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उत्तराखंड की ख्याति देवभूमि के साथ ही आरोग्यभूमि के रूप में भी हो: राष्ट्रपति मुर्मू

ऋषिकेश. उत्तराखंड में प्रचलित आयुर्वेद सहित विभिन्न पारंपरिक उपचार पद्धतियों का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को इच्छा जाहिर की कि देवभूमि की ख्याति आरोग्यभूमि के रूप में भी स्थापित हो । यहां अखिल भारतीय अयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हुए चतुर्थ दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में दिए अपने संबोधन में मुर्मू ने कहा कि उत्तराखंड में आयुर्वेद सहित भारतीय परंपरा की उपचार पद्धतियों के अनेक स्वास्थ्य केंद्र सेवारत हैं और एम्स ऋषिकेश में एलोपैथी के साथ ही आयुष चिकित्सा पद्धतियों द्वारा भी मरीजों का उपचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “मैं चाहूंगी कि व्यापक स्तर पर उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराते हुए उत्तराखंड की इस देवभूमि की ख्याति आरोग्यभूमि के रूप में भी स्थापित हो।” राष्ट्रपति ने कहा, “ हमारे प्राचीन महाकाव्यों में भी उत्तराखंड के क्षेत्रों को औषधि और उपचार से जोड़ा गया है। रामायण की कथा के अनुसार, हनुमान जी इसी क्षेत्र से संजीवनी बूटी लेकर वायुमार्ग से प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जी के पास पहुंचे थे तथा लक्ष्मण जी के उपचार में अपना योगदान दिया था।” राष्ट्रपति ने भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़े नीति निर्धारण से लेकर ‘टर्शियरी हेल्थकेयर' जैसे क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी पर भी खुशी जताई और इसे एक बड़ा और अच्छा सामाजिक बदलाव बताया। उन्होंने कहा, “मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि यहां के विद्यार्थियों में छात्राओं की कुल संख्या 60 प्रतिशत से अधिक है। पिछले सप्ताह मेरी मुलाकात भारतीय आर्थिक सेवा के अधिकारियों के नए बैच से हुई और उन अधिकारियों में भी लगभग 60 प्रतिशत संख्या महिलाओं की थी।” राष्ट्रपति ने महिलाओं की भागीदारी और सफलता के लिए एम्स ऋषिकेश, छात्राओं तथा उनके परिवार के लोगों को भी विशेष बधाई दी। उन्होंने इस बात पर भी गर्व जताया कि दीक्षांत समारोह में पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है। मुर्मू ने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में विश्वस्तरीय इलाज उपलब्ध कराना एम्स ऋषिकेश सहित सभी एम्स संस्थानों की बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि देशवासियों के लिए एम्स का मतलब न्यूनतम खर्च में बेहतरीन डॉक्टरों से इलाज करना है।
 राष्ट्रपति ने कहा कि एम्स के इलाज का फायदा अधिक से अधिक लोगों को मिले तथा ज्यादा से ज्यादा मेधावी छात्र एम्स में शिक्षा प्राप्त कर सकें, इसके लिए देश के अनेक हिस्सों में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों की स्थापना की जा रही है। मुर्मू ने नए चिकित्सकों से कहा कि उनके साथ के अनेक विद्यार्थियों का चिकित्सक बनने का सपना रहा होगा, लेकिन उन जैसे कुछ विद्यार्थी ही यह सपना पूरा कर पाए हैं। उन्होंने छात्रों से कमजोर लोगों के इलाज के लिए हमेशा तत्पर रहने को कहा ।
 राष्ट्रपति ने कहा कि वह चाहती हैं कि आपके मरीज़ आपको शानदार चिकित्सा व्यवहार के साथ-साथ भावनात्मक व्यवहार के लिए भी याद करें। मुर्मू ने एम्स ऋषिकेश जैसे संस्थानों से समाज के हित में आधुनिक तकनीक के उपयोग को अपनी प्राथमिकता बनाने का आग्रह करते हुए कहा कि उसे अन्य संस्थानों के साथ सहयोग लेकर तेजी से आगे बढ़ना चाहिए। इस संबंध में उन्होंने बीमारी की पहचान और उपचार में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोट की बढ़ती भूमिका का उल्लेख करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि इस संस्थान द्वारा इन बदलावों को तेजी से अपनाया जाएगा । मुर्मू ने कहा कि एम्स ऋषिकेश जैसे संस्थानों को राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय समस्याओं के बारे में अनुसंधान और उनका समाधान करने की आवश्यकता है और उनसे सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सामुदायिक भागीदारी पर अधिक से अधिक ध्यान देने को कहा । राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड में धूप की कमी और खाने-पीने की स्थानीय आदतों के कारण महिलाएं ‘ऑस्टियोपोरोसिस' (ऐसी अवस्‍था जिसमें हड्डियां कमजोर और नाजुक हो जाती हैं) और ‘एनीमिया' जैसे रोगों से पीड़ित हो रही हैं। दीक्षांत समारोह में 598 विद्यार्थियों को उपाधि दी गयी जिनमें परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वालों को 14 स्वर्ण पदकों सहित 16 पदकों से नवाजा गया। वर्ष 2012 से एम्स ऋषिकेश में एमबीबीएस पाठयक्रम शुरू हुआ था और पिछले 12 वर्षों में एम्स ऋषिकेश देश को 574 चिकित्सक दे चुका है । कार्यक्रम में उत्तराखंड के राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह भी मौजूद थे । मुर्मू प्रदेश के अपने दो दिवसीय दौरे पर शाम को यहां पहुंची । वह बुधवार को देहरादून स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी में भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के प्रशिक्षण पाठयक्रम के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेंगी ।

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