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 गुरु-उपदेशों का बार-बार चिन्तन न करना बहुत बड़ी लापरवाही है!!!
-जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुखारविन्द से गुरु उपदेश
 
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुखारविन्द से गुरु उपदेशों के प्रति साधक के कर्तव्य तथा उसकी लापरवाही के सम्बन्ध के संबंध में कुछ मार्गदर्शन ::::::::
 
(उनके द्वारा नि:सृत वाणी यहां से है....)
 
....हमको जो सुख मिलता है, वो आत्मा का सुख नहीं है मन का है और लिमिटेड है और वो नश्वर है। तमाम गड़बडिय़ां हैं उसमें। जो भी सुख हमको मिलता है संसार में वो सदा नहीं रहता। ये तो अनुभव करता है आदमी। भूख लगी है रसगुल्ला खाया सुख मिला। उसमें भी पहले रसगुल्ले में ज्यादा सुख मिला, दूसरे में उससे कम, तीसरे में उससे कम, चौथे में खतम। जिस वस्तु से सुख मिलता है उससे भी हमेशा एक सा नहीं मिलता। धीरे-धीरे घटता जाता है और फिर उसी से दु:ख मिलने लगता है। ये भी होता है। स्वार्थ हानि हुई कि दु:ख। उसी बीवी से प्यार और उसी बीवी की शकल देखने से नफरत हैं। उसी बेटे से प्यार है और उसी से झगड़ा हो गया या कोई अपमान कर दिया पिता का तो उससे बातचीत करना बन्द। तो संसार का सुख तो अगर थोड़ा है और सदा रहे तो भी कोई बात है। वो तो आया गया, धूप-छाँव की तरह।
 
तो ये सब बातें हमेशा बुद्धि में बैठी रहें। कभी बैठती हैं कभी गायब हो जाती हैं, फिर संसार में बह जाता है वो लापरवाही से। 
 
तत्त्वविस्मरणात् भेकीवत्।

भूल गया। तो फिर क्या होगा?
 
बहुत बचपन की बात है। एक व्यक्ति डायरी रखता था हमेशा। उसको भूलने की आदत थी, तो उसमें लिख ले। तो हमने कहा - एक बात बताओ, वो डायरी में लिख लेता है और अगर डायरी पढऩा भूल जाय तो वो लिखा हुआ क्या करेगा? डायरी में कोई लिख ले क्यों लिख ले? भूल जायेगा। बढिय़ा तरकीब है। अच्छा जी! ये तरकीब अगर बढिय़ा है लेकिन वो पढऩा भूल जाय तो? अरे! जब भूल जाय, तो सभी कुछ भूल सकता है। तो फिर तुम्हारा लिखना ये क्या काम करेगा?
 तो हम तत्व को भूल जाते हैं। जिस समय गुरु का उपदेश होता रहता है तो समझ में सब बात आती है पढ़े लिखे आदमी को। वो मानता है, एडमिट करता है, सब सही है और फिर संसार के एटमॉसफियर में गया और भूल गया। तो उसमें सावधान रहना चाहिये और बार-बार मन को पकड़ करके बुद्धि के द्वारा हरि गुरु के चरणों में लगाते रहना चाहिये। तो अभ्यास करने से पक्का हो जायेगा।
 
 पुस्तक सन्दर्भ - प्रश्नोत्तरी, भाग - 3; जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज तथा साधकों मध्य प्रश्नोत्तर पर आधारित।
सर्वाधिकार सुरक्षित - राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।

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