मैं संगीत के जरिए लोगों का मनोरंजन करने में भरोसा करती हूं: ऊषा उत्थुप
कोलकाता. पॉप गायिका ऊषा उत्थुप का कहना है कि वह संगीत के जरिए लोगों का मनोरंजन करने में भरोसा करती हैं। ‘रम्भा हो' जैसे बेहतरीन गीतों से छह दशक से भी अधिक समय से संगीत प्रेमियों का मनोरंजन कर रहीं उत्थुप ने कहा कि ऐसा गीत बनाना और उसे गाना सबसे मुश्किल काम है, जो हर उम्र के लोगों को पसंद आए। उत्थुप (75) ने कहा, ‘‘मैं लोगों के लिए गाती हूं। मैं चाहती हूं कि लोग इस साल मेरे नए गीत ‘दिल सांबा' को सुनें और गुनगुनाएं। उत्थुप ने युवा संगीतकार सौमोजीत सरकार द्वारा रचित और निर्मित गीत के लिए अपनी आवाज दी है। उनका मानना है कि एक ऐसा जटिल गीत लिखना आसान है जिससे चुनिंदा लोगों का समूह जुड़ाव महसूस करता हो।
उन्होंने कहा, कुछ चुनिंदा लोगों के समूह द्वारा समझ आने वाले जटिल गीत के बजाय एक सरल गीत बनाना कहीं अधिक मुश्किल काम है।'' उत्थुप ने कहा, यह केवल मेरी राय है और मुझे भरोसा है कि हर कोई इससे सहमत होगा। ‘कोलकाता, कोलकाता, डोंट वरी कोलकाता' या ‘प्रेम जेगेछे अमर मोने' जैसे गीतों को ही ले लीजिए। इनका संगीत सरल है, जिन्हें सुनते ही पैर थिरकने लगते हैं।'' उन्होंने कहा, दिमाग में हमेशा यह बात रखना महत्वपूर्ण होता है कि आप किन श्रोताओं के लिए गीत बना रहे हैं।'' उन्होंने रवीन्द्रनाथ टैगोर के गीत ‘जदि तोर डाक शुने केउ ना आसे' का उदाहरण देते हुए कहा, ‘‘देखिए, गुरुदेव ने इसे कितना सरल तरीके से लिखा।
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