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 मध्याह्न भोजन योजना में गुणवत्ता पर होगा जोर, रसोइयों को किया जायेगा प्रशिक्षित
नयी दिल्ली ।सरकार मध्याह्न भोजन योजना के तहत खाने की गुणवत्ता में सुधार के लिये रसोइयों को प्रशिक्षित करेगी । इसके तहत रसोइयों को इस बात के लिए प्रशिक्षित करने का विचार है कि वे भोजन में बच्चों की पसंद के साथ साथ उनकी पोषण आवश्यकताओं का भी ध्यान रख सकें। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘मध्याह्न भोजन योजना को सुदृढ़ बनाया जा रहा है । इसके तहत संशोधित योजना से संबंधित व्यय वित्त समिति के ज्ञापन को शिक्षा मंत्री की मंजूरी मिल गई है । अब इसे विचारार्थ व्यय विभाग को भेजा जा रहा है । '' संशोधित मध्याह्न भोजन योजना की विशेष बात यह है कि इसके तहत भोजन की गुणवत्ता को सुधारा जाएगा और उसे पहले से भी अधिक पौष्टिक एवं स्‍वादिष्‍ट बनाया जाएगा। पिछले काफी समय से देश के विभिन्न इलाकों से मध्याह्न भोजना योजना के तहत स्कूली बच्चों के खाने की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें आती रहीं हैं । इसे ध्यान में रखते हुए स्कूली बच्चों का खाना बनाने वाले रसोइयों (कुक कम हेल्पर) को प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रत्येक जिले में स्थित स्कूलों में खाने बनाने वाले रसोइयों को प्रशिक्षित किया जाएगा और इन्हें ‘‘मास्टर ट्रेनर'' बनाया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, मौजूदा समय में स्कूली बच्चों के खाने की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए बेहतर सामग्री तो उपलब्ध कराई जा रही हैं, किंतु इसे बनाने वाले रसोइयों के प्रशिक्षित नहीं होने से समस्या आ रही है । विभाग का मानना है कि खाना बनाने वाले को यह जानकारी होनी चाहिए कि किस सब्जी को कैसे बनाया जाए, जिससे उसके पोषक तत्व नष्ट नहीं हों। साथ ही उन्हें यह पता होने चाहिए कि खाने को बच्चों की रुचि के अनसार बनाया जाए और वह स्वादिष्ट भी हो। अभी स्कूलों में खाना बनाने वाले इन रसोइयों के पास ऐसा कोई प्रशिक्षण नहीं है।
उल्लेखनीय है कि यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मध्याह्न भोजन योजना को लेकर कई सिफारिशें की गई हैं । नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मध्याह्न भोजन के साथ सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को नाश्ता मुहैया कराने का प्रावधान रखने का भी प्रस्ताव है। नयी शिक्षा नीति में कहा गया है कि सुबह के समय पोषक नाश्ता मिलना ज्ञान-संबंधी विषयों की पढ़ाई में लाभकर हो सकता है। नयी शिक्षा नीति के प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘शोध बताते हैं कि सुबह के समय पोषक नाश्ता ज्ञान-संबंधी असामान्य मेहनत वाले विषयों की पढ़ाई में लाभकारी हो सकता है। इसलिए बच्चों को मध्याह्न भोजन के अतिरिक्त साधारण लेकिन स्फूर्तिदायक नाश्ता देकर सुबह के समय का लाभ उठाया जा सकता है।'' इस कार्यक्रम का विस्तार आंगनवाड़ी तक करने का भी प्रस्ताव है । इस वर्ष मार्च महीने में संसद में पेश संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, मध्याह्न भोजन योजना के तहत छात्रों को पका हुआ भोजन उपलब्ध कराने के बारे में समिति के प्रश्न पर विभाग ने कहा कि देशभर में 11.20 लाख स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना लागू की गई है और 11.8 करोड़ छात्र योजना के लाभार्थी हैं । इसके अलावा 10.74 लाख स्कूलों में उनकी रसोई है, जबकि शेष स्कूल 300 गैर सरकारी संगठनों से पका हुआ भोजन प्राप्त करते हैं जिनमें अक्षय पात्र, इस्कॉन आदि शामिल हैं । मध्याह्न भोजन योजना के तहत प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक छात्र को 450 कैलोरी/12 ग्राम प्रोटीन प्रदान किया जाता है। इसी प्रकार से उच्च प्राथमिक स्तर पर छात्रों को 700 कैलोरी/20 ग्राम प्रोटीन प्रदान किया जाता है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने 5 मार्च 2021 को समिति को यह सूचित किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की परिकल्पना के अनुसार, पूर्व प्राथमिक कक्षा में मध्याह्न भोजन योजना की शुरूआत और मध्याह्न भोजन योजना के तहत नाश्ते के प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है। रिपोर्ट में स्कूलों में मध्याह्न भोजन के राष्ट्रीय कार्यक्रम के बारे में कहा गया है कि 2020-21 के दौरान राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों के लिये 29.99 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया गया। 10 फरवरी 2021 तक सभी राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों के लिये 9940 करोड़ रूपये की केंद्रीय सहायता राशि जारी की गई है ।
-File photo

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