सीने में दर्द और खांसी....जानें इसके पीछे का कारण...
कई बार खांसी की समस्या में सीने में दर्द महसूस होता है। अक्सर हम इस दर्द को सामान्य संक्रमण का कारण मानकर घरेलू उपायों को अपनाने लगते हैं। लेकिन इस समस्या की वजह से कई अन्य तरह के रोग होने का खतरा होता है। ऐसा दर्द सीने में बार-बार हो सकता है। आपको बता दें कि हार्ट और फेफड़ों से जुड़े कई बड़े रोगों का लक्षण खांसी और सीने में दर्द होता है। इस तरह के लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
खांसी के साथ सीने में दर्द के कारण
एक्यूट ब्रोंकाइटिस
ऑक्सीजन को फेफड़ों तक ले जाने और फेफड़ों से कार्बन डाई ऑक्सीजन बाहर लाने वाली नलियों में सूजन आ जाती है। कई बार सर्दी लगने पर लोगों को ऐसा महसूस होता है। इस नली में सूजन की वजह से सीने में दर्द महसूस होने लगता है और व्यक्ति को सांस लेने में भी परेशानी हो सकती है।
पेरिकार्डिटिस
पेरिकार्डिटिस में हार्ट के चारों ओर द्रव से भरे टिश्यू की थैली होती है, जिसमें सूजन आ जाती है। इसकी वजह से व्यक्ति को सीने में दर्द महसूस होती है। ये एक तरह का हार्ट डिजीज है। इसके लक्षण व्यक्ति को तीन महीनों तक महसूस होते हैं। इसमें रोगी को थकान, सीने में दर्द, खांसी और बुखार होने लगता है।
फ्लू
संक्रमण की वजह से आपको फ्लू की समस्या होती है। फ्लू होने पर व्यक्ति को मांसपेशियों में दर्द, बुखार, गले में दर्द, नाक का बहना, सिर दर्द और थकान महसूस होती है। इस समस्या में व्यक्ति को सीने में कफ हो जाता है और दर्द होने लगता है।
सीओपीडी
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों से जुड़ी समस्या है। इसमें क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा को भी शामिल किया जाता है। इस रोग में मरीज को सांस फूलने लगती है। लंबे समय तक धूम्रपान करने से फेफडों की कार्यक्षमता प्रभावित करती है। इसमें फेफड़ों में सूजन से बलगम की समस्या बढ़ जाती है। इसमें सीने में जकडऩ और दर्द महसूस होता है।
जीईआरडी
एसिड रिफ्लक्स एक पाचन संंबंधी रोग है, ये पेट में एसिड बनने से होता है। इससे मरीज को खाना पचाने में परेशानी होती है। ऐसा होने पर व्यक्ति को उल्टी आने का मन करता है। इस समय मरीज को सीने में जलन और दर्द महसूस होता है।
खांसी और सीने में दर्द के अन्य कारण
निमोनिया
प्लूरल डिसऑर्डर
अस्थमा
प्लनरी इम्बॉलिस्म
लंग कैंसर,
फेफड़ों संबंंधी अन्य रोग, आदि।
सीने में दर्द और खांंसी की समस्या यदि दो से चार सप्ताह से है, तो ऐसे में तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। इन लक्षणों को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है।
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