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 प्रधानमंत्री मोदी ने आपदा प्रभावित हिमाचल प्रदेश के लिए 1,500 करोड़ रुपये की राहत का एलान किया

शिमला/धर्मशाला । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्षा प्रभावित हिमाचल प्रदेश के लिए 1,500 करोड़ रुपये की तत्काल राहत की मंगलवार को घोषणा की। राज्य में बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति का जायजा लेने के बाद मोदी ने मृतकों के परिजनों के लिए दो लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये की सहायता राशि की भी घोषणा की। उन्होंने सबसे पहले प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और फिर राहत एवं पुनर्वास उपायों की समीक्षा तथा क्षति का आकलन करने के लिए कांगड़ा में एक बैठक की।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल, भाजपा नेताओं, प्रभावित परिवारों और कांगड़ा में बचाव सेवाओं में लगे लोगों के साथ बैठक में मोदी ने प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को बहाल करने और पुनर्निर्माण के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। वित्तीय सहायता के तौर पर 1,500 करोड़ रुपये की राशि पीएम-किसान सम्मान निधि और राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष की दूसरी किस्त की रूप में जारी की जाएगी। मोदी ने पूरे क्षेत्र और जन जीवन को सामान्य बनाने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। यह कई तरीकों से किया जाएगा, जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घरों का पुनर्निर्माण, राष्ट्रीय राजमार्गों का जीर्णोद्धार, स्कूलों का पुनर्निर्माण, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) के तहत राहत का प्रावधान और पशुधन के लिए ‘मिनी किट' जारी करना। निर्बाध शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्कूल क्षति की रिपोर्ट कर सकेंगे और उसकी ‘जिओटैगिंग' कर सकेंगे, जिससे समग्र शिक्षा अभियान के तहत समय पर सहायता उपलब्ध कराई जा सकेगी। वर्षा जल के संचयन के लिये पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। इन प्रयासों से भूजल स्तर में सुधार होगा और बेहतर जल प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा।
 केंद्र सरकार ने नुकसान का आकलन करने के लिए हिमाचल प्रदेश में अंतर-मंत्रालयी दल पहले ही भेज दिए हैं और उनकी विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर आगे की सहायता पर विचार किया जाएगा। मोदी ने आपदा से प्रभावित परिवारों से भी मुलाकात की। उन्होंने अपने परिजनों को खोने वालों के प्रति संवेदना और गहरा दुख व्यक्त किया। प्रधानमंत्री की एक तस्वीर भी इंटरनेट पर सामने आई है, जिसमें वह अपने परिवार की एकमात्र जीवित बची 11 महीने की बच्ची नीतिका को गोद में लिए हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र इस कठिन समय में हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ मिलकर काम करेगा और हर संभव सहायता प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि कृषक समुदाय को सहायता के तहत विशेष रूप से उन किसानों को अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाएगी, जिनके पास वर्तमान में बिजली कनेक्शन नहीं हैं। उन्होंने कहा कि क्षति का सटीक आकलन करने और सहायता का तेजी से वितरण सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत क्षतिग्रस्त घरों की ‘जियोटैगिंग' की जाएगी। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन नियमों के तहत राज्य को अग्रिम भुगतान सहित सभी प्रकार की सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने राहत एवं बचाव कार्यों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), सेना, राज्य प्रशासन और अन्य संगठनों के कर्मियों के प्रयासों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य के ज्ञापन और केंद्रीय टीम की रिपोर्ट के आधार पर आकलन की आगे समीक्षा करेगी। मोदी ने आश्वासन दिया कि केंद्र स्थिति से निपटने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।
इससे पहले, उन्होंने हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं के बाद राज्य में मौजूदा स्थिति पर एक प्रस्तुति भी देखी। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में 20 जून से आठ सितंबर तक बादल फटने, भारी बारिश से अचानक बाढ़ आने और भूस्खलन के कारण 4,122 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और राज्य में वर्षा जनित घटनाओं और सड़क दुर्घटनाओं में 370 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 205 लोगों की मौत बारिश से जुड़ी घटनाओं के कारण हुईं। इनमें 43 मौतें भूस्खलन से, 17 बादल फटने से और नौ अचानक आई बाढ़ से हुईं। इसके अलावा, 41 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं, जबकि सड़क दुर्घटनाओं में 165 मौतें हुई हैं। मंगलवार सुबह तक राज्य में चार राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 619 सड़कें बंद थीं और 1,748 बिजली ट्रांसफार्मर और 461 जलापूर्ति योजनाएं बाधित थीं। मानसून के कारण काफी नुकसान हुआ है, कुल 6,344 मकान, 461 दुकानें और कारखाने पूर्णतः या आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा सरकारी और निजी भूमि को भी भारी नुकसान पहुंचा है। प्रधानमंत्री मोदी के हिमाचल प्रदेश दौरे से पहले मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि वह प्रधानमंत्री से वन संरक्षण अधिनियम में छूट देने का आग्रह करेंगे, ताकि मानसून आपदा के कारण भूमिहीन हुए लोगों को वन भूमि प्रदान की जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी से पहाड़ी राज्यों में सतत विकास के लिए रणनीति तैयार करने पर चर्चा शुरू करने का आग्रह करेंगे।  

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