सिम्स करेगा ताप विद्युत परियोजना क्षेत्र के ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर बड़ा अध्ययन
0- कोयला आधारित ऊर्जा उत्पादन के पर्यावरणीय प्रभाव और रोग प्रचलन का होगा वैज्ञानिक आकलन
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) बिलासपुर द्वारा एनटीपीसी सीपत ताप विद्युत परियोजना के 5 किमी दायरे में रहने वाले ग्रामीणों की स्वास्थ्य स्थिति का वैज्ञानिक मूल्यांकन करने हेतु एक महत्वपूर्ण महामारी विज्ञान (एपिडेमियोलॉजिकल) अध्ययन शुरू किया जा रहा है जिसकी कुल लागत 9 लाख रुपए है। यह शोध कार्यान्वयन आधारित अनुसंधान (Implementation Research) के रूप में किया जाएगा, जिसके निष्कर्ष ग्रामीणों के स्वास्थ्य, पर्यावरणीय सुरक्षा और नीतिगत सुधार के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होंगे।
एनटीपीसी सीपत, बिलासपुर जिले का प्रमुख कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र है, जिसकी तीन इकाइयों में लगभग 2080 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता है और प्रतिदिन लगभग 42,000 मीट्रिक टन कोयले का उपयोग होता है। कोयले का खनन, परिवहन, दहन तथा फ्लाई ऐश का निपटान—ये सभी प्रक्रियाएँ पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए संभावित रूप से जोखिमपूर्ण मानी जाती हैं। विशेष रूप से 10 माइक्रोमीटर से छोटे कण (PM10) फेफड़ों, हृदय और रक्तप्रवाह पर गंभीर प्रभाव डालते हैं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार इस क्षेत्र में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, एनीमिया, मलेरिया जैसी बीमारियाँ वयस्कों में अधिक पाई जाती हैं, जबकि बच्चों में कुपोषण, बौनापन और एनीमिया की स्थिति चिंताजनक है। यह क्षेत्र स्थानीय स्तर पर प्रचलित जूनोटिक रोगों की दृष्टि से भी संवेदनशील माना जाता है, जिनकी निगरानी कोविड-19 महामारी के बाद और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
इस अध्ययन का उद्देश्य ग्रामीणों की वास्तविक स्वास्थ्य स्थिति का आकलन, क्षेत्र में प्रचलित स्थानिक रोगों की पहचान, सामाजिक-जनसांख्यिकीय कारकों का विश्लेषण, तथा प्राधिकरणों को शमन उपायों की वैज्ञानिक सिफारिश उपलब्ध कराना है। शोध के निष्कर्ष ग्रामीण समुदायों के लिए दीर्घकालिक स्वास्थ्य सुरक्षा योजनाएँ तैयार करने में उपयोगी होंगे।
अधिष्ठाता, सिम्स बिलासपुर — डॉ. रमणेश मूर्ति
“सीपत ताप विद्युत परियोजना क्षेत्र में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभावों को समझना हमारे लिए एक सामाजिक और वैज्ञानिक ज़िम्मेदारी है। यह अध्ययन ग्रामीण आबादी में छिपे स्वास्थ्य जोखिमों और पर्यावरणीय प्रभावों की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मुझे विश्वास है कि यह शोध नीति-निर्माताओं को ठोस हस्तक्षेपों हेतु विश्वसनीय आधार प्रदान करेगा।”
चिकित्सा अधीक्षक, सिम्स — डॉ. लखन सिंह
“सीपत क्षेत्र एक औद्योगिक ज़ोन है जहाँ पर्यावरणीय प्रदूषण और उससे जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। सिम्स का यह अध्ययन ग्रामीणों की वास्तविक स्वास्थ्य स्थिति को उजागर करेगा और सामुदायिक स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करने, रोगों की रोकथाम तथा शीघ्र हस्तक्षेप रणनीतियाँ बनाने में बेहद सहायक सिद्ध होगा।”
विभागाध्यक्ष, कम्युनिटी मेडिसिन — डॉ. हेमलता ठाकुर
“यह शोध न केवल स्वास्थ्य स्थिति का आकलन करेगा, बल्कि सामाजिक-जनसांख्यिकीय कारकों, पर्यावरणीय जोखिमों और स्थानिक रोगों के आपसी संबंध को भी वैज्ञानिक रूप से उजागर करेगा। प्राप्त डेटा ग्रामीण स्वास्थ्य सुधार, बच्चों में पोषण संबंधी समस्याओं के समाधान और पर्यावरणीय शमन उपायों के लिए एक मजबूत आधार बनेगा







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