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 लोक आस्था के महापर्व छठ की हुई शुरुआत....  जानें सूर्य पूजन और अर्घ्य की तिथि
लोक आस्था के महापर्व की शुरुआत आज से हो गई है। लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। छठ पूजा बिहार और झारखंड के निवासियों का प्रमुख त्योहार है, लेकिन इसका उत्सव पूरे उत्तर भारत में देखने को मिलता है। सूर्य देव की उपासना के छठ पूजा  पर्व को प्रकृति प्रेम और प्रकृति पूजा का सबसे उदाहरण भी माना जाता है। छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय के साथ शुरू होता है। आज व्रती नहाय-खाय के दौरान चावल, चने की दाल और लौकी (घीया) की सब्जी खा कर व्रत को शुरू करने के साथ दूसरे दिन खरना की तैयारी भी शुरू करेंगे। नहाय खाय के अगले दिन उपवास रख व्रती खरना पूजन करती हैं। इसके अगले दिन भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य  शाम को दिया जाता है। छठ के अंतिम दिन प्रात:काल उदयीमान सूर्य को अर्घ्य  दिया जाता है और इसके साथ ही चार दिवसीय अनुष्ठान पूरा हो जाता है।
 नहाए खाए के साथ शुरु होने वाला छठ पूजा का पहला दिन 8 नवंबर, 2021 को है। छठ का दूसरा दिन खरना 9 नवंबर को है। छठ पूजा में खरना का विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रत रखा जाता है और रात में खीर का प्रसाद ग्रहंण किया जाता है। छठ का तीसरा दिन छठ पूजा या संध्या अध्र्य 10 नवंबर 2021, दिन बुधवार को है। षष्ठी तिथि 9 नवंबर 2021 को शुरु होकर 10 नवंबर को 8:25 पर समाप्त होगी।
छठ पूजा की विधि
छठ पूजा की शुरुआत षष्ठी तिथि से दो दिन पूर्व चतुर्थी से हो जाती है जो आज है। आज चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय मनाई जा रही है। नहाय-खाय के दिन लोग घर की साफ-सफाई और पवित्र करके पूरे दिन सात्विक आहार लेते हैं। इसके बाद पंचमी तिथि को खरना शुरू होता है जिसमें व्रती को दिन में व्रत करके शाम को सात्विक आहार जैसे- गुड़ की खीर या कद्दू की खीर आदि लेना होता है। पंचमी को खरना के साथ लोहंडा भी होता है जो सात्विक आहार से जुड़ा है।
छठ पूजा के दिन षष्ठी को व्रती को निर्जला व्रत रखना होता है। ये व्रत खरना के दिन शाम से शुरू होता है। छठ यानी षष्ठी तिथि के दिन शाम को डूबते सूर्य को अध्र्य देकर अगले दिन सप्तमी को सुबह उगते सूर्य का इंतजार करना होता है। सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य  देने के साथ ही करीब 36 घंटे चलने वाला निर्जला व्रत समाप्त होता है। छठ पूजा का व्रत करने वालों का मानना है कि पूरी श्रद्धा के साथ छठी मइया की पूजा-उपासना करने वालों की मनोकामना पूरी होती है।
छठ पूजा से जुड़ी मान्यताएं
इस व्रत से जुड़ी अनेक मान्यताएं हैं। नहाय-खाय से शुरू होने वाले छठ पर्व के बारे में कहा जाता है कि इसकी शुरूआत महाभारत काल से ही हो गई थी। एक कथा के अनुसार महाभारत काल में जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए थे तब द्रौपदी ने चार दिनों के इस व्रत को किया था। 
इस पर्व पर भगवान सूर्य की उपासना की थी और मनोकामना में अपना राजपाट वापस मांगा था। इसके साथ ही एक और मान्यता प्रचलित है कि इस छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में कर्ण ने की थी। कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वे पानी में घंटो खड़े रहकर सूर्य की उपासना किया करते थे। जिससे प्रसन्न होकर भगवान सूर्य ने उन्हें महान योद्धा बनने का आशीर्वाद दिया था।

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