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 वित्त मंत्री ने बैंकों से स्थानीय भाषाओं को समझने वाले अधिकारियों का कैडर तैयार करने को कहा

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण ने  बैंकों से ग्राहकों को बेहतर सेवा देने के लिये क्षेत्रीय भाषाओं को समझने और उसमें बातचीत करने वाले अधिकारियों का कैडर बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि यह सही मायने में उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाओं जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के समरूप बनाएगा। 
वित्त मंत्री ने गुरुवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के अधिकारियों के लिये सतर्कता निरोधक मोड्यूल समेत प्रशिक्षण से जुड़े कार्यक्रम शुरू किये जाने के मौके पर यह बात कही। सीतारमण ने कहा कि कई क्षेत्रों में हिंदी समझी नहीं जाती। उनके अधिकारियों को अभी भी ग्राहकों की सेवा करने के लिए स्थानीय भाषा सीखने की जरूरत है। ऐसे में बैंकों का यह दावा करने का कोई मतलब नहीं है कि वे अखिल भारतीय स्तर पर उनकी उपस्थिति है। उन्होंने कहा, हमें ऐसे लोगों के कैडर की जरूरत है जो उस राज्य की भाषा समझ सके जहां उनकी तैनाती होती है।'' वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों में नियुक्ति अखिल भारतीय स्तर पर होती है। लेकिन अधिकारियों की नियुक्ति अगर वैसे राज्य में दूर-दराज क्षेत्र में होती है, जहां हिंदी नहीं बोली जाती और वे स्थानीय भाषा बोल नहीं पाते। उन्होंने कहा,  ...मेरे पास ऐसे कुछ मामले आये जिससे यह पता चला कि शाखा में स्थानीय लोग आते हैं, पर वहां काम कर रहे अधिकारी स्थानीय भाषा बोल पाने में असमर्थ होते हैं।  सीतारमण के अनुसार इसीलिए अधिकारियों खासकर नई नियुक्ति के मामले में यह जरूरी है कि स्वेच्छा के आधार यह निर्णय किया जाए कि वे किस भाषा में विशेषज्ञता प्राप्त करना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले साल संसद में दक्षिणी राज्यों के कई सदस्यों ने क्षेत्रीय भाषा में बैंक अधिकारियों के सहज नहीं होने के मामला उठाया था। उस समय वित्त मत्री ने कहा थ कि वह कर्नाटक जैसे दक्षिणी राज्यों के सांसदों की मांग पर गौर कर रही हैं कि नियुक्ति परीक्षा स्थानीय भाषा में भी हो। इस मौके पर मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी ने कहा कि सिविल सेवा की तरह बैंक क्षेत्र में मातृभाषा के अलावा एक से अधिक भाषा सीखने की संभावना टटोली जानी चाहिए ताकि लोगों की बातों को अच्छी तरह से समझ जा सके। सीतारमण ने कहा कि कोठारी के पदभार संभालने के बाद सीवीसी ने काफी बदलाव किये हैं। उन्होंने स्वयं बैंक क्षेत्र के प्रति रूचि दिखाते हुए कई सकारात्मक विचार दिये। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सीवीसी से डरने की जरूरत नहीं है। इसके बजाए उन्हें उनके साथ मिलकर और जागरूक होकर काम करने की जरूरत है।
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