ये जिंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया.....तिरछी चितवन से लोगों को दीवाना बनाने वाली एक्ट्रेस बीना राय
जन्मदिन पर विशेष-आलेख- मंजूषा शर्मा
ये जिंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया, प्यार ही में खो गया, लता मंगेशकर का यह मशहूर गाना फिल्म अनारकली का है। इस गाने को जब भी याद किया जाएगा, फिल्म की नायिका बीना राय भी कहीं न कहीं जेहन में होंगी। बला की खूबसूरत बीना राय ने अनारकली के रोल में उस वक्त ऐसा रंग जमाया कि उनका कॅरिअर ऊंचाइयों पर पहुंच गया।
हालांकि इस फिल्म के कुछ साल बाद के. आसिफ ने मुगले आजम फिल्म में एक्ट्रेस मधुबाला ने अनारकली का रोल निभाया और बहुत से मामलों में यह फिल्म अनारकली से बेहतर साबित हुई। लेकिन नन्दलाल जसवंत लाल की फिल्म अनारकली और नायिका बीना राय को कभी भुलाया नहीं जा सकता और न ही सी. रामचंद्र के सुमधुर संगीत को। 1953 में बनी इस फिल्म में बीना राय के अपोजिट प्रदीप कुमार हीरो थे। तिरछी चितवन और खूबसूरत बोलती उनकी आंखों ने बहुत से दिलों को घायल किया था।
पांचवें दशक के आसपास की बात है। अठारह वर्षीया कृष्णा सरीन को निर्माता-निर्देशक किशोर साहू ने अपनी फिल्म काली घटा में दो अन्य युवतियों के साथ पेश किया। इन दो युवतियों में इंद्रा पांचाल किशोर साहू से झगड़ कर इस फिल्म के बाद बॉलीवुड ही छोड़ गई और दूसरी आशा माथुर ने चंद फिल्में करने के बाद निर्माता-निर्देशक मोहन सहगल से शादी कर ली। काली घटा में काम करने वाली युवती कृष्णा सरीन बाद में बीना राय के नाम से हीरोइन बनकर लंबे समय तक लोकप्रिय रहीं।
उनकी पहली फिल्म काली घटा ने अभिनय की दृष्टि से कोई कमाल नहीं किया, लेकिन मासूम चेहरे वाली बीना राय ने दर्शकों के दिल में अपनी एक जगह जरूर बना ली। इस फिल्म के तुरंत बाद ही बीना राय ने औरत फिल्म साइन की, जिसमें उनके नायक प्रेमनाथ थे। दरअसल, जिन दिनों औरत का निर्माण चल रहा था, प्रेमनाथ अपने जमाने की हीरोइन मधुबाला के साथ पहले से ही तीन-चार फिल्में कर रहे थे। पत्र-पत्रिकाओं के गॉसिप कॉलम प्रेमनाथ व मधुबाला के इश्क के चर्चे से भरे रहते थे। बहुत से लोगों को यह यकीन था कि प्रेमनाथ और मधुबाला जल्दी ही विवाह बंधन में बंध जाएंगे, लेकिन तभी औरत फिल्म ने अपना कमाल दिखाया और बीना राय की सादगी पर प्रेमनाथ मुग्ध हो गए। मधुबाला पीछे छूट गई। हालांकि मधुबाला से अलगाव की एक वजह थे उनके पिता पठान अताउल्लाह खां।
जिस समय बीना राय ने औरत की शूटिंग आरंभ की, वे बॉलीवुड के लिए बिल्कुल नई थीं , जबकि पृथ्वी थियेटर की देन अभिनेता प्रेमनाथ सन् 1948 में पहली गोवाकलर फिल्म अजीत में हीरो बनकर आए। जीजा राजकपूर ने उन्हें अपनी फिल्म आग और उसके बाद बरसात में लिया। इस फिल्म से वे चर्चा में आए और सफल नायकों में शुमार हो गए। औरत फिल्म की शूटिंग के दौरान प्रेमनाथ बीना राय का लंच शेयर करते।
उस समय शूटिंग के दौरान सभी का खाना निर्माता अरेंज करते थे, जो बाहर से आता था, लेकिन प्रेमनाथ उसे न खाकर बीना राय के लाए खाने को तवज्जो देते। धीरे-धीरे इस निकटता पर प्रेम का रंग चढऩे लगा। शूटिंग के दौरान दोनों का ज्यादा वक्त साथ-साथ बीतता और उसके बाद घंटों फोन पर बातें होतीं। आखिरकार 1953 के अप्रैल में प्रेमनाथ बीना राय के पति बन गए। इस शादी ने बॉलीवुड को चौंका दिया। बीना राय के साथ ने प्रेमनाथ पर कुछ ऐसा जादू डाला कि वे पहली ही फिल्म में न सिर्फ दिल दे बैठे, बल्कि उन्हें दुल्हन बनाकर अपने घर भी ले आए। सच तो यह है कि यह वैवाहिक बंधन बीना राय के लिए बहुत लकी रहा। शादी के बाद फिल्म अनारकली में उनके किरदार ने देश भर के दर्शकों पर अपनी अमिट छाप छोड़ दी। बॉलीवुड के बहुत से लोगों का यह मानना था कि यदि बीना राय की शादी से पहले अनारकली रिलीज हुई होती, तो यह रिश्ता यूं न जुड़ता। न ही बीना राय इतनी शीघ्रता से दिलफेंक प्रेमनाथ के गले में वर माला डालतीं!
बीना राय के अनारकली बनने की कहानी भी दिलचस्प है। उन दिनों के. आसिफ ने अनारकली और सलीम की प्रेम कहानी पर आधारित फिल्म मुगल-ए-आजम की जोर-शोर से शुरुआत की थी। फिल्म में मधुबाला और दिलीप कुमार लीड रोल में थे। पर किसी न किसी कारण फिल्म की शूटिंग आगे बढ़ रही थी। इसी दौरान एक छोटे फिल्मकार नन्दलाल जसवंत लाल ने सलीम -अनारकली की कहानी को लेकर अनारकली फिल्म का निर्माण शुरू किया। सलीम बने प्रदीप कुमार और अनारकली का रोल बीना राय के हिस्से में आया। संगीत सी. रामचंद्र तैयार कर रहे थे। फिल्म जल्द बनकर तैयार हो गई और प्रदर्शन के साथ ही फिल्म ने हर मायने में अपना लोहा मनवा लिया। फिल्म के गाने और बीना राय की खूबसूरती ने फिल्म को हिट बना दिया। फिल्म के एक गाने मोहब्बत में ऐसे कदम लडख़ड़ाए जमाने ने समझा हम पी के आये.. में नशे में झूमती अनारकली के रूप में बीना राय की अदाकारी दिलकश और गजब की थी। लोग इस एक गीत के लिए अनारकली को देखने बार-बार गये। उस समय बीना राय के माथे पर बालों की एक घूमती लट के साथ उनका पोस्टर काफी मशहूर हुआ था। 1954-55 में बीना राय को नागिन और देवदास फिल्मों के प्रस्ताव भी मिले थे, मगर बीना राय ने दोनों बड़े प्रस्ताव ठुकरा दिये। बाद में ये दोनों भूमिकाएं वैजयंतीमाला को मिल गयीं। इन दोनों फिल्मों ने वैजयंतीमाला को टॉप पर पहुंचा दिया था।
बीना राय और मधुबाला का अंतिम मुकाबला 1960 में हुआ, जब बीना राय को घूंघट और मधुबाला को मुगल-ए-आजम के लिए फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में नामित किया गया। उम्मीद की जा रही थी कि मधुबाला यह पुरस्कार जीतेंगी, पर यह पुरस्कार बीना राय को घूंघट में अपनी पारिवारिक भूमिका के लिए मिला।
बीना राय की एक और फिल्म ताजमहल 1963 में रिलीज हुई, जिसमें उनके हीरो एक बार फिर प्रदीप कुमार थे। फिल्म संगीत के लिहाज से भी लोकप्रिय रही। जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा, पांव छू लेने दो फूलों को इनायत होगी, ....जैसे गाने काफी पसंद किए गए। इस फिल्म में बीना राय मुमताज महल की भूमिका में थीं।
बीना राय की आखिरी फिल्म थी दादी मां, जो वर्ष 1966 में आई थी। इसके बाद उन्होंने हमेशा के लिए फिल्मी कैमरे को अलविदा कर दिया। अपने 18 साल के फिल्मी कॅरिअर में बीना राय ने केवल 28 फिल्में कीं, लेकिन उनका नाम उस दौर की सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्रियों में गिना जाता था।
शादी के बाद बीना ने अच्छी गृहणी की तरह अपना घर बार संभाला। पति की मौत के बाद उन्होंने बेटे प्रेमकिशन को अभिनेता बनने की प्रेरणा दी ,लेकिन प्रेमकिशन असफल अभिनेता साबित हुए। दूसरे बेटे मोंटी ने भी कुछेक फिल्में कीं। 6 दिसबंर, 2009 को बीना राय ने इस संसार से विदा ली। (छत्तीसगढ़आजडॉटकॉम विशेष)
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