भागवत तीन-दिवसीय व्याख्यानमाला में भारत के उज्ज्वल भविष्य के प्रति आरएसएस का दृष्टिकोण पेश करेंगे
नयी दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत इस महीने के अंत में यहां तीन-दिवसीय कार्यक्रम में भारत के उज्ज्वल भविष्य के प्रति संगठन का दृष्टिकोण प्रस्तुत करेंगे। वह इस कार्यक्रम में देश को अधिक आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से प्रभावशाली बनाने के लिए ‘‘विकास के औपनिवेशिक युग के मानदंडों से आगे जाने की आवश्यकता'' समेत कई विषयों पर अपने विचार रखेंगे। आरएसएस इस कार्यक्रम में अल्पसंख्यक समुदायों, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और विदेशी राजदूतों (पाकिस्तान और बांग्लादेश को छोड़कर) समेत समाज के विभिन्न वर्गों के प्रमुख व्यक्तियों को आमंत्रित करेगा। सूत्रों ने बताया कि तुर्किये को निमंत्रण भेजे जाने की भी संभावना नहीं है।
छब्बीस अगस्त से शुरू होने वाली तीन-दिवसीय व्याख्यानमाला का विवरण साझा करते हुए, आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी सुनील आंबेकर ने कहा कि भागवत समाज की मदद से भारत के “उज्ज्वल भविष्य” को आकार देने में आरएसएस और उसके स्वयंसेवकों की भूमिका को रेखांकित करेंगे। उन्होंने यहां आरएसएस कार्यालय केशव कुंज में प्रेसवार्ता में कहा कि 26 से 28 अगस्त तक यहां विज्ञान भवन में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम का विषय 'आरएसएस की 100 वर्ष की यात्रा: नए क्षितिज' है। उन्होंने कहा कि व्याख्यानमाला के पहले दो दिनों में, सरसंघचालक मोहन भागवत भारत के भविष्य के लिए अपने दृष्टिकोण और भारत के उज्ज्वल भविष्य को आकार देने में स्वयंसेवकों (आरएसएस स्वयंसेवकों) की भूमिका सामने रखेंगे। उन्होंने बताया कि तीसरे दिन आरएसएस प्रमुख प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर देंगे।
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