अमेरिका ने कहा- पूरी तरह से ऑनलाइन चल रही कक्षाएं तो विदेशी छात्र छोड़ें देश
वाशिंगटन। अमेरिकी आव्रजन प्राधिकार ने घोषणा की है कि उन विदेशी छात्रों को देश छोडऩा होगा या निर्वासित होने के खतरे का सामना करना होगा जिनके विश्वविद्यालय कोरोना वायरस की महामारी के चलते इस सेमेस्टर पूर्ण रूप से ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करेंगे। इस कदम से सैकड़ों-हजारों भारतीय छात्र प्रभावित होंगे।
आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने सोमवार को घोषणा की कि 2020 में पडऩे वाले सेमेस्टर में पूरी तरह से ऑनलाइन चलने वाले स्कूलों में पढऩे वाले छात्र पूर्ण ऑनलाइन पाठ्यक्रम का लाभ लेकर अमेरिका में नहीं रह सकते हैं। आईसीई ने एक प्रेस विज्ञप्ति में सितंबर से दिसंबर के सेमेस्टर का संदर्भ देते हुए कहा गया, अमेरिकी विदेश मंत्रालय उन छात्रों के लिए वीजा जारी नहीं करेगा जिनके स्कूल या पाठ्यक्रम शरदऋतु के सेमेस्टर में पूरी तरह ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित कर रहे हैं और अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सीमा सुरक्षा इन छात्रों को अमेरिका में दाखिल होने की अनुमति भी नहीं देगी। एजेंसी ने अमेरिका में पढ़ रहे ऐसे छात्रों को उन स्कूलों में तबादला कराने का सुझाव दिया, जहां कक्षाएं परिसर में आमने-सामने आयोजित की जा रही हैं। अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले ये छात्र एफ-1 वीजा पर यहां आते हैं। वहीं अमेरिका में वोकेशनल या अन्य मान्यता प्राप्त गैर-शैक्षणिक संस्थानों में तकनीकी कार्यक्रमों में दाखिला लेने वाले छात्र (भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम से इतर) एम -1 वीजा पर यहां आते हैं।
अमेरिका में 2017 में चीन के सबसे अधिक 4 लाख 78 हजार 732 छात्रों के बाद 2 लाख 51 हजार 290 भारतीय छात्र थे। वहीं, वर्ष 2017 से 2018 के बीच अमेरिका पढऩे आए भारतीय छात्रों की संख्या में 4157 की बढ़ोतरी हुई।
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