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केंद्र ने विभिन्न संस्थानों में अनुसंधान अवसंरचना को साझा करने पर दिशा-निर्देश जारी किया

नयी दिल्ली. छोटे शहरों के शोधकर्ताओं की जल्द ही सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्थानों में महंगे अनुसंधान बुनियादी ढांचे तक पहुंच होगी क्योंकि केंद्र ने इस तरह के वैज्ञानिक उपकरणों को कम कीमत पर साझा करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है। छोटे शहरों के शोधकर्ताओं को अत्याधुनिक उपकरणों तक पहुंच मिलने के साथ वैज्ञानिक अनुसंधान अवसंरचना साझा रखरखाव और नेटवर्क (श्रीमान) दिशा-निर्देश भी पहल में भागीदारी के लिए संस्थानों को रेटिंग देकर प्रोत्साहित करना चाहता है, जिसका असर भविष्य में मिलने वाली राशि पर पड़ सकता है। हाल में दिशा-निर्देश जारी करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि 90 प्रतिशत अत्याधुनिक अनुसंधान उपकरण आयात किए जाते हैं और अनुसंधान से जुड़े लोगों के बीच साझा नहीं किए जाते हैं। ‘श्रीमान' पहल का उद्देश्य ‘‘समुदाय के व्यापक और अधिकतम उपयोग के लिए बेहतर पहुंच और साझा व्यवस्था प्रदान करके सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित वैज्ञानिक अनुसंधान बुनियादी ढांचे को मूल्यवान सार्वजनिक संसाधन के रूप में उपलब्ध कराना'' है। यह पहल महंगे और अत्याधुनिक सरकारी वित्त पोषित अनुसंधान बुनियादी ढांचे को साझा करके सार्वजनिक व्यय की दक्षता में सुधार करना चाहती है। सिंह ने कहा, ‘‘वैज्ञानिक अवसंरचना अनुसंधान और नवाचार की नींव है और इसकी उपलब्धता, पहुंच और साझा करने की सुविधा को विशेष रूप से सीमित संसाधनों वाले भारत जैसे देशों के लिए एक प्रमुख लक्ष्य बनाने की आवश्यकता है।'' यह पहल विश्वविद्यालयों और अनुसंधान तथा विकास संस्थानों को अनुसंधान उपकरणों के निर्माण के लिए स्टार्ट-अप स्थापित करने और इसके रखरखाव के लिए कार्यबल विकसित करने को लेकर प्रोत्साहित करके घरेलू उपकरण उद्योग को बढ़ावा देना चाहती है। दिशा-निर्देश में स्पष्ट किया गया है कि विशेष और साझा करने योग्य बुनियादी ढांचे को परिभाषित करने के लिए अपवाद प्रदान करने के साथ विवेकाधीन प्राधिकार विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के पास रहेगा। इसमें रणनीतिक विभागों के मामले शामिल नहीं होंगे। दिशा-निर्देश में यह भी कहा गया है कि पहल के तहत सुविधा का लाभ उठाने वाले व्यक्तिगत शोधकर्ताओं को बौद्धिक संपदा पर पूर्ण अधिकार प्राप्त होगा। दिशा-निर्देश के मुताबिक, ‘‘केवल अनुसंधान बुनियादी ढांचे तक पहुंच प्रदान करने और साझा करने से कोई अनुदान प्राप्त एजेंसी व्यक्तिगत शोधकर्ताओं द्वारा किए गए कार्यों पर बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) का दावा नहीं कर सकती है।

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