जीएसटी दर में बदलाव से खपत में होगी 1.98 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि: एसबीआई रिसर्च
नयी दिल्ली. प्रस्तावित जीएसटी सुधारों के तहत दो-स्तरीय कर ढांचे और घरेलू सामान पर कर की कम दरों से सालाना 85,000 करोड़ रुपये का औसत राजस्व के नुकसान का अनुमान है, लेकिन इससे खपत में 1.98 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होगी। एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में मंगलवार को यह कहा गया। केंद्र ने जीएसटी में व्यापक सुधारों का प्रस्ताव किया है। इसके तहत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत पांच और 18 प्रतिशत की दो कर स्लैब होंगे। यह वस्तुओं को ‘योग्यता' और ‘मानक' के रूप में वर्गीकृत करेगी। साथ ही, पान मसाला और तंबाकू जैसे अहितकर वस्तुओं सहित पांच से सात चुनिंदा वस्तुओं पर 40 प्रतिशत कर लगाया जाएगा।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि प्रभावी भारित औसत जीएसटी दर शुरू में 14.4 प्रतिशत से घटकर सितंबर, 2019 में 11.6 प्रतिशत पर आ गई। दरों को युक्तिसंगत बनाने के प्रस्ताव को देखते हुए, प्रभावी भारित औसत जीएसटी दर घटकर 9.5 प्रतिशत हो सकती है। हालांकि, उपभोग में वृद्धि मुद्रास्फीति को नहीं बढ़ाएगी क्योंकि प्रस्तावित जीएसटी व्यवस्था में व्यापक उपभोग की वस्तुओं पर कर कम होंगे। यह सकल घरेलू उत्पाद में 0.6 प्रतिशत की कुल वृद्धि के बराबर है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘कुल मिलाकर, हमारा मानना है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 0.2 से 0.5 प्रतिशत तक नरम हो सकती है। चूंकि आवश्यक वस्तुओं (खाद्य, कपड़ा, आदि) की जीएसटी दर 12 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत होने की उम्मीद है, ऐसे में इस श्रेणी में सीपीआई मुद्रास्फीति भी 0.1 प्रतिशत से 0.15 प्रतिशत तक कम हो सकती है। इसमें यह माना गया है कि खाद्य वस्तुओं के मामले में 60 प्रतिशत लाभ यानी खुदरा मूल्य में उतनी कमी की जाएगी। इसके अलावा, सेवाओं की जीएसटी दरों के युक्तिसंगत बनाये जाने से 25 प्रतिशत लाभ आगे बढ़ाये जाने को ध्यान में रखते हुए, अन्य वस्तुओं और सेवाओं की खुदरा मुद्रास्फीति में 0.05 से 0.1 प्रतिशत की और कमी आएगी।
एसबीआई रिसर्च ने कहा, ‘‘जीएसटी 2.0 व्यवस्था से औसतन 85,000 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा होने के बावजूद, खपत में 1.98 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होने का अनुमान है।'' चालू वित्त वर्ष में, नई कर दरों की अवधि अक्टूबर-मार्च मानते हुए, राजस्व घाटा 45,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष के बजट में घोषित आयकर दरों में कटौती के लाभ को मिलाकर, दोनों उपायों के संयुक्त प्रभाव से अर्थव्यवस्था में उपभोग व्यय में 5.31 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त वृद्धि का अनुमान है। यह सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1.6 प्रतिशत है। केंद्र के प्रस्ताव पर बुधवार और बृहस्पतिवार को राज्यों के वित्त मंत्रियों की एक समिति चर्चा करेगी। मंजूरी मिलने के बाद, इसे अगले महीने जीएसटी परिषद की बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। वर्तमान जीएसटी संरचना (जीएसटी 1.0) में चार दरें... 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत हैं। ये दरें अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती हैं।
मुख्य स्लैब के अलावा, तीन विशेष दरें भी हैं। सोना, चांदी, हीरा और आभूषण पर तीन प्रतिशत, तराशे और पॉलिश किए हुए हीरों पर 1.5 प्रतिशत, और कच्चे हीरों पर 0.25 प्रतिशत। तंबाकू उत्पादों और मोटर वाहन जैसी चुनिंदा वस्तुओं पर अलग-अलग दरों पर जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर भी लगाया जाता है। इस उपकर का उपयोग राज्यों को जीएसटी प्रणाली में परिवर्तन के परिणामस्वरूप होने वाले किसी भी राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में जीएसटी में अगली पीढ़ी के सुधारों की घोषणा की।
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