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 अंतरिक्ष विभाग, रक्षा मंत्रालय 5 जी सेवाओं के लिए 61 हजार करोड़ रु. का स्पेक्ट्रम खाली करने को सहमत

नई दिल्ली। अंतरिक्ष विभाग और रक्षा मंत्रालय ने 5जी सेवाओं के लिए संभवत: 61 हजार करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम खाली करने की सहमति दी है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
 भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने 5जी सेवाओं के लिए 3300-3600 मेगाट्र्ज फ्रीक्वेंसी बैंड में 300 मेगाट्र्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी की सिफारिश की है। हालांकि, भारतीय नौसेना रडार से जुड़ी सेवाओं के लिए 100 मेगाट्र्ज स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर रही है। वहीं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 3300-3600 मेगाट्र्ज बैंड में 25 मेगाट्र्ज स्पेक्ट्रम के लिए दावा किया है। इससे दूरसंचार सेवाओं के लिए सिर्फ 175 मेगाट्र्ज स्पेक्ट्रम बचा है। सूत्रों ने कहा, ''इसरो ने 3300-3600 मेगाट्र्ज बैंड में 25 मेगाट्र्ज स्पेक्ट्रम खाली करने की सहमति दी है। उसने सैटेलाइट सेवाओं के लिए 5जी से संरक्षण मांगा है। ''  जानकारी मिली है कि नौसेना ने किसी निचले फ्रीक्वेंसी बैंड में 100 मेगाट्र्ज के इस्तेमाल की सहमति दी है। इससे दूरसंचार ऑपरेटरों के लिए पूरा 300 मेगाट्र्ज स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा।'' यह सरकार द्वारा देश में 5जी सेवाओं के लिए पहचाने गए पहले सेट का स्पेक्ट्रम है। दूरसंचार ऑपरेटर निचले मूल्य पर 3300-3600 बैंड में 100 मेगाट्र्ज स्पेक्ट्रम की मांग कर रहे हैं। हालांकि, नौसेना और इसरो के दावों की वजह से दूरसंचार विभाग यह स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए उपलब्ध नहीं करा पा रहा था। स्पेक्ट्रम नीलामी एक मार्च से शुरू होगी।

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