिया अधिकारी पुतिन सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी में काम कर रहे थे, तभी स्थानीय मेयर अनातोली सोबचक ने उन्हें विदेशी व्यापार संबंधों का प्रभारी उप मेयर बनने के लिए आमंत्रित किया। स्थानीय लोगों को याद है कि धाराप्रवाह जर्मन बोलने वाले पुतिन केवल जर्मनी और भारत के वाणिज्य दूतावासों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में जाते थे। उन्होंने तत्कालीन भारतीय वाणिज्यदूत डॉ. रमेशचंद्र के साथ बहुत दोस्ताना संबंध बनाए थे और भारतीय व्यंजनों के प्रति उनका रुझान बढ़ा था। साल 1996 में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था: "क्रेमलिन में बैठे लोग भारत के महत्व को नहीं समझते, हमें संयुक्त हाई-टेक परियोजनाओं के लिए भारत की जरूरत है।" राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निमंत्रण पर भारत का दौरा किया और दोनों नेताओं ने एक रणनीतिक सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किए, जिसे इस साल अक्टूबर में 25 वर्ष पूरे हो जाएंगे। पुतिन की भारत की पहली आधिकारिक यात्रा की यादें साझा करते हुए रूसी रक्षा मंत्रालय के अंतरराष्ट्रीय विभाग के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) लियोनिद इवाशोव ने बताया, "दिल्ली जाते समय मैंने राष्ट्रपति पुतिन से कहा कि वह विभिन्न देशों के साथ संबंध विकसित कर सकते हैं लेकिन भारत से संबंध खास हैं और उसे हमेशा रूस के साथ रखना चाहिए।” जनरल इवाशोव ने बताया कि उनकी सेवानिवृत्ति के कई साल बाद वह एक सम्मेलन में पहुंचे, जहां पुतिन भी मौजूद थे। इवाशोव ने कहा, "राष्ट्रपति मेरे पास आए और कहा, 'मैं भारत के बारे में आपकी सलाह को नहीं भूला हूं। - लाहौर.। भारत की ओर से मिसाइल हमले किए जाने के मद्देनजर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बुधवार को आपातकाल घोषित कर दिया गया और सभी शिक्षण संस्थान बंद कर दिए। पाकिस्तानी सेना ने कहा है कि पंजाब प्रांत और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के शहरों पर मंगलवार देर रात भारत की ओर से किए गए हमलों में कम से कम 26 लोगों की जान चली गई है और 46 अन्य घायल हुए हैं। पंजाब प्रांत की सरकार ने एक बयान में कहा, ‘‘पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने पूरे प्रांत में आपातकाल घोषित कर दिया है।'' पंजाब पुलिस सहित सभी सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। पंजाब के अस्पतालों में सभी चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। बयान में कहा गया है कि सभी कर्मचारियों को तुरंत ड्यूटी पर आने का आदेश दिया है और पंजाब के सभी जिलों में प्रशासन को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है। इसमें कहा गया है कि नागरिक सुरक्षा सहित सभी संबंधित संस्थानों के अधिकारियों और कर्मचारियों को बुलाया गया है। बयान में कहा गया है कि बुधवार को शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे।भारत द्वारा हमले किए जाने के बाद सभी उड़ानों का संचालन बंद कर दिया गया है लेकिन अब पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र आंशिक रूप से खोला जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले का बदला लेते हुए भारतीय सशस्त्र बलों ने मंगलवार देर रात ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। पहलगाम आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए थे जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे।
- न्यूयॉर्क।. पाकिस्तान में अमेरिका के मिशन ने बुधवार को एक सुरक्षा अलर्ट जारी कर अमेरिकी नागरिकों को संघर्ष वाले क्षेत्र छोड़ने की सलाह दी है। अमेरिकी मिशन ने कहा कि वह पाकिस्तान में आतंकी ढांचे को निशाना बनाकर भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर' के बाद ‘घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहा है'। ‘सैन्य गतिविधि और बंद हवाई क्षेत्र' शीर्षक वाली सुरक्षा चेतावनी में कहा गया है, ‘‘हमें भारत द्वारा पाकिस्तान में सैन्य हमलों की रिपोर्ट के बारे में पता है। यह एक उभरती हुई स्थिति है और हम घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।'' इसमें कहा गया है, ‘‘अमेरिकी नागरिकों को आतंकवाद और सशस्त्र संघर्ष की संभावना के कारण भारत-पाकिस्तान सीमा और नियंत्रण रेखा के आस-पास के क्षेत्रों के लिए ‘यात्रा नहीं करें' के परामर्श और आम तौर पर पाकिस्तान के लिए अमेरिकी विदेश विभाग की ‘यात्रा पर पुनर्विचार करें' सलाह की याद दिलाई जाती है।'' चेतावनी में कहा गया है, ‘‘हमें यह भी पता है कि हवाई क्षेत्र बंद कर दिया गया है, और कई उड़ानें रद्द कर दी गई हैं।'' इस संदेश के माध्यम से पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों ने अमेरिकी नागरिकों को सलाह दी कि ‘‘यदि वे सुरक्षित रूप से कर सकते हों तो सक्रिय संघर्ष वाले क्षेत्रों को छोड़ दें, या किसी सुरक्षित स्थान पर शरण लें।'' इसमें कहा गया है कि अमेरिकी नागरिकों को सावधानी बरतनी चाहिए और ‘‘यदि आप खुद को अप्रत्याशित रूप से सैन्य गतिविधियों के आस-पास पाते हैं तो उस क्षेत्र को छोड़ दें। यदि स्थानांतरित नहीं हो सकते हैं तो आश्रय लें, व्यक्तिगत सुरक्षा योजना की समीक्षा करें, खामोशी से रहें, आस-पास के वातावरण से अवगत रहें, पहचान पत्र साथ रखें और अधिकारियों के साथ सहयोग करें।'' अमेरिकी विदेश विभाग ने मार्च में ‘आतंकवाद और सशस्त्र संघर्ष की संभावना के कारण' पाकिस्तान की यात्रा पर पुनर्विचार करने के लिए एक यात्रा परामर्श जारी किया था। परामर्श में कहा गया, ‘‘आतंकवाद के कारण बलूचिस्तान प्रांत और खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रांत, जिसमें पूर्व संघ प्रशासित कबायली क्षेत्र (एफएटीए) शामिल हैं, की यात्रा न करें और आतंकवाद तथा सशस्त्र संघर्ष की आशंका के कारण भारत-पाकिस्तान सीमा और नियंत्रण रेखा के सन्निकट क्षेत्र की यात्रा न करें।''
- न्यूयॉर्क/वाशिंगटन. भारत द्वारा मंगलवार को आधी रात के बाद पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाकर किए गए सैन्य हमले के तुरंत बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह लड़ाई ‘बहुत जल्द' समाप्त हो जाएगी।''उन्होंने आगे कहा, ‘‘हमने इसके बारे में तब सुना जब हम ओवल (अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय) जा रहे थे। मुझे लगता है कि लोगों को पता था कि अतीत में जो कुछ हुआ है उसके आधार पर कुछ होने वाला है।'' ट्रंप ने कहा, ‘‘वे लंबे समय से लड़ रहे हैं। वास्तव में, अगर आप वास्तव में इसके बारे में सोचें तो वे कई दशकों और सदियों से लड़ रहे हैं।'' यह पूछे जाने पर कि क्या उनके पास दोनों देशों के लिए कोई संदेश है, उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, मैं बस उम्मीद करता हूं कि यह बहुत जल्दी खत्म हो जाए।'' पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन का गढ़ बहावलपुर भी शामिल है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सैन्य हमले 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत किए गए। भारत की ओर से यह कार्रवाई पहलगाम आतंकी हमले के दो सप्ताह बाद हुई है।रक्षा मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘ये कदम पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के मद्देनजर उठाए गए हैं, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की हत्या कर दी गई थी।'' बयान में कहा गया, ‘‘हम इस प्रतिबद्धता पर खरे उतर रहे हैं कि इस हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।''
- सिंगापुर/ सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन षणमुगरत्नम ने विकासशील क्षेत्रों में लोगों को सशक्त बनाने का उदाहरण देते हुए भारत के ‘‘आकांक्षी जिला कार्यक्रम'' का उल्लेख किया। षणमुगरत्नम सोमवार को ‘फिलैन्थ्रपी एशिया समिट (पीएएस) 2025' को संबोधित कर रहे थे।‘प्राइमिंग एशिया फॉर गुड' विषय पर आधारित यह शिखर सम्मेलन जलवायु, शिक्षा और स्वास्थ्य के परस्पर जुड़े क्षेत्रों में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के खातिर एशिया भर से समाधान, नवाचारों और कार्यों पर प्रकाश डालने के लिए विचारकों को एक मंच पर लाता है। शिखर सम्मेलन पांच से सात मई तक आयोजित किया जा रहा है।षणमुगरत्नम ने कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, ‘‘नवाचार में संगठन भी शामिल है। अगर आप भारत को देखें तो आकांक्षी जिला कार्यक्रम एक सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण है। भारत में सबसे अविकसित जिलों के लिए एक बेहतर नाम।'' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में पूरे भारत के 112 सबसे कम विकसित जिलों को तेजी से और प्रभावी ढंग से बदलने के उद्देश्य से इस पहल की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि गेट्स फाउंडेशन ने इसे वित्तपोषित करने में पिरामल फाउंडेशन और टाटा ट्रस्ट्स के साथ मिलकर मदद की है।'' उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम केंद्र के समर्थन से समुदाय को सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, स्वास्थ्यकर्मी और डेटा प्रणाली विकसित करना के स्वामित्व देता है और यह कार्यक्रम विशेष रूप से मातृ स्वास्थ्य और शुरुआती वर्षों में बच्चे के स्वास्थ्य पर लक्षित है। षणमुगरत्नम ने कहा कि उन्होंने कुछ जिलों का दौरा किया है और देखा है कि वे कैसे काम कर रहे हैं क्योंकि वे गांव के लोगों को जमीनी स्तर पर स्वामित्व देते हैं। शिखर सम्मेलन में शामिल हुईं दिल्ली की श्रीति पांडे ने भी इस बात पर सहमति जताई कि इस कार्यक्रम ने गांवों में महिलाओं को सशक्त बनाया है। पांडे ने एक साल तक कार्यक्रम का बारीकी से अध्ययन किया है। पांडे ने कहा कि उन्होंने इन जिलों में ऐसी महिलाओं को देखा है जो निश्चित रूप से सशक्त हुईं और क्लीनिक तथा आंगनबाड़ी संचालित करने जैसी परियोजनाओं में शामिल हैं। उन्होंने सम्मेलन से इतर ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘बहुत से फाउंडेशन और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) में इस योजना को परियोजनाओं को राशि उपलब्ध कराने के लिए अपनाया जा रहा है।
- वाशिंगटन/ अमेरिका के विभागों में कर्मचारियों की कटौती के ट्रंप प्रशासन के कदम को आगे बढ़ाते हुए वहां के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने सेना को अपने शीर्ष नेतृत्व के पदों में 20 फीसदी कटौती का सोमवार को निर्देश दिया। इसे लेकर जहां ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इससे कार्यकुशलता बढ़ेगी, दूसरी ओर आलोचकों को चिंता है कि इससे सेना का राजनीतिकरण हो सकता है। हेगसेथ ने ‘नेशनल गार्ड' को भी अपने शीर्ष नेतृत्व के पदों में 20 फीसदी की कटौती का निर्देश दिया और सेना को अपने बल में ‘जनरल' और ‘फ्लैग' अधिकारी के पदों में अतिरिक्त 10 फीसदी की कटौती करने का कहा है जिसमें एक-स्टार या उससे ऊपर के या नौसेना के समकक्ष अधिकारी शामिल हो सकते हैं। यह कटौती, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप या हेगसेथ द्वारा जनवरी से अब तक बर्खास्त किए गए ‘ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ' के प्रमुख जनरल सीक्यू ब्राउन जूनियर समेत छह से अधिक शीर्ष जनरल अधिकारियों के अतिरिक्त है। उन्होंने चार-स्टार अधिकारी के तौर पर सेवा देने वाली दो महिलाओं को भी सेना निकाल दिया था। उस समय हेगसेथ ने कहा था कि यह कटौती ‘‘राष्ट्रपति की इस इच्छा को दिखाता है कि उनके आस-पास काबिल लोग हों जो राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर हमारे दृष्टिकोण को अपनाना चाहते हैं।'' सोमवार को कटौती की घोषणा करते हुए एक नोटिस में हेगसेथ ने कहा कि वे ‘‘नेतृत्व को सुव्यवस्थित बनाने के लिए अनावश्यक पदों को खत्म करेंगे।'' उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य सेना को ‘‘अनावश्यक नौकरशाही के स्तरों से'' मुक्त करना है। अमेरिका की प्रतिनिधि सभा के सदस्य सेठ मौलटन ने कहा कि वह हेगसेथ के इस फैसले को सेना का राजनीतिकरण करने के प्रयास के रूप में देखते हैं।
- वाशिंगटन/ अमेरिका के शिक्षा विभाग ने सोमवार को घोषणा की कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को तब तक कोई नया संघीय अनुदान नहीं दिया जाएगा, जब तक वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की मांगों को पूरा नहीं करती है। शिक्षा विभाग ने इस बाबत हार्वर्ड के अध्यक्ष को एक पत्र भेजा है, जिसे ट्रंप प्रशासन और इस प्रतिष्ठित संस्थान के बीच टकराव में एक बड़े घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले प्रशासन ने हार्वर्ड को दिए जा रहे 2.2 अरब डॉलर के संघीय अनुदान को रोक दिया था और अब ट्रंप विश्वविद्यालय से कर से छूट का दर्जा वापस लेने की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा कि हार्वर्ड को कोई नया संघीय अनुदान तब तक नहीं मिलेगा, जब तक वह विश्वविद्यालय के जिम्मेदार प्रबंधन को प्रमाणित नहीं करता और विभिन्न मुद्दों पर सरकार की मांगों को पूरा नहीं करता। उन्होंने कहा कि यह रोक केवल अनुसंधान के लिए मिलने वाले संघीय अनुदान पर लागू होगी और छात्रों को मिलने वाली ट्यूशन और फीस संबंधी संघीय वित्तीय सहायता पर लागू नहीं की जाएगी। अधिकारी ने आरोप लगाया, ‘‘हार्वर्ड चार महत्वपूर्ण मोर्चों पर “गंभीर विफलताओं” का सामना कर रहा है। ये मोर्चे हैं: यहूदी विरोध, नस्लीय भेदभाव, लापरवाही और विचारों की विविधता की अनदेखी। नए अनुदान प्राप्त करने की पात्रता पाने के लिए हार्वर्ड को संघीय सरकार से बातचीत करनी होगी और यह साबित करना होगा कि उसने प्रशासन की मांगों को पूरा किया है।'' इससे पहले हार्वर्ड के अध्यक्ष कह चुके हैं कि वह सरकार की शर्तों के आगे नहीं झुकेंगे। विश्वविद्यालय ने पिछले महीने अनुदान रोके जाने के खिलाफ मुकदमा दायर किया था।
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नई दिल्ली। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर भारत के एयर स्ट्राइक का इजरायल ने समर्थन किया है। इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने कहा कि आतंकवादियों को पता होना चाहिए कि निर्दोषों के खिलाफ उनके जघन्य अपराधों से बचने के लिए कोई जगह नहीं है।
इजरायल भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता हैभारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “इजरायल भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है। आतंकवादियों को पता होना चाहिए कि निर्दोषों के खिलाफ उनके जघन्य अपराधों से बचने के लिए कोई जगह नहीं है।” 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने देर रात आतंकियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की। इस सैन्य कार्रवाई में उन आतंकी कैंपों और लॉजिस्टिक ठिकानों को निशाना बनाया गया, जो पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार आतंकी समूहों से जुड़े थे।हमले में पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गयाभारतीय खुफिया एजेंसियों ने पहलगाम हमले को पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों से जोड़ा है, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा का प्रॉक्सी द रेजिस्टेंस फ्रंट ने जिम्मेदारी ली है। सेना ने ऑपरेशन के बाद कहा, “थोड़ी देर पहले भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गया, जहां से भारत के खिलाफ आतंकी हमलों की योजना बनाई और निर्देशित की गई थी।”भारतीय सेना के प्रवक्ता ने हमलों की सटीकता और सीमित दायरे की पुष्टि कीभारतीय सेना के प्रवक्ता ने हमलों की सटीकता और सीमित दायरे की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “हमारी कार्रवाई केंद्रित और सटीक रही। हमने केवल उन आतंकी कैंपों को निशाना बनाया, जहां से भारत के खिलाफ हमलों की साजिश रची गई और उन्हें अंजाम दिया गया था।”भारत सरकार ने पुष्टि की है कि सभी नौ लक्ष्यों पर सफलतापूर्वक हमला किया गयाप्रवक्ता ने कहा, “ऑपरेशन का इरादा और कार्यान्वयन गैर-विवाद बढ़ाने वाला था।” उन्होंने आगे कहा, “न्याय हो गया, जय हिंद।” भारत सरकार ने पुष्टि की है कि सभी नौ लक्ष्यों पर सफलतापूर्वक हमला किया गया, जिससे पाकिस्तान में कोई नागरिक, सैन्य या आर्थिक बुनियादी ढांचा प्रभावित नहीं हुआ। -
न्यूयॉर्क. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब देश के बाहर बनी फिल्म (मूवी) पर 100 प्रतिशत का शुल्क लगाने की धमकी दी है। ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ‘ट्रुथ' पर रविवार रात को एक पोस्ट में कहा कि उन्होंने वाणिज्य विभाग और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय को “हमारे देश में आने वाली विदेशी जमीन में बनी किसी भी फिल्म पर 100 प्रतिशत का शुल्क लगाने के लिए अधिकृत किया है। उन्होंने लिखा, “अमेरिका में फिल्म उद्योग बहुत तेजी से मर रहा है।” उन्होंने कहा कि अन्य देश “फिल्म निर्माताओं और स्टूडियो को अमेरिका से दूर करने के लिए सभी प्रकार के प्रोत्साहन दे रहे हैं। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस तरह के अंतरराष्ट्रीय निर्माण पर इस तरह का कोई शुल्क कैसे लगाया जा सकता है।
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केप कैनेवरल. ‘स्पेस सूट' के आकार की वजह से अंतरिक्ष में चहलकदमी करने से छह साल पहले चूकीं एक महिला अंतरिक्ष यात्री ने बृहस्पतिवार को अपने सपने को साकार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र के बाहर कदम रखा। नासा की ऐनी मैकक्लेन अपनी साथी निकोल एयर्स के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएससी) से बाहर निकलीं। दोनों सैन्य अधिकारी और पायलट हैं तथा मार्च में नासा में फंसे दो अंतरिक्ष यात्रियों की जगह लेने के लिए आईएससी पहुंची थे। बाहर निकलने से कुछ मिनट पहले, मैकक्लेन ने अपने दाहिने दस्ताने की तर्जनी पर धागे के रेशे देखे। मिशन कंट्रोल ने यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ देरी से स्पेसवॉक की योजना बनाई कि मैकक्लेन का दस्ताना सुरक्षित है। चहलकदमी के दौरान यह जोड़ी अंतरिक्ष केंद्र को सौर पैनलों के एक नए सेट को तैयार करेगी तथा 420 किलोमीटर ऊंचे आईएसएस पर लगी एंटीना भी ठीक करेगी। अंतरिक्ष केंद्र को बुधवार शाम को थोड़ी ऊंची कक्षा में ले जाना पड़ा, ताकि अंतरिक्ष कचरे से बचा जा सके। मैकक्लेन, सेना में कर्नल और हेलीकॉप्टर पायलट हैं। उन्हें 2019 में पहली बार केवल महिलाओं द्वारा अंतरिक्ष में की जाने वाली चहलकदमी में हिस्सा लेना था, लेकिन सूट शरीर के अनुकूल नहीं होने के कारण उन्हें अपनी योजना टालनी पड़ी। केवल महिलाओं द्वारा अंतरिक्ष में पहली बार की गई चहलकदमी में क्रिस्टीना कोच और जेसिका मीर ने हिस्सा लिया था। यह आईएसएस के 60 वर्षों के इतिहास में पांचवीं चहलकदमी है जो केवल महिलाओं द्वारा की गई।
कोच जल्द ही चांद पर जाने वाली पहली महिला बन जाएंगी। वह और तीन पुरुष अंतरिक्ष यात्री नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत अगले साल चांद पर उतरे बिना ही चांद के चारों ओर उड़ान भरेंगे। नासा के अंतरिक्ष यात्री दल में पुरुषों की संख्या अब भी महिलाओं से अधिक है।
नासा के 47 सक्रिय अंतरिक्ष यात्रियों में से 20 महिलाएं हैं। वर्तमान में अंतरिक्ष केंद्र पर रहने वाले सात अंतरिक्ष यात्रियों में से मैकक्लेन और आयर्स ही महिलाएं हैं। -
वाशिंगटन. अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जनवरी-मार्च 2025 के दौरान 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई। यह पिछले तीन वर्षों में पहली गिरावट है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारी शुल्क लगाए जाने से पहले अमेरिका में कंपनियों ने विदेशी सामान लाने की कोशिश की। आयात में उछाल के कारण अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हुई। इससे पहले अक्टूबर-दिसंबर 2024 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। इस दौरान उपभोक्ता खर्च काफी तेजी से धीमा हुआ। ट्रंप को एक मजबूत अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी, और उच्च ब्याज दर के बावजूद अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही थी। हालांकि, अब अनिश्चित व्यापार नीतियों के कारण व्यापार प्रभावित हुआ है और कीमतें बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
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ढाका/ बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के आरोप में करीब पांच महीने से जेल में बंद हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को बुधवार को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उच्च न्यायालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘दो न्यायाधीशों की पीठ ने अपने पहले के फैसले को बरकरार रखते हुए अधिकारियों से सवाल किया कि उन्हें (दास को)जमानत क्यों नहीं दी जानी चाहिए।'' न्यायमूर्ति अताउर रहमान और न्यायमूर्ति अली रजा की पीठ ने अपने पिछले फैसले पर अंतिम सुनवाई के बाद जमानत मंजूर की। बांग्लादेश के बंदरगाह शहर चटगांव की कोतवाली पुलिस ने 31 अक्टूबर को दास और 18 अन्य पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया था। अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) के पूर्व नेता दास को 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था। हिंदू संगठन सम्मिलितो सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता दास को गिरफ्तारी के बाद दक्षिण-पूर्वी बंदरगाह शहर चटगांव की अदालत में ले जाया गया था, जिसने अगले दिन उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया था। दास की गिरफ्तारी के बाद व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए और उनके समर्थकों ने ढाका और अन्य जगहों पर प्रदर्शन किया। चटगांव में विरोध प्रदर्शन तब हिंसक हो गया जब दास को जेल भेजे जाने के कुछ ही घंटों बाद सहायक सरकारी अभियोजक सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या कर दी गई। यह घटनाक्रम पिछले साल अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपदस्थ किये जाने के तीन महीने से भी कम समय बाद हुआ। दास की गिरफ्तारी बांग्लादेश और भारत के बीच तनाव का एक मुद्दा बना क्योंकि भारत ने उनकी गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त की। हसीना के भारत चले जाने के बाद आठ अगस्त को मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार का पद संभाला। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने 26 नवंबर को नई दिल्ली में कहा, ‘‘यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर किए गए कई हमलों के बाद हुई है। अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी व तोड़फोड़ तथा देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले सामने आए हैं।'' विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अब भी खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से वैध मांग करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं।'' भारत ने साथ ही बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। इससे पहले, हिंदू समुदाय के नेता के वकील उनकी जमानत हासिल करने में असफल रहे थे क्योंकि चटगांव की निचली अदालत ने उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। बांग्लादेश के पूर्व उप अटार्नी जनरल अपूर्व कुमार भट्टाचार्य यहां के उच्चतम न्यायालय के 11 वकीलों की टीम का नेतृत्व कर रहे थे जो दास का मुकदमा लड़ रही थी।
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संयुक्त राष्ट्र. भारत ने कहा है कि पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद वैश्विक नेताओं की ओर से ‘‘मजबूत, स्पष्ट'' समर्थन और एकजुटता, आतंकवाद के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय की कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति का प्रमाण है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत योजना पटेल ने कहा, ‘‘2008 में हुए 26/11 के भीषण मुंबई हमलों के बाद पहलगाम आतंकवादी हमले में इतनी अधिक संख्या में आम नागरिक मारे गए हैं।'' पटेल ने कहा, ‘‘दशकों से सीमा पार आतंकवाद का शिकार होने के कारण भारत इस बात को अच्छी तरह समझता है कि इस तरह के कृत्यों का पीड़ितों, उनके परिवारों और समाज पर दीर्घकालिक असर पड़ता है।'' पटेल सोमवार को इस विश्व संस्था के मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय के ‘विक्टिम्स ऑफ टेररिज्म एसोसिएशन नेटवर्क' (वोटन) के डिजिटल एवं प्रत्यक्ष माध्यम से हुए उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘भारत केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हाल में हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर दुनिया भर के नेताओं और सरकारों द्वारा दिए गए मजबूत व स्पष्ट समर्थन और एकजुटता की गहराई से सराहना करता है और उसे महत्व देता है। यह आतंकवाद के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति का प्रमाण है।'' पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकवादी हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए थे। मृतकों में ज्यादातर भारत के विभिन्न राज्यों से आए पर्यटक थे। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, उपराष्ट्रपति जे डी वेंस, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर, इतालवी प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस सहित वैश्विक नेताओं ने पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की तथा भारत के साथ अपनी संवेदना एवं एकजुटता व्यक्त की। पिछले हफ्ते 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक प्रेस वक्तव्य जारी कर जम्मू कश्मीर में आतंकवादी हमले की ‘‘अत्यधिक कड़े शब्दों में'' निंदा की। सुरक्षा परिषद ने जोर दिया कि इन हत्याओं के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और ‘‘आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य'' को अंजाम देने वाले और उसके प्रायोजकों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए। सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि इन हत्याओं के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने अनुरोध किया कि सभी राष्ट्रों को अंतरराष्ट्रीय कानून एवं सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत अपने दायित्वों के अनुसार इस संबंध में सभी संबंधित अधिकारियों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करना चाहिए। प्रेस वक्तव्य सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष द्वारा सभी 15 सदस्य देशों की ओर से मीडिया को दिया गया एक घोषणापत्र है। फ्रांस अप्रैल महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है और प्रेस वक्तव्य परिषद के अध्यक्ष, संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत जेरोम बोनाफोंट द्वारा जारी किया गया था। पाकिस्तान वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक गैर-स्थायी सदस्य है। एक प्रेस वक्तव्य के लिए परिषद के सभी सदस्यों की सहमति की आवश्यकता होती है। पटेल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि परिषद ने अपने बयान में कहा है कि आतंकवाद के निंदनीय कृत्यों के अपराधियों, इसके आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।
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संयुक्त राष्ट्र.भारत ने कहा है कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुलेआम कबूल किया है कि उनके देश का आतंकवादी संगठनों का समर्थन और वित्तपोषण करने का इतिहास रहा है, और यह कबूलनामा उजागर करता है कि पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला एक ‘‘दुष्ट देश'' है और क्षेत्र को अस्थिर कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत योजना पटेल ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक कार्यालय के ‘विक्टिम्स ऑफ टेररिज्म एसोसिएशन नेटवर्क' (वोटन) के डिजिटल सह प्रत्यक्ष (हाइब्रिड) उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित किया और पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा जम्मू कश्मीर के पहलगाम आतंकवादी हमले का संदर्भ दिए जाने पर अपने ‘जवाब देने के अधिकार' का इस्तेमाल करते हुए इसका जोरदार तरीके से उत्तर दिया। पटेल ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक विशेष प्रतिनिधि ने दुष्प्रचार करने और भारत के खिलाफ निराधार आरोप लगाने के लिए इस मंच का दुरुपयोग करने और इसे कमजोर करने का विकल्प चुना है।'' उन्होंने कहा, ‘‘पूरी दुनिया ने पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को हाल में एक टेलीविजन साक्षात्कार में आतंकवादी संगठनों का समर्थन, प्रशिक्षण और वित्त पोषण करने के पाकिस्तान के इतिहास को कबूलते हुए सुना है।'' पटेल ने जोर देकर कहा कि ‘‘इस खुले कबूलनामे से किसी को आश्चर्य नहीं हुआ, बल्कि इसने पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले और क्षेत्र को अस्थिर करने वाले एक दुष्ट राष्ट्र के रूप में उजागर किया है। दुनिया अब और आंखें नहीं मूंद सकती। मेरे पास कहने के लिए और कुछ नहीं है।'' ‘स्काई न्यूज' पर हाल में एक साक्षात्कार में आसिफ ने कहा था, ‘‘ठीक है, हम लगभग तीन दशकों से अमेरिका और ब्रिटेन सहित पश्चिम के लिए यह नापाक काम कर रहे हैं''। अपनी इस टिप्पणी में उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान का इन आतंकवादी संगठनों को समर्थन तथा प्रशिक्षण देने और उनका वित्त पोषण करने का एक लंबा इतिहास रहा है।
- लॉस एंजिल्स। अमेजन ने वैश्विक ब्रॉडबैंड पहुंच का विस्तार करने के प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सोमवार को अपने ‘प्रोजेक्ट कुइपर’ के लिए उपग्रहों का पहली खेप लॉन्च की।उपग्रहों को अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से यूनाइटेड लॉन्च अलायंस (यूएलए) एटलस वी रॉकेट के जरिये शाम 7:01 बजे लॉन्च किया गया।अमेजन के अनुसार, ‘केए-01’ कोडनेम वाले इस मिशन की योजना पृथ्वी से 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर 27 उपग्रहों को तैनात करने की है। यह मिशन अमेजन के ‘प्रोजेक्ट कुइपर’ की शुरुआत का प्रतिनिधित्व करता है, जिसके तहत पृथ्वी की निचली कक्षा में 3,000 से अधिक उपग्रहों का एक समूह तैनात किया जायेगा। इसका उद्देश्य दुनिया भर के ग्राहकों और समुदायों को उच्च गति वाली निर्बाध इंटरनेट पहुंच प्रदान करना है।
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न्यूयार्क. विश्व बैंक ने कहा कि भारत 2011-12 और 2022-23 के बीच अत्यंत यानी बेहद गरीबी में रह रहे 17.1 करोड़ लोगों को बाहर निकालने में सफल रहा है। विश्व बैंक ने भारत को लेकर ‘गरीबी और समानता' पर अपनी एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘पिछले एक दशक में, भारत ने गरीबी को काफी हद तक कम किया है। अत्यंत गरीबी यानी प्रतिदिन 2.15 डॉलर से कम पर जीवन यापन करने वाले लोगों की संख्या 2011-12 में 16.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.3 प्रतिशत पर आ गई। इससे 17.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ पाये हैं।” रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘गांवों में अत्यंत गरीबी 18.4 प्रतिशत से घटकर 2.8 प्रतिशत पर आ गई, जबकि शहरी क्षेत्र में यह 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत पर रही। इससे ग्रामीण-शहरी अंतर 7.7 प्रतिशत से घटकर 1.7 प्रतिशत पर आ गया। यह सालाना 16 प्रतिशत की गिरावट है। इसमें कहा गया है कि भारत निम्न-मध्यम आय वर्ग की श्रेणी में भी आने में सफल रहा है। इसमें 3.65 डॉलर प्रतिदिन की निम्न-मध्यम आय वर्ग (एलएमआईसी) गरीबी रेखा का उपयोग करते हुए, गरीबी 61.8 प्रतिशत से घटकर 28.1 प्रतिशत पर आ गई। इससे 37.8 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गये। गांवों की गरीबी इस दौरान 69 प्रतिशत से घटकर 32.5 प्रतिशत जबकि शहरी गरीबी 43.5 प्रतिशत से घटकर 17.2 प्रतिशत पर आ गई। इससे ग्रामीण-शहरी अंतर 25 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत पर आ गया और सालाना आधार पर गिरावट सात प्रतिशत रही। रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में भारत में अत्यंत गरीबी में रहने वाले लोगों में पांच सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों... उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश की 65 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। वहीं 2022-23 तक अत्यंत गरीबी में आई कमी में इनका योगदान दो-तिहाई रहा। विश्वबैंक की संक्षिप्त रिपोर्ट में में कहा गया है, ‘‘इसके बावजूद, इन राज्यों का अभी भी भारत के अत्यंत गरीबी में रहने वाले लोगों का 54 प्रतिशत (2022-23) और बहुआयामी यानी विभिन्न स्तरों पर गरीब लोगों (2019-21) का 51 प्रतिशत हिस्सा है।'' इसमें कहा गया है कि बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के जरिये मापा जाने वाला गैर-मौद्रिक गरीबी सूचकांक 2005-06 में 53.8 प्रतिशत से घटकर 2019-21 तक 16.4 प्रतिशत पर आ गई। रिपोर्ट के अनुसार, रोजगार में वृद्धि ने 2021-22 से कामकाजी आयु वर्ग की आबादी को पीछे छोड़ दिया है। विशेष रूप से महिलाओं के बीच, रोजगार दर बढ़ रही है। शहरी बेरोजगारी वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में 6.6 प्रतिशत तक घट गई, जो 2017-18 के बाद सबसे कम है। इसमें चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि युवा बेरोजगारी 13.3 प्रतिशत है। यह उच्च शिक्षा प्राप्त स्नातकों के बीच बेरोजगारी 29 प्रतिशत तक है। गैर-कृषि भुगतान वाली नौकरियों में से केवल 23 प्रतिशत संगठित क्षेत्र में हैं और अधिकांश कृषि रोजगार अभी भी असंगठित बने हुए हैं। स्वरोजगार, खासकर ग्रामीण श्रमिकों और महिलाओं के बीच बढ़ रहा है। महिलाओं में 31 प्रतिशत रोजगार दर के बावजूद, स्त्री-पुरूष के स्तर पर असमानता बनी हुई है। महिलाओं की तुलना में ज्यादा पुरूष भुगतान वाली नौकरियों में हैं। विश्व बैंक ‘गरीबी और समानता पर संक्षिप्त विवरण' में 100 से अधिक विकासशील देशों के लिए गरीबी, साझा समृद्धि और असमानता के रुझानों को बयां किया गया है। विश्व बैंक समूह और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के ये विवरण साल में दो बार जारी किए जाते हैं। यह रिपोर्ट किसी देश की गरीबी और असमानता के संदर्भ को समझने में मदद करती हैं।