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 मंत्रिमंडल ने मंडी समितियों को कृषि बुनियादी ढांचा कोष से वित्तीय सुविधा लेने को मंजूरी दी: तोमर
नयी दिल्ली। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार  को कहा कि कृषि उपज मंडी समितियां (एपीएमसी) अब बाजार क्षमता के विस्तार और किसानों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिये एक लाख करोड़ रुपये के कृषि बुनियादी ढांचा कोष से वित्तीय सुविधाएं ले सकेंगी। तोमर ने यह भी कहा कि इस निर्णय से एपीएमसी और मजबूत होंगी। साथ ही इससे विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के मन से यह आशंका दूर होगी कि तीन नये कृषि कानूनों के क्रियान्वयन के साथ इन मंडियों को समाप्त कर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमडल की बैठक में केंद्रीय योजना में संशोधन को मंजूरी दी गयी। मंत्रिमंडल के निर्णय के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए तोमर ने कहा, ‘‘इस साल के बजट के दौरान हमने कहा था कि एपीएमसी व्यवस्था खत्म नहीं होगी बल्कि उसे और मजबूत बनाया जाएगा। उसे ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल ने आज (बृहस्पतिवार) एपीएमसी को कृषि बुनियादी ढांचा कोष (एआईएफ) के तहत एक लाख करोड़ रुपये की वित्त पोषण सुविधा के उपयोग को मंजूरी दे दी।''
मंत्री ने कहा कि यह आशंका जतायी जा रही थी कि एपीएमसी को खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये विनियमित मंडियां समाप्त नहीं होंगीं। तीन कृषि कानूनों के लागू होने के बाद, एपीएमसी को इस कृषि बुनियादी ढांचा कोष से वित्तीय सुविधा प्राप्त होगी। एपीएमसी के लिये एक ही कृषि मंडी के भीतर कोल्ड स्टोरेज, साइलो, छंटाई, मानकीकरण, जांच-परख इकाइयां आदि विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजना के लिए दो करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए ब्याज सहायता प्रदान की जाएगी। कृषि मंडी समितियों का गठन बाजार उपलब्ध कराने और फसल कटाई के बाद किसानों के लिये सुलभ सार्वजनिक बुनियादी ढांचा तैयार करने के मकसद से किया गया। तोमर ने कहा कि केवल एपीएमसी को ही नहीं बल्कि इस कोष के तहत वित्तीय सुविधाएं राज्य एजेंसियों, राष्ट्रीय और राज्य महासंघों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के साथ स्वयं सहायता समूह के महासंघ (स्वयं सहायता समूह) के लिये भी उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि अब तक व्यक्तिगत तौर पर लोगों, संगठनो, सहकारी समितियों, एफपीओ और कृषि स्टार्टअप दो करोड़ रुपये तक के कर्ज के लिये सालाना तीन प्रतिशत ब्याज सहायता प्राप्त करने के पात्र थे। एआईएफ के अंतर्गत ब्याज सहायता और वित्तीय समर्थन के माध्यम से फसल कटाई के बाद के प्रबंधन से जुड़े बुनियादी ढांचे तथा सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए व्यवहारिक परियोजनाओं में निवेश को लेकर मध्यम से दीर्घावधि के लिये वित्त पोषण सुविधा प्रदान की जाती है। योजना में जो अन्य बदलाव किये गये हैं, उसमें वर्तमान में एक स्थान पर दो करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए ब्याज सहायता की पात्रता है। उन्होंने कहा ‘‘यदि एक पात्र इकाई विभिन्न स्थानों पर परियोजनाएं लगाती है तो ऐसी सभी परियोजना दो करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए ब्याज सहायता की पात्र होंगी।'' लेकिन निजी क्षेत्र की इकाई के लिए ऐसी परियोजनाओं की अधिकतम सीमा 25 होगी। हालांकि यह सीमा राज्य की एजेंसियों, राष्ट्रीय और राज्य सहकारी समितियों के महासंघों, एफपीओ और स्वयं सहायता समूहों के महासंघों पर लागू नहीं होगी। स्थान का मतलब एक गांव या शहर की सीमा से है जिसमें एक अलग एलजीडी (स्थानीय सरकारी निर्देशिका) कोड होगा। ऐसी प्रत्येक परियोजना एक अलग एलजीडी कोड वाले स्थान पर होनी चाहिए। मंत्री ने कहा कि वित्तीय सुविधा की अवधि 4 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष यानी 2025-26 तक कर दी गई है। वहीं योजना की कुल अवधि 10 से बढ़ाकर 13 वर्ष 2032-33 तक कर दी गई है। एक अलग बयान में कहा गया है कि सरकार ने लाभार्थी को जोड़ने या हटाने के संबंध में आवश्यक परिवर्तन करने के लिए माननीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री को शक्ति प्रदान की है ताकि योजना की मूल भावना में परिवर्तन न हो।

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