स्पेन में मिले कार जितने बड़े कछुए के अवशेष
कार के आकार का कछुआ. इतना बड़ा कछुआ इंसान ने तो नहीं देखा है लेकिन 8.3 करोड़ साल पहले यानी जब धरती पर डायनासोर हुआ करते थे तब इतने बड़े आकार के कछुए भी थे। इसका पता वैज्ञानिकों को अभी चला है जब स्पेन में उसके अवशेष मिले ।
स्पेन में शोधकर्ताओं को एक कछुए के अवशेष मिले हैं। अवशेष दिखाते हैं कि यह कछुआ एक छोटी कार के आकार का रहा होगा। शोधकर्ताओं ने बताया है कि उत्तरी स्पेन में मिला यह कछुआ 12 फुट लंबा होगा। उसका वजन दो टन से कुछ कम रहा होगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक यह कछुआ क्रेटेसियस युग में जीवित था। यह वो युग था जबकि डायनासोर युग का अंतिम चरण चल रहा था। यूरोप में अब तक का यह सबसे बड़ा कछुआ है।
इस वक्त पृथ्वी पर जो सबसे बड़ा कछुआ जीवित है, उसे लेदरबैक कछुआ कहते हैं। उसकी लंबाई सात फुट तक हो सकती है। उत्तरी स्पेन में जो अवशेष मिले हैं, उस कछुए को वैज्ञानिकों ने लेवियाथानोचेलिस नाम दिया है। लेवियाथानोचेलिस विशालतम ज्ञात कछुए से कुछ ही छोटा है।
दूसरा सबसे बड़ा कछुआ
विश्व इतिहास का सबसे बड़ा कछुआ आर्चेलोन था, जो सात करोड़ साल पहले पृथ्वी पर रहता था। यह कछुआ 15 फुट लंबा था। इस शोध में शामिल रहे जीवविज्ञानी एल्बर्ट सेलेस कहते हैं कि लेवियाथानोचेलिस मिनी कूपर जितना लंबा था जबकि आर्चेलोन टोयोटा कोरोला जितना। सेलेस बार्सिलोना विश्वविद्यालय के पेलियंथोलॉजी इंस्टिट्यूट में पढ़ाते हैं। वह बताते हैं कि जिस युग में लेवियाथानोचेलिस जीवित था, उस दौर में इतना विशाल होना काफी सहूलियत भरा रहा होगा, क्योंकि जिस प्राचीन टेथीस सागर में वह तैरता था, वहां जानवरों की भारी भीड़ रहती थी।
टेथीस सागर में मोजासॉरस नामक विशालकाय जीव होते थे जिनकी लंबाई 50 फुट तक हो सकती थी। वे सबसे बड़े शिकारी जीव थे और बेहद खतरनाक होते थे। इसके अलावा कई तरह की शार्क मछलियां और लंबी गर्दन वाले मत्स्याहारी (मछली खाने वाले मांसाहारी) जीव भी लेवियाथानोचेलिस के लिए बड़ा खतरा होते थे।
इस रिसर्च रिपोर्ट के मुख्य लेखक पोस्ट ग्रैजुशन के छात्र ऑस्कर कास्टिलो हैं जो बार्सिलोना विश्वविद्यालय में पेलियंथोलॉजी पढ़ रहे हैं। वह कहते हैं, ''महासागरीय जीवन के संदर्भ में लेवियाथानोचेलिस के आकार के किसी प्राणी पर हमला करना विशालतम शिकारियों द्वारा ही संभव हो पाता होगा। उस वक्त यूरोपीय इलाके में ऐसे विशाल शिकारी मोजारस और शार्क ही थे। '' कास्टिलो की यह खोज साइंटिफिक रिपोट्र्स नाम की विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित हुई है। वह बताते हैं, ''क्रेटासियस युग में महासागरीय कछुओं में अपने शरीर का आकार बढ़ाने की प्रवृत्ति थी। लेवियाथानोचेलिस और आर्चेलोन इस प्रक्रिया के सबसे सटीक उदाहरण कहे जा सकते हैं। ऐसा माना जा सकता है कि अपने आसपास के विशालकाय शिकारी जीवों से बचने के लिए ऐसा होता होगा। ''
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