झारखंड में कांवड़ यात्रा और श्रावणी मेले के आयोजन की संभावना नहीं
रांची/देवघर। कोविड-19 के कारण धार्मिक गतिविधियों पर पाबंदियों के चलते इस साल लगातार दूसरी बार झारखंड के देवघर में एक महीने तक चलने वाला श्रावणी मेला और इससे जुड़ी कांवड़ यात्रा होने की संभावना नहीं है। इसे पूर्वी भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है। इसी साल 25 जुलाई से श्रावण मास शुरू हो रहा है लेकिन अभी तक देवघर जिला प्रशासन की ओर से मेले को लेकर कोई तैयारी नहीं हुई है। यह इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार देवघर के प्रसिद्ध बाबा बैद्यनाथ मंदिर में कांवडिय़ों का मेला और जमावड़ा नहीं होने देगी, जिसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। सरकार ने अभी तक इस विशाल आयोजन पर औपचारिक आदेश नहीं दिया है। इस दौरान देश भर के लाखों भक्त बैद्यनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने के लिए आते हैं, लेकिन ऐसे संकेत हैं कि पिछली बार की तरह इस बार भी यह आयोजन नहीं होगा। झारखंड सरकार ने 30 जून को कोरोना वायरस लॉकडाउन जैसी पाबंदियों को आठवीं बार अगले आदेश तक बढ़ा दिया था। इसके तहत सभी धार्मिक स्थलों / पूजा स्थलों को खोलने की अनुमति है , लेकिन आगंतुकों का प्रवेश वर्जित है।
झारखंड के पुलिस महानिदेशक, नीरज सिन्हा ने शनिवार को कहा कि लोगों को कोविड महामारी के आलोक में सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का पालन और उनका सम्मान करना चाहिए। सिन्हा ने कहा, ''हमने बिहार की सीमाओं और देवघर की सीमाओं पर भीड़ लगने से रोकने के लिए पुलिस बल तैनात किया है।'' पूर्वी क्षेत्र में कांवडिय़े बिहार के सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर देवघर मंदिर में भगवान शिव को चढ़ाने के लिए 100 किलोमीटर की यात्रा करते हैं।
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