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 प्रधानमंत्री ने केंद्र से वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों के निदेशकों के साथ किया संवाद
नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र द्वारा वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों के निदेशकों के साथ संवाद किया तथा बदलते परिवेश एवं उभरती चुनौतियों के साथ तालमेल रखने के लिए उच्च और तकनीकी शिक्षा को अपनाने की जरूरत पर बल दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से जारी एक बयान के मुताबिक मोदी ने कहा कि देश के प्रौद्योगिकी एवं अनुसंधान संस्थान आने वाले दशक को ‘‘भारत का प्रौद्योगिकी दशक'' बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में नवनियुक्त शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अलावा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मुंबई, आईआईटी, मद्रास, आईआईटी कानपुर, भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशकों के अलावा कुछ अन्य तकनीकी व प्रौद्योगिकी संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। इस संवाद के दौरान प्रधानमंत्री ने भारतीय शिक्षा क्षेत्र को एक प्रकार का सामाजिक निवेश बताया और जोर दिया कि पहुंच, सुलभता, गुणवत्ता और समानता उच्च शिक्षा का आधार होना चाहिए और इसके केंद्र में युवा, महिला और पिछड़े वर्ग के लोग होने चाहिए। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कृषि, रक्षा और साइबर प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में भविष्य के समाधान विकसित करने पर ध्यान देने की आवश्यकता जताई। प्रधानमंत्री ने कोविड के कारण पैदा हुई चुनौतियों का सामना करने की दिशा में इन संस्थानों द्वारा किए गए अनुसंधान एवं विकास कार्यों की सराहना की और त्वरित प्रौद्योगिकी समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में युवा नूतन पहल करने वाले लोगों के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में अच्छी गुणवत्ता का बुनियादी ढांचा उपलब्ध हो ताकि कृत्रिम मेधा, स्मार्ट वियरेबल, ऑगमेंटेड रियलिटी सिस्टम और डिजिटल सहायता से जुड़े उत्पाद की आम आदमी तक पहुंच सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि हमें सस्ती, व्यक्तिगत और कृत्रिम मेधा संचालित शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए।
बाद में एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अग्रणी आईआईटी संस्थानों और आईआईएससी बंगलुरु के निदेशकों के साथ बहुत ही अच्छा संवाद  हुआ। इस दौरान भारत को शोध और अनुसंधान का केंद्र बनाने, नवोनमेष और युवाओं के बीच विज्ञान को लोकप्रिय बनाने सहित कई मुद्दों पर हमने विचारों का आदान-प्रदान किया।'' प्रधानमंत्री ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में आए सुधार की सराहना करते हुए इस बात पर जोर दिया कि उच्च शिक्षा का डिजिटलीकरण जीईआर को बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है, इससे छात्रों को अच्छी गुणवत्ता और सस्ती शिक्षा तक आसान पहुंच उपलब्ध होगी। उन्होंने ऑनलाइन स्नातक और मास्टर डिग्री कार्यक्रमों जैसे डिजिटलीकरण को बढ़ाने के लिए संस्थानों द्वारा की गई विभिन्न पहलों की सराहना की और कहा, ‘‘हमें भारतीय भाषाओं में प्रौद्योगिकीय शिक्षा का इकोसिस्टम विकसित करने और वैश्विक पत्रिकाओं का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने की जरूरत है।'' ज्ञात हो कि बुधवार को हुए मंत्रिपरिषद विस्तार में धर्मेंद्र प्रधान को शिक्षा मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया है। इससे पहले रमेश पोखरियाल निशंक इस मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। शिक्षा मंत्री प्रधान ने अपने संबोधन में कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ भारत की शिक्षा प्रणाली ने एक बड़ी छलांग लगाई है। शिक्षा मंत्री के रूप में अपनी पहली बैठक में प्रधान ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ भारतीय शिक्षा प्रणाली ने एक बड़ी छलांग लगाई है। नीति का सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी स्वागत किया गया है।'' उन्होंने कहा, ‘‘भारत को एक उचित ज्ञान संपन्न समाज की दिशा में ले जाने में हम छात्रों और युवाओं को मुख्य साझेदार बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।''
 

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