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 शिक्षकीय सेवा सबसे बड़ा पुण्य कार्य : स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव

-मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण योजना अंतर्गत ज्ञानदीप एवं शिक्षा दूत हेतु 15 शिक्षक-शिक्षिकाओं को किया गया अलंकृत
 रायपुर। शिक्षकीय ज्ञान प्रदान करने से बड़ा पुण्य कार्य कोई दूसरा नहीं हो सकता। भारतीय परंपरा में गुरु को ईश्वर से पहले स्थान दिया गया है और शिक्षक का सम्मान ही जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है। स्कूल शिक्षा, विधि एवं विधायी तथा ग्रामोद्योग मंत्री श्री गजेन्द्र यादव ने आज दुर्ग में आयोजित मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए उक्त बातें कहीं।
 शिक्षा मंत्री श्री यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में उन्हें शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विभाग का कार्यभार ग्रहण करते ही 1122 शिक्षकों के पदोन्नति आदेश जारी किए गए। प्रदेश के सरकारी स्कूल अब शनिवार को प्रातः संचालित होंगे तथा उच्च न्यायालय के आदेश प्राप्त होते ही प्राचार्य एवं व्याख्याता पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ की जाएगी। 
मंत्री श्री यादव ने कहा कि उनका जीवन ग्रामीण परिवेश में बीता है, इसलिए वे गांव और बच्चों की जरूरतों को भलीभांति और बेहतर रूप से समझते हैं। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि सरकारी स्कूल के शिक्षक की भूमिका केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में आदर्श प्रस्तुत करने की भी है। शिक्षण कार्यों में कोताही और अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश के कई शीर्ष अधिकारी और नेता सरकारी स्कूलों में पढ़कर आगे बढ़े हैं। यदि वे आगे बढ़ सकते हैं तो आज के विद्यार्थी भी पीछे नहीं रह सकते। शिक्षकों को पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ कार्य कर छत्तीसगढ़ के भविष्य को नई ऊँचाइयों तक ले जाना होगा।सांसद श्री विजय बघेल ने कहा कि शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए गुरुजनों का सम्मान आवश्यक है। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे विद्यार्थियों की प्राथमिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि मजबूत आधार ही उच्च स्तरीय शिक्षा को सशक्त बनाता है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण योजना अंतर्गत ज्ञानदीप एवं शिक्षा दूत हेतु कुल 15 शिक्षक-शिक्षिकाओं को शिल्ड और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इनमें दुर्ग जिले के श्री पुष्पेन्द्र कुमार साहू, श्रीमती विजय लक्ष्मी राव, कु. वर्षा यादव, श्री दीपक कुमार साहू, श्रीमती भानेश्वरी साहू, श्री हिरेन्द्र कुमार मण्डावी, श्री राघवेन्द्र कुमार ध्रुव, श्री कामता प्रसाद धनकर, श्री सुनील कुमार स्वर्णकार, श्री दिलीप कुमार वर्मा, श्री मोहन लाल यादव एवं श्रीमती शुभ्रा वर्मा शामिल रहीं। इसके अतिरिक्त कबीरधाम के व्याख्याता श्री चंद्रिका प्रसाद चंद्रवंशी और बालोद के व्याख्याता श्री तामसिंह पारकर को भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में विधायक श्री ललित चंद्राकर, नगर निगम दुर्ग की महापौर श्रीमती अलका बाघमार, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सरस्वती बंजारे, जिला शिक्षा अधिकारी श्री अरविंद मिश्रा सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं बड़ी संख्या में शिक्षकगण उपस्थित रहे।

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