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स्कूलों को फिर से खोलना भर पर्याप्त नहीं, बच्चों को प्रणाली में समेकित करना होगा: बनर्जी

 नयी दिल्ली। नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के अनुसार स्कूलों के बंद होने से पढ़ाई को हुआ नुकसान कोविड-19 से दीर्घकाल में उबरने में एक सबसे बड़ा वैश्विक खतरा है और यदि तत्काल सुधारात्मक कार्य नहीं किये गये तो गंभीर आर्थिक कीमत चुकानी पड़ेगी। अस्थायी रूप से स्कूलों के बंद रहने से स्थायी नुकसान होने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महज स्कूलों को फिर से खोल देना पर्याप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पढ़ाई को हुए नुकसान का आकलन नहीं करना और बच्चों को प्रणाली में वापस समेकित करने के लिए कदम नहीं उठाना त्रासदी को बढ़ाएगा। प्रख्यात अर्थशास्त्री बनर्जी, ग्लोबल एजुकेशन एविडेंस एडवाइजरी पैनल के सह-अध्यक्ष हैं। यह महामारी बाद की दुनिया में शिक्षा क्षेत्र के लिए सिफारिशें करने पर काम कर रहा है। बनर्जी को 2019 में अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।  उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों की शिक्षा,कल्याण और भविष्य पर कोविड-19 संकट के लघु अवधि में एवं दीर्घकालीन प्रभाव गहरे हैं। विश्व के ज्यादातर देशों में स्कूलों को बंद हुए करीब दो साल हो गये हैं, सरकारों को इससे होने वाले नुकसान को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। आकलन से पता चलता है कि यदि सुधारात्मक कदम तत्काल नहीं उठाये जाते हैं तो कोविड संकट से पढ़ाई को हुए नुकसान की आर्थिक कीमत खरबों डॉलर में होगी।'' उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील दिये जाने पर कई क्षेत्र में पूर्व की स्थिति लौट रही है लेकिन बच्चों की शिक्षा को हुए नुकसान से उनका कल्याण और उत्पादक क्षमता दशकों तक घटे रहने की संभावना है। '' वर्तमान में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में प्राध्यापक बनर्जी ने कहा कि स्कूलों को पहली प्राथमिकता के तौर पर फिर से खोले जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘स्कूलों को फिर से खोले जाने और यथासंभव खुला रखने की जरूरत है लेकिन यह पर्याप्त नहीं होने जा रहा। बच्चों के बीच में पढ़ाई छोड़ने के मुद्दे का हल करना होगा ताकि वे स्कूल लौट सकें और स्कूल प्रणाली में बच्चों को फिर से समेकित करने की योजना भी होनी चाहिए। '' उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह स्वीकार करने की जरूरत है कि बच्चे पीछे छूट जाएंगे और पढ़ाई को हुए नुकसान को कम करने तथा अंतराल को पाटने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।'' बनर्जी ने स्कूलों को तब तक फिर से बंद नहीं करने के प्रति आगाह किया, जब तक कि कोविड का कोई आक्रामक स्वरूप बच्चों को अत्यधिक जोखिम में नहीं डालता हो।

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