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मेंहदी के लिए केवल महिलाओं की सेवाएं लें, शादी में फिजूलखर्ची बंद करें

नई दिल्ली। अखिल भारतीय मारवाड़ी समाज ने एक प्रस्ताव पारित कर अपील की है कि समाज के लोग विवाह समारोहों में मेहंदी लगवाने और कोरियोग्राफी के लिए केवल महिला कलाकारों की ही सेवाएं लें और फिजूलखर्ची बंद करने के लिए विवाह समारोहों का आयोजन दिन में करें। इसके साथ ही समुदाय के सदस्यों से अपील की गई है कि वे विवाह-पूर्व वर-वधू के फोटो शूट पर भी रोक लगाएं। अखिल भारतीय वार्षिक मारवाड़ी सम्मेलन के 28वें अधिवेशन के दूसरे एवं अंतिम दिन रविवार को पारित प्रस्ताव में केंद्र सरकार से आगामी जनगणना में मारवाड़ी को एक जाति के रूप में शामिल करने और राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध भी किया गया। संस्था के नवनियुक राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन कुमार गोयनका की अध्यक्षता में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि देशभर में फैले मारवाड़ी समुदाय के 10 करोड़ लोग आगामी जनगणना में मारवाड़ी को अपनी मातृभाषा के रूप में दर्ज करवाएं। समारोह में पाणिग्रहण संस्कारों या अन्य किसी भी धार्मिक आयोजन में मद्यपान निषिद्ध करने और मृत्युभोज में शामिल नहीं होने का भी फैसला किया गया। गोयनका ने बताया कि सम्मेलन में समुदाय के लोगों से अपील की गई कि वे वैवाहिक रिश्तों में तनाव के कारण उत्पन्न तलाक के मामले में अदालत जाने से पहले समुदाय से संपर्क करें, जो उन्हें ‘मैरिज कॉउंसलर' की सेवाएं मुहैया कराएगा। उन्होंने बताया कि इसी के साथ यह फैसला भी लिया गया कि विवाह आदि अवसरों पर मेंहदी लगवाने और कोरियोग्राफी का कार्य महिला कलाकारों से करवाया जाए।

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