समर्थन मूल्य में बढोत्तरी ने गजल यादव को बनाया सफल 'टेक्नो-फार्मर'
दुर्ग/ दुर्ग जिले के ग्राम बोरई से आने वाले किसान-इंजीनियर श्री गजल यादव की कहानी आज कई युवाओं और किसानों के लिए प्रेरणा है। इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बावजूद, गजल ने कॉर्पाेरेट करियर छोड़कर अपने पैतृक व्यवसाय कृषि को चुना। उन्होंने पारंपरिक कृषि में इंजीनियरिंग के सिद्धांतों को मिलाकर ’टेक्नो-फार्मिंग’ का सफल प्रयोग किया। गजल बताते हैं कि मेरी पढ़ाई ने खेती को एक वैज्ञानिक नज़रिया दिया। इंजीनियरिंग ने मैने डेटा एनालिटिक्स सीखा, जिसका इस्तेमाल करके मैंने मिट्टी की गुणवत्ता और मौसम के सटीक डेटा के आधार पर बीज, खाद और पानी का उपयोग किया और इस वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने उनकी इनपुट लागत (खेती का खर्च) को बहुत कम कर दिया। लेकिन मेरी मेहनत को असली पहचान तब मिली, जब छत्तीसगढ़ सरकार ने धान के लिए 3100 रुपये प्रति क्विंटल का ऐतिहासिक समर्थन मूल्य घोषित किया। यह दर देश में किसी भी राज्य द्वारा दिया गया अब तक का सर्वाधिक औपचारिक मूल्य है। गजल यादव ने बताया, उन्होंने सहकारी समिति के धान उपार्जन केंद्र दामोदा में 450 क्विंटल से भी अधिक धान बेचा। यह ऐतिहासिक एमएसपी उनके व अन्य किसान भाइयों के लिए वरदान साबित हुई है। उन्होंने कहा इस ऊँची दर से मुझे पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक शुद्ध लाभ हुआ है। मेरी इंजीनियरिंग ने इनपुट लागत कम की, लेकिन राज्य सरकार द्वारा बढ़ाए गए समर्थन मूल्य इसमें चार चांद लगा दिए। मेरी खेती की पूरी लागत को कवर हो गयी और लाभ कमाने का ठोस मौका मिला।
अपनी इस सफलता पर कृषक श्री यादव ने शासन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, ’’मैं शासन का हृदय से धन्यवाद करता हूँ कि उन्होंने किसानों की मेहनत और उनकी बढ़ती लागत को समझते हुए यह ऐतिहासिक निर्णय लिया। समर्थन मूल्य में यह वृद्धि किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है, जिससे हम बिना किसी चिंता के अगली फसल की तैयारी कर सकते हैं।’’ श्री गजल ने अपनी शिक्षा का प्रयोग खेती में करके यह साबित कर दिया है कि सही सरकारी नीति और आधुनिक तकनीक का मेल खेती को भी एक सफल और बड़े स्तर का व्यवसाय (उद्यमिता) बना सकती है।













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